जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:- श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
परिवाद सं0:-127/2011 परिवाद प्रस्तुति दिनांक:- 8.04.2011
डाॅक्टर नरेन्द्र सोनी पुत्र हनुमान दास सोनी निवासी- आशीर्वाद मैरिज गार्डन के पास, एच. डी. सोनी मेमोरियल हाॅस्पीटल, आलनपुर सवाई माधोपुर।
परिवादी
विरुद्ध
1. जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड जरिये अधिशाषी अभियन्ता जयपुर डिस्काॅम सवाई माधेापुर,
2. जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सहायक अभियन्ता ए-1 जयपुर डिस्काॅम सवाई माधोपुर,
3. जयपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड जरिये सहायक अभियन्ता (स.मा.वृत) जयपुर डिस्काॅम सवाई माधोपुर।
विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1. श्री आशिष कुमार जैन, अधिवक्ता परिवादी
2. श्री टी0आर0 गोयल अधिवक्ता विपक्षीगण
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष) दिनांक:-23.02.2015
नि र्ण य
परिवादी ने यह परिवाद संक्षप में इन तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षीगण से एक घरेलू श्रेणी का विधुत कनेक्शन खाता संख्या 22050281 ले रखा है जिसका बिल विपक्षीगण द्वारा जारी होने पर वह समय समय पर बिलों का भुगतान विपक्षीगण को करता रहा है। परिवादी ने अपने रिहायशी उपयोग के लिए एक परिसार आशीर्वाद मैरिज गार्डन के पास निर्मित करवाया, जिस पर ही उक्त घरेलू विधुत कनेकशन परिवादी द्वारा विपक्षीगण से लिया गया है। परिवादी ने अपने उक्त रिहायशी मकान के ग्राउण्ड फ्लोर पर दिनांक 17 अक्टुबर 2010 से एच डी मेमोरियल हाॅस्पीटल का शुभारम्र किया तब से लगातार इस परिसर के ग्राउण्ड फलोर पर परिवादी का हाॅस्पीटल का संचालन हो रहा है। माह अक्टुबर 2010 में परिवादी ने अपने उक्त विधुत कनेकशन खाता संख्या 22050281 को गैर घरेलू श्रेणी में तब्दील कराने की पत्रावली विपक्षीगण के यहंा प्रस्तुत कर रखी है परन्तु आज दिन तक कई बार मौखिक निवेदन करने के उपरान्त भी उक्त कनेक्शन को अघरेलू की श्रेणी में तब्दील नहीं किया गया है जो विपक्षीगण का भारी सेवा दोष है। परिवादी के उक्त परिसर पर विपक्षीगण ने दिनांक 29.01.2011 को एक झॅूठी व मनमानी वीसीआर संख्या 10300/38 परिवादी के विरूद्व भर दी गई और इसकी आड में परिवादी पर 2,89,574 रूपये की अस्थायी राशि निर्धारित कर वसूली की कार्यवाही को आमादा हुए और इसकी आड में परिवादी का विधुत सम्बन्ध विच्छेद करने को विपक्षी गण आमादा हो गये । तब परिवादी को मजबूरन विधुत सम्बन्ध कटने से बचाने के लिए विपक्षीगण के यहंा दिनांक 24.02.2011 के तहत नोटिस मनमानी आंकलित राशि में से 1,44,787 रूपये दिनांक 04.03.2011 को जमा कराने पडे। परिवादी ने उक्त विवाद के निस्तारण के लिए विपक्षीगण की समझौता समिति के समक्ष भी दरख्वासत पेश कर निराकरण हेतू निवेदन किया मगर विपक्षीगण ने कोई निराकरण नही कर उक्त राशि जमा कराने को विवश कर दिया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा भरी गई उक्त वीसीआर संख्या 10300/38 निरस्त कर परिवाद में दिये गये अनुतोष को दिलाने का निवेदन किया गया।
