Sushil kumar govil filed a consumer case on 08 Sep 2015 against Journal Motor India pvt. ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is Cc/327/2011 and the judgment uploaded on 11 Sep 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)
परिवाद संख्या:- 327/11
सुशील कुमार गोविल पुत्र चन्द्र मोहन गोविल, निवासी टाईप ।।।, 34-के अणुप्रताप काॅलोनी, भाभा नगर, रावतभाटा, जिला चित्तोगढ राजस्थान। -परिवादी
बनाम
01. जनरल मोटर इंडिया प्रा0लि0 (शावर लेट कंपनी)रजिस्टर्ड आॅफिस, चन्द्रपुरा इण्डस्ट्रीयल एस्टेट, हलोल-389351, जिला पंचमहल (गुजरात)
02. ट्रीम्प मोटर्स, ई-137, रोड नं. 5 इन्दप्रस्थ इण्डस्ट्रीयल एरिया, झालावाड रोड, कोटा-324005 राजस्थान। -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री रितेश मेवाडा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री आर0पी0 माथुर, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 की ओर से।
03. श्री मनीष कुमार गुप्ता, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 08.09.2015
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि विपक्षी सं. 2 ने 29.06.11 को बुक कराई गई ब्ीमअतवसमज ैचंता स्ज्ध्स्च्ळ गाडी की डिलीवरी दिनांक 03.07.11 को दी, उस समय गाडी के बारे में कुछ बाते गलत रूप से धोखे में रख कर बताई गई। टेस्ट ड्राइव नहीं दिया गया, ड्राइविंग सीट पर बैठने के बाद बोनट का अगला हिस्सा नजर नहीं आता है, उसका बीमा सरकारी कंपनी से कराने का आश्वासन दिया गया जबकि प्राइवेट कंपनी से करा दिया उसका एवरेज 18 किलो मीटर प्रति लीटर बताया गया जबकि वास्तविक एवेरज 8-9 किलो मीटर प्रति लीटर का है, डौर हेैण्डल और साइड मिरर अलग कलर के है जबकि यह बताया था कि उनका कलर गाडी के कलर के समान ही होगा । गाडी की कीमत 3,96,520/- रूपये थी जबकि 4,45,500/- रूपये वसूल कर ली गई। एसेसरीज घटिया एवं सस्ती दी गई, सीट कवर घटिया एवं सस्ती दी गई। मेन्टीनेन्स पैकेज नहीं दिया, रबर मेटिंग व मोबाईल देने का करार किया था, लेकिन यह सामान नहीं दिया, त्रुटि को सही नहीं किया। नोटिस दिये जाने के बाद भी सुनवाई नहीं की, इससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ।
विपक्षी सं. 2 की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि परिवादी ने खरीदी गई कार के बारे में सही जानकारी पूर्व में हांसिल करके भली-भाॅति देखकर व परख कर टेस्ट ड्राइव करके गाडी खरीदी थी। आई.आर.डी.ए. से अनुमोदित बीमा कंपनी से ही बीमा करवाया गया। वाहन बुक कराते समय आर्डर बुकिंग फार्म में बताये गये मूल्य 4,00,500/- रूपये ही परिवादी से लिये गये जिसकी इनवाईस दी गई। इनवाईस के अलावा लोजिस्टिक चार्जेज 4010/- रूपये एसेसरीज के 4,953/- रूपय,े बीमा प्रीमियम 10,627/- रूपये, नम्बर प्लेट के 200/- रूपये,रजिस्ट्रेशन राशि 20,600/- रूपये, आर.टी.ओ. एजेन्ट राशि 1,000/- रूपये सहित कुल 4,00,500/- रूपये की राशि ही परिवादी से ली गई, जिसका भुगतान उसे दिनांक 29.06.11 को जरिये चेैक सं. 0822240 राशि 45,000/- रूपये एवं चैक सं. 009468 दिनांक 03.07.11 राशि 3,55,500/- रूपये से किया है। उससे 4,45,500/- रूपये की राशि नहीं ली गई। सीट कवर व नम्बर प्लेट जो दिखाई वही लगाई गई। वाहन के डौर और साईड कांच जैसे दिखाये वैसे ही है, एसेसरीज भी सही दी गई। वाहन की मैन्युवल बुक दी गई। वाहन में कोई त्रुटि नहीं है। कोई धोखा धडी नहीं की गई। सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
