(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1714/2008
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, सेण्ट्रल आफिस योगक्षेम, जीवन बीमा मार्ग, मुम्बई 400021, ब्रांच आफिस स्टेशन रोड, पीलीभीत, द्वारा ब्रांच मैनेजर तथा एक अन्य
बनाम
श्रीमती जुबैदा बेगम पत्नी स्व0 श्री सूबेदार खान, निवासिनी ग्राम चेना नकटी, अभयपुर, पोस्ट जलालपुर, जिला पीलीभीत
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरविन्द तिलहरी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन।
दिनांक : 12.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-133/1999, श्रीमती जुबैदा बेगम बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, पीलीभीत द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.7.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द तिलहरी तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमाधारक की मृत्यु पर अंकन अंकन 1,00,000/-रू0 बीमित राशि 8 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
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3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति सूबेदार खान द्वारा अपने जीवन पर एक बीमा पालिसी दिनांक 23.11.1998 को अंकन 1,00,000/-रू0 के लिए ली गयी थी तथा अंकन 6,972/-रू0 की प्रथम किस्त जमा की गयी थी। परिवादिनी के पति की आकस्मिक मृत्यु घर पर ही हो गयी थी, जिनके शव को कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया था। परिवादिनी बीमा पालिसी की नामिनी है, इसलिए बीमा राशि को प्राप्त करने के लिए बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो बीमा निगम द्वारा इस आधार पर नकार दिया गया कि बीमाधारक बीमा प्रस्ताव भरने के पूर्व से ही बीमार थे और इस तथ्य को उनके द्वारा छिपाया गया, परन्तु विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमा निगम द्वारा अधूरी साक्ष्य प्रस्तुत की गयी है, इसलिए बीमा क्लेम स्वीकार होने योग्य है। तदनुसार परिवाद स्वीकार करते हुए बीमित राशि मय ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया।
4. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा प्रस्ताव दिनांक 29.9.1998 को भरा गया। बीमा पालिसी जारी होने के कुछ दिन पश्चात ही यानी दिनांक 4.12.1998 को बीमाधारक की मृत्यु हो गयी, इसलिए बीमा निगम द्वारा क्लेम की जांच करायी गयी और जांच में यह पाया गया कि यथार्थ में बीमाधारक बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व ही Sigmoid Colon Carcinoma नामक बीमारी से ग्रसित था। इस तथ्य को छिपाने के कारण बीमा क्लेम खारिज किया गया है, उनके द्वारा अपने तर्क की पुष्टि में जीवन ज्योति हॉस्पिटल के डा0 अजय भारती द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र की
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प्रति की ओर इस पीठ का ध्यान आकृष्ट किया गया है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व ही यानी दिनांक 21.5.1995 को बीमाधारक इलाज के लिए भर्ती हुआ और इलाज के दौरान पाया गया कि बीमाधारक उपरोक्त वर्णित बीमारी से ग्रसित है। अत: इस दस्तावेज से स्पष्ट हो जाता है कि बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व ही बीमाधारक उपरोक्त वर्णित बीमारी से ग्रसित था और इस तथ्य को छिपाते हुए बीमा पालिसी प्राप्त की गयी, इसलिए बीमा क्लेम नकारने का निर्णय विधिसम्मत है। विद्वान जिला आयोग द्वारा अकाट्य साक्ष्य के बावजूद अधूरे साक्ष्य प्रस्तुत करने का निष्कर्ष दिया गया है, जो अवैधानिक है और अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.7.2008 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3