विपक्षीगण ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर निवेदन किया कि परिवादी राजस्थान आवासन मण्डल निवासी है। परिवादी ने आशीर्वादा मैरिज गार्डन के पास एच डी सोनी मेमोरियल के नाम से अस्पताल बनाया है जिसमें परिवादीने विपक्षीसे 10 किलोवाट स्वीकृत भार का घरेलू श्रेणी का विधुत कनेक्शन ले रखा है। परिवादी ने आशाीर्वाद मैरिज गार्डन के पास रिहाईश हेतु मकान नहीं बनवाया है बल्कि अस्पताल हेतु बिल्डिंग बनाई है। एच डी सोनी अस्पताल परिवादी तथा परिवादी की पत्नि दोनो जो कि डाक्टर है, द्वारा चलाया जाता है। परिवादी ने अण्डरग्राउण्ड, ग्राउण्ड फ्लोर तथा प्रथम मंजिल बना रखी है। परिवादी इसके उपर की मंजिल बनाकर अस्पताल हेतु निर्माण कार्य करा रहा है। परिवादी ने अपने रिहाइश हेतू अलग से विधुत विभाग से विधुत कनेक्शन ले रखा है तथा परिवादी ने खाता संख्या 2205-00281 के विधुत कनेक्शन को अघरेलू कार्य अस्पताल के कार्य में ले रखा है। परिवादी ने विपक्षी के यहंा माह अक्टुबर 2010 में उपरोक्त खाते को घरेलू से अघरेलू करने हेतु कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है बल्कि मार्च 2011 में प्रथम बार घरेलू कनेक्शन को अघरेलू कनेक्शन में बदलने के लिए आवेदन किया है। दिनांक 29.1.2011 को परिवादी की मौजूदगी में दिन के 2.30 बजे कनिष्ठ अभियन्ता, आलनपुर द्वारा परिवादी के परिसर की जांच की गई तो परिवादी उपरोक्त कनेकशन से विधुत का उपभोग पूर्ण रूप से अघरेलू कार्य एच डी सोनी मेमोरियल अस्पताल में काम लेता पाया गया जो कि व्यवसायिक कार्य है। परिवादी ने माह सितम्बर2010 में लोड बढाकर 17.18 किलोवाट, अक्टुबर-2010 में 17.10 किलोवाट, नवम्बर-10 में 13.86 किलोवाट, दिसम्बर 2010 में 7.6किलोवाट एवं जनवरी 2011 में 9.28 किलो वाट किया हुआ था । इस तरह परिवादी उक्त घरेलू कार्य के विधुत कनेक्शन को अघरेलू कार्य में काम में ले रहा था तथा परिवादी ने विधुत भार स्वीकृत भार से अधिक कर रखा था। अतः परिवादी को बडे हुए लोड के कारण सरचार्ज तथा अघरेलू श्रेणी की दर से पुरानी घरेलू दर से दी गई राशि का समायोजन करते हुए अस्थाई निर्धारण राशि का नोटिस दिया गया है जो नियमानुसार सही है। समझौता समिति द्वारा अगस्त 2010 से अघरेलू कार्य का आंकलन किया है। समझौता समिति ने परिवादी के स्वीकारोक्ति के आधार पर ही परिवादी की मौजूदगी में समझौता समिति द्वारा दिनांक 23.3.2011 को निर्णय किया गया जिसपर परिवादी ने अपने हस्ताक्षर किये। समझौता समिति ने लोड सरचार्ज राशि 73990.00 तथा स्थाई सेवा शुल्क 6950.00 रूपये तथा माह अप्रेल 2010 के बिल की 110 यूनिट एवं जून बिल के 602 यूनिट इस प्रकार कुल 712 यूनिट की राशि 4547.00 रूपये इस तरह कुल 85487.00 रूपये उपभोक्ता के खाते में कम करने के आदेश दिये है जो कि उपभोक्ता के सी सी एंड आर रजिस्टर में दिनांक 8.4.11 को दर्ज कर दिये गये है। परिवादी के खाते में 73990/- तथा स्थाई शुल के 6950/- तथा 712 यूनिट के 4547/- रूपये यानि कुल 85487/- रूपये क्रेडिट किये गये ह ैना कि 33109/- रूपये बल्कि 33109 तो दिनांक 29.1.11 को परिवादी के मीटर की रीडिंग थी। परिवादी ने विपक्षी से अपने अस्पताल के कार्य के लिए घरेलू कनेक्शन लिया जो कि अघरेलू कार्य था। जो कि परिवादी द्वारा किया गया गलत कृत्य है। परिवादी के