विपक्षी सं. 1 ने लिखित आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर प्रकट किया है कि विपक्षी सं. 2 की ओर से जो जवाब प्रस्तुत किया गया है वही उनका जवाब माना जावे, अर्थात् उनकी ओर से पृथक से जवाब नहीं दिया गया।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी सं. 2 को अदा की गई राशि की रसीद, वाहन इनवाईस, आर.सी. अन्य सामान के बिल, परिवादी द्वारा प्रेषित नोटिस आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की।
विपक्षी सं. 2 की ओर से साक्ष्य में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता प्रवीण कुमार जैन के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी द्वारा खरीदे गये वाहन के मोडल की स्पिसिफिक कापी, आर्डर बुकिंग फार्म, डिलीवरी नोट, बीमा प्रति, इनवाईस, लोजिस्टिक चार्जेज व एसेसरीज बिल आर.सी. आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की गई।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विचारणीय प्रश्न है कि क्या विपक्षी सं. 2 ने परिवादी से वाहन की कीमत अधिक वसूली व उसकी एसेसरीज, सीट कवर आदि सही क्वालिटी के नही दिये एवं अन्य निर्देशानुसार सुविधाऐं उपलब्ध नहीं करवाई ?
परिवादी ने परिवाद में यह खुलासा नहीं किया है कि कीमत से अधिक राशि किस प्रकार वसूल की गई है उल्लेखनीय है कि कोई ग्राहक जो लगभग चार लाख रूपये के मूल्य का वाहन खरीदता है तो उसके माॅडल/मेक, मूल्य,बिल आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करके समझकर ही खरीदता है और उसकी कीमत देता है । स्वयं परिवादी के अनुसार उसने 03.07.11 को वाहन की डिलीवरी ले ली, तब निश्चित रूप से उसने वाहन की कीमत के बारे में जानकारी करके उसी अनुसार कीमत अदा की है अधिक राशि अदा करने का प्रश्न ही नही उठता है। उसने कब-कब कितनी राशि अदा की उसका खुलासा नहीं किया जबकि विपक्षी ने वाहन की जो कीमत अदा की उस राशि का पूरा खुलासा किया। उसका परिवादी की ओर से कोई खंडन नहीं किया गया है इसलिये हम पाते है कि वाहन के पेटे लगभग 49,000/- रूपये की राशि अधिक लिये जाने की कहानी को परिवादी सिद्ध नही कर सका है।
जहाॅ तक वाहन में बताये अनुसार सामान नहीं लगाने का प्रश्न है यह कहानी भी प्रथम दृष्ट्या सही नहीं है स्वयं परिवादी ने डिलीवरी ली है उस दस्स्तवेज पर उसके हस्ताक्षर है तब निश्चित रूप से उसने अच्छी तरह देखकर ही डिलीवरी ली है। यदि कोई कमी होती तो उसी समय वह विपक्षी की जानकारी में लाता तथा वह कमी दूर नही की जाती तो डिलीवरी नहीं लेता। एवरेज के बाबत् कोई विशेषज्ञ की साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है। परिवाद में जो अन्य कमियां बताई गई है वे भी प्रथम दृष्ट्या विश्वास योग्य नहीं है क्योंकि परिवादी ने विपक्षी को नोटिस भेजा उसमें भी कोई खुलासा नहीं किया।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवादी यह सिद्ध नही कर सका है कि उससे वाहन की कीमत अधिक ली गई हो तथा वाहन में अन्य कोई दोष हो । फलस्वरूप परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी सुशील कुमार गोविल का परिवाद, विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद, पक्षकारान अपना-अपना वहन करेगें।
(हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 08.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
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