Uttar Pradesh

StateCommission

A/1040/2019

Shri Philips Prop. Philips Motors - Complainant(s)

Versus

Jitendra Srivastava - Opp.Party(s)

Rajesh Kumar Gupta

13 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1040/2019
( Date of Filing : 30 Aug 2019 )
(Arisen out of Order Dated 16/05/2018 in Case No. C/370/2015 of District Lucknow-I)
 
1. Shri Philips Prop. Philips Motors
712 Udyan 2 Eldco Near Shahid Path Raibaareily Road Lucknowi
...........Appellant(s)
Versus
1. Jitendra Srivastava
S/O Late Gyanendra Srivastava 75 Uphar Eldico Udyan 2 Raibareli Road Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Mar 2023
Final Order / Judgement

                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 1040/2019

श्री फिलिप्‍स, प्रोपराइटर, फिलिप्‍स मोटर्स 712 उद्यान-2, एल्डिको, निकट शहीद पथ, रायबरेली रोड, लखनऊ।

                                                     ..........अपीलार्थी

बनाम

जितेन्‍द्र श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 ज्ञानेन्‍द्र श्रीवास्‍तव 75 उपहार, एल्डिको, उद्यान-2, रायबरेली रोड, लखनऊ।

                                                        .......प्रत्‍यर्थी

 

समक्ष:-

   माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश कुमार गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

                                                     

दिनांक:- 13.03.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय      

            परिवाद सं0- 370/2015 जितेन्‍द्र श्रीवास्‍तव बनाम श्री फिलिप्‍स, प्रोपराइटर मोटर्स में जिला उपभोक्‍ता आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 16.05.2018 के विरुद्ध यह अपील योजित की गई है।

            जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है:-

            ‘’परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मुबलिग- 699/- (छ: सौ निन्‍यानवे रूपये मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ 45 दिन के अन्‍दर वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे। साथ ही साथ परिवादी को मुआवजे के रूप में मुबलिग-20,000/- (बीस हजार रूपया मात्र) तथा शर्तों के अनुसार सेवा न देने के लिए मुबलिग-20,000/- (बीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग-3000/- (तीन हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे।‘’

            प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद पत्र में कथन इस प्रकार है कि उसके पास अपने पुत्र के नाम से पंजीकृत सेन्‍ट्रो कार सं0- यू0पी0 78 ए ई 3737 है जो वह यदा-कदा प्रयोग करता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के भवन पर दि0 07.04.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी का एक प्रतिनिधि श्री ए0 आदिल आया और उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कार गैरेज पर 699/-रू0 के प्रिविलेज कार्ड पर दो वर्ष के लिए नि:शुल्‍क कार सेवा देने का प्रलोभन दिया, जब कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बताया कि उसे कार चलाना नहीं आता है वह कार सर्विसिंग के लिए कैसे ले जायेगा। उक्‍त प्रतिनिधि ने कहा कि गैरेज का मैकेनिक या ड्राइवर आकर गाड़ी ले जायेगा और सर्विसिंग या रिपेयरिंग के बाद घर पर छोड़ जायेगा। इस बारे में प्रिविलेज कार्ड के क्‍लाज ‘’Value added services” में भी लिखा है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 699/-रू0 का नकद भुगतान देकर उक्‍त प्रतिनिधि से प्रिविलेज कार्ड प्राप्‍त कर लिया। कुछ दिनों के उपरांत प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कार की सर्विसिंग व वाशिंग के लिए कार ले जाने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी के वर्कशाप पर फोन किया तो उत्‍तर मिला कि उनके पास कार ले जाने के लिए कोई ड्राइवर नहीं है, कुछ दिनों बाद भेजेंगे। काफी दिनों तक प्रतीक्षा करने के उपरांत भी कोई ड्राइवर नहीं आया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने तीन-चार दिनों बाद पुन: फोन किया तो अपीलार्थी/विपक्षी ने जवाब दिया कि सर्विसिंग व वाशिंग के लिए घर से कार ले जाने की सुविधा समाप्‍त कर दी है स्‍वयं कार ले जाइये। इसके बाद भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दो-तीन बार फोन किया, परन्‍तु कोई उत्‍तर नहीं मिला। एक साल से ज्‍यादा का समय व्‍यतीत हो जाने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी ने कार की सर्विसिंग, वाशिंग या रिपेयरिंग का कोई भी कार्य नहीं किया, जिससे व्‍यथित होकर यह परिवाद योजित किया गया है।

            अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा झूठे तथ्‍यों के आधार पर वाद दाखिल किया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि उन्‍होनें समस्‍त सुविधाओं के साथ-साथ ग्राहकों के घर से वाहन नि:शुल्‍क लाने ले जाने की सुविधा दे रखी है, किन्‍तु इस सुविधा के लिए ग्राहक को एक दिन पूर्व में अपीलार्थी/विपक्षी को सूचित करना होता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कभी भी अपीलार्थी/विपक्षी को फोन नहीं किया। अपीलार्थी/विपक्षी अपने व्‍यवसाय में ग्राहकों की सुविधा को विशेष ध्‍यान रखता है। प्रस्‍तुत परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी से अनुचित तरीके से धन वसूल करने के लिए दाखिल किया गया है।