यहंा विधुत मीटर 0 पर लगा था । अप्रेल 2010 में 110 यूनिट का उपयोग किया। माह जून 602 यूनिट का उपयोग किया। मगर उसके बाद माह अगस्त से पूर्व की रीडिंग 712 वर्तमान रीडिंग 9044 थी । इस तरह परिवादी ने माह अगस्त 2010 में 8332 यूनिट का उपभोग किया जो परिवादी के अघरेलू कार्य को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस तरह परिवादी ने अक्टुबर 2010 में 17106 यूनिट का उपभोग किया तथा इसी तरह दिसम्बर 2010 में 6959 यूनिट का उपभोग किया। विपक्षी ने परिवादी से माह अगस्त 2010 के बाद की बिलिंग को अघरेलू श्रेणी की दर से कार्यवाही की जो नियमानुसार सही है। इस प्रकार जवाब प्रस्तुत कर परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य में नोटिस क्रमांक 2530, प्रार्थना पत्र समझौता समिति, प्रार्थना पत्र क्रमांक 8317, समझौता समिति की कार्यवाही रिपोर्ट दिनांकित 23.3.11 एवं अस्पताल शुभारम्भ के कार्ड की प्रति, बिल माह मार्च 2011, बिल माह अप्रेल 2011 एवं बिल माह जून 2011 की प्रति पेश की है। जबकि विपक्षी ने दिलीप विजयवर्गीय कनिष्ठ अभियन्ता का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में सेटलमेन्ट परिपत्र दिनांकित 13.4.11, सेटलमेन्ट निर्णय प्रति दिनांकित 23.3.11, वीसीआर दिनांकित 29.1.11 प्रार्थना पत्र सेटलमेन्ट 4.3.11 एवं नोटिस असेसमेन्ट प्रति दिनांकित 24.2.11 की प्रति आदि पेश किये।
उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण में विद्वान अधिवक्ता परिवादी की यह बहस है कि विवादित परिसर में नीचे हाॅस्पीटल एवं उसके उपर निवास स्थान बना हुआ है। जिसके दो कनेक्शन अलग अलग है। विपक्षीगण द्वारा डोमेस्टिक का भी सारे का डे वन(शूरू से ही) से काॅमर्शियल का चार्ज लगा दिया गया है। जबकि हाॅस्पीटल दिनांक 17.10.2010 से शुरू हुआ है। विपक्षीगण नियमानुसार डोमेस्टिक कनेक्शन पर वीसीआर नही भर सकते है। इसके विपरीत विद्वान अधिवक्ता विपक्षीगण का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा डोमेस्टिक से नाॅन डोमेस्टिक के रूप में विधुत उपयोग किया गया है। अतः भारतीय विधुत अधिनियम 2003 की धारा 126 एवं विभागीय सर्कूलर जेपीआर 426 के अनुसार नोटिस क्रमांक 2530 दिनांक 24.2.11 दिया गया है। परिवादी स्वीकृत भार 10 किलो वाट से अधिक 17.10किलो वाट का विधुत उपयोग करते हुये पाया गया था। जिसके लिए उक्त नोटिस के पिछे पृष्ठ पर असेसमेन्ट कर राशि 2,89,574 रूपये की मांग की गई थी। परिवादी ने जून 2010 से ही डी एस श्रेणी के बजाय एन डी एस श्रेणी में काम लिया है तथा वीसीआर पर परिवादी डाॅ. नरेन्द्र सोनी के भी हस्ताक्षर है। विद्वान अधिवक्ता विपक्षी का यह भी तर्क है कि परिवादी एवं विपक्षीगण के मध्य दिनांक 23.3.11 को विभागीय समझौता समिति में समझौता हो गया था तथा उक्त समझौते पर स्वयं परिवादी के हस्ताक्षर है। जिसके अनुसार लोड सरचार्ज राशि 73,990 रूपये एवं स्थायी सेवा शुल्क 6,950 रूपये माफ कर दिये गये थे। ऐसी सूरत में परिवादी के समझौता समिति के समक्ष उपस्थित होकर समझौता कर लेने के बाद यह परिवाद जिला मंच में नहीं चलाया जा सकता। इसके विपरीत विद्वान अधिवक्ता परिवादी का यह तर्क है कि विभागीय सेटलमेन्ट कमेटी का निर्णय क्वासी