            अपील मुख्‍य रूप से इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि  प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश विधि विरुद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दाखिल साक्ष्‍य कूट रचित है जिसमें प्रिविलेज कार्ड की जमा धनराशि की रसीद पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का नाम, फोन कॉल्‍स की डिटेल्‍स पर जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पारित करते समय सम्‍यक विचार नहीं किया एवं तथ्‍यात्‍मक जानकारियों का संज्ञान न लेते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मात्र कल्‍पना पर आधारित परिवाद दाखिल किया है, जिसमें यह कथन किया कि उक्‍त भवन पर दि0 07.04.2014 को अपीलार्थी/विपक्षी का एक प्रतिनिधि श्री ए0 आदिल आया और उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कार गैरेज पर 699/-रू0 के प्रिविलेज कार्ड पर दो वर्ष के लिए नि:शुल्‍क कार सेवा देने का प्रलोभन दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कहा कि मुझे कार चलाना नहीं आता है, जिस पर उक्‍त प्रतिनिधि ने कहा कि गैरेज का मैकेनिक या ड्राइवर आपकी गाड़ी आकर ले जायेगा और सर्विसिंग या रिपेयरिंग के बाद घर वापस छोड़ जायेगा। उक्‍त प्रतिनिधि के कहने पर प्रिविलेज कार्ड की प्रतिबद्धता से प्रलोभित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 699/- रू0 नकद भुगतान किया और उक्‍त प्रतिनिधि से प्रिविलेज कार्ड प्राप्‍त कर लिया। इसके कुछ दिनों पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कार की सर्विसिंग व वाशिंग की जरूरत पड़ने पर कार ले जाने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी के वर्कशाप पर फोन किया तो उत्‍तर मिला कि उनके पास इस समय कार ले जाने के लिए कोई ड्राइवर नहीं है कुछ दिनों बाद वह भेजेंगे। लेकिन काफी दिनों तक प्रतीक्षा करने के उपरांत भी कोई ड्राइवर नहीं आया।  प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने तीन-चार दिनों बाद अपीलार्थी/विपक्षी को पुन: फोन किया, इसके बाद दो-तीन बार फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। एक साल से ज्‍यादा का समय व्‍यतीत हो जाने के उपरांत भी अपीलार्थी/विपक्षी ने कार की सर्विसिंग, वाशिंग या रिपे‍यरिंग का कोई कार्य नहीं किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कॉल की तारीख का जिक्र नहीं किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी सेन्‍ट्रो कार सं0- यू0पी0 78 एई 3737 का न तो मालिक है और न ही प्रिविलेज कार्ड पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का नाम अंकित है। उक्‍त तथ्‍यों को संज्ञान में न लेते हुए प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पारित किया गया है जो सव्‍यय खारिज किए जाने योग्‍य तथा अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

            हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश कुमार गुप्‍ता को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

            प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसे अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रिविलेज कार्ड गाड़ी की सर्विसिंग तथा रिपेयरिंग आदि के लिए 699/-रू0 में दिया गया था जिसकी प्रतिलिपि अभिलेख पर है। उक्‍त प्रिविलेज कार्ड में डी कार्बोनाइजिंग ओवर हालिंग, सर्विसिंग में क्रमश: 2 तथा 8 व ओवर हालिंग में 50 प्रतिशत, केवल लेवर में तथा सर्विसिंग में 50 प्रतिशत डिसकाउंट करने का वचन दिया गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने घर से गाड़ी मंगाने का एवं उसे वापस घर पर जाने का वचन दिया था। परिवाद पत्र में कहा गया है कि अपीलार्थी/विपक्षी के प्रतिनिधि ने कहा था कि गैरेज का मैकेनिक ड्राइवर आपके घर आकर गाड़ी ले जायेगा और सर्विसिंग के बाद छोड़ कर जायेगा। उक्‍त प्रिविलेज कार्ड की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गई है जिसमें यह शर्त कहीं भी उल्लिखित नहीं है। अत: सेवा उपलब्‍ध न कराये जाने के फलस्‍वरूप मुआवजे के रूप में 20,000/-रू0 दिलाये जाने का कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है। इसके स्‍थान पर मात्र 1,000/-रू0 इन परिस्थितियों में पर्याप्‍त है, क्‍योंकि निश्चित रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 699/-रू0 उक्‍त प्रिविलेज कार्ड के लिए दिया था जिसको  ब्‍याज सहित वापस किया जाना इस मामले में उचित प्रतीत होता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रदान किए गए 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज जो वाद योजन की तिथि से भुगतान की तिथि तक आज्ञप्‍त किया गया है, उसके स्‍थान पर ब्‍याज अधिनियम, 1978 की धारा 2 व 3 के अनुसार वर्तमान प्रचलित ब्‍याज दर के अनुसार 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक अदायगी तक दिलवाया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।              

आदेश

            अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी मुआवजे के रूप में मात्र 1,000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को, प्रिविलेज कार्ड के रूप में अदा की गई धनराशि 699/-रू0 मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज, वाद योजन की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक भी अदा की जायेगी। शेष प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए। 

            आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                       (विकास सक्‍सेना)

               अध्‍यक्ष                                 सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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