ज्यूडिसियल या ज्यूडिसियल नहीं माना जा सकता। परिवादी ने दिनांक 17.10.2010 से नर्सिंग होम शुरू किया था। जिसके समर्थन में उसने नर्सिंग होम शुरू शभारम्भ किये जाने का के कार्ड की प्रति भी संलग्न परिवाद की है। विद्वान अधिवक्ता परिवादी का यह भी तर्क है कि यदि विपक्षी आरोपित राशि लेने के अधिकारी भी हो तो वह यह राशि असेसमेन्ट के अनुसार दिनांक 17.10.2010 से वसूल करने के अधिकारी है। जबकि विपक्षीगण द्वारा परिवादी से मनमाने रूप से जून 2010 से ही एनडीएस उपयोग के आधार पर असेसमेन्ट किया गया है। जो गलत है।
यह है कि उभय पक्षों की बहस सुने जाने एवं पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किये जाने के पश्चात इस प्रकरण में यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि परिवादी एवं विपक्षीगण के मध्य दिनांक 23.3.11 को समझौता हुआ है। जिसमें विपक्षीगण के अधिकारी एवं परिवादी के हस्ताक्षर अंकित है। एक बार समझौता किये जाने के पश्चात परिवादी जिला मंच के समक्ष नये सिरे से उक्त समझौते को नहीं मानते हुये नया परिवाद प्रस्तुत करने का विधिक अधिकारी नहीं माना जा सकता है। हमारे समक्ष इस प्रकार के कोई रूलिंग भी पेश नहीं हुई है जिसके आधार पर विभागीय समझौता होने के पश्चात उसी वाद कारण के आधार पर नया परिवाद जिला मंच में दायर किये जाने की बात को बल मिलता हो।
अतः प्रस्तुत प्रकरण के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम परिवादी का परिवाद खारिज करते है। परिवादी चाहे तो सक्षम सिविल कोर्ट के समक्ष अपना वाद प्रस्तुत कर सकता है और नर्सिंग होम शुरू होने के अवधि जून 2010 के बजाय 17.10.2010 को शुरू होने का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है। इस जिला मंच में परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 7.4.2011 से निर्णय दिनांक तक की अवधि मियाद के बिन्दू पर सक्षम सिविल कोर्ट द्वारा नियमानुसार क्षम्य किये जाने योग्य होगी। विपक्षीगण परिवादी द्वारा उनके यहंा उक्त डिमाण्ड नोटिस क्रमांक 2530 दिनांक 24.2.11 के पेटे पूर्व में जमा कराई गई राशि उसके विधुत खाते में नियमानुसार समायोजन करेगें। पक्षकारान अपना अपना खर्चा परिवाद स्वयं वहन करेगें।
आदेश
अतः प्रस्तुत प्रकरण के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम परिवादी का परिवाद खारिज करते है। परिवादी चाहे तो सक्षम सिविल कोर्ट के समक्ष अपना वाद प्रस्तुत कर सकता है और नर्सिंग होम शुरू होने के अवधि जून 2010 के बजाय 17.10.2010 को शुरू होने का साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है। इस जिला मंच में परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 7.4.2011 से निर्णय दिनांक तक की अवधि मियाद के बिन्दू पर सक्षम सिविल कोर्ट द्वारा नियमानुसार क्षम्य किये जाने योग्य होगी। विपक्षीगण परिवादी द्वारा उनके यहंा उक्त डिमाण्ड नोटिस क्रमांक 2530 दिनांक 24.2.11 के पेटे पूर्व में जमा कराई गई राशि उसके विधुत खाते में नियमानुसार समायोजन करेगें। पक्षकारान अपना अपना खर्चा परिवाद स्वयं वहन करेगें।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 23.02.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष