राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण सं0-७९/२०११
(जिला मंच, सन्त कबीर नगर द्वारा परिवाद सं0-०४/२०१० में पारित आदेश दिनांक ३०-०४-२०११ के विरूद्ध)
१. सहारा इण्डिया, ब्रान्च आफिस, मेहदावल, डाकखाना एवं तहसील मेहदावल, जिला सन्त कबीर नगर द्वारा सेक्टर वर्कर।
२. सहारा इण्डिया कमाण्ड आफिस, कपूरथला कॉम्प्लेक्स लखनऊ द्वारा अधिकृत हस्ताक्षरी।
.............. पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण।
बनाम्
१. जितेन्द्र कुमार वर्मा,
२. अशोक कुमार वर्मा,
दोनों पुत्रगण श्री राम मंगल वर्मा, दोनों निवासीगण ग्राम व पोस्ट बनकटा, तहसील व थाना-कैम्पियरगंज, जिला गोरखपुर।
............... प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित:-श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ०९-०९-२०१६.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
आज यह पत्रावली प्रस्तुत हुई। पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हैं। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। हमने अधिवक्ता पुनरीक्षणकर्तागण के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
प्रस्तुत पुनरीक्षण, जिला मंच, सन्त कबीर नगर द्वारा परिवाद सं0-०४/२०१० में पारित आदेश दिनांक ३०-०४-२०११ के विरूद्ध योजित की गयी है।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से यह तर्क प्रसतुत किया कि प्रस्तुत प्रकरण में पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा के नियम-१३ के अन्तर्गत विवाद की स्थिति में
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मध्यस्थ द्वारा विवाद का निस्तारण किया जायेगा और मध्यस्थ द्वारा किया गया निर्णय दोनों पक्षकारों पर बाध्यकारी होगा। पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में श्री उदय राज चौधरी द्वारा विवाद का निस्तारण एवार्ड दिनांकित १६-१२-२०१० द्वारा किया जा चुका है। अत: पुनरीक्षणकर्तागण ने जिला मंच के समक्ष एक प्रार्थना पत्र इस आशय का प्रस्तुत किया कि पक्षकारों के मध्य विवाद का निस्तारण मध्यस्थ द्वारा किया जा चुका है, परिवाद धारा-११ दीवानी प्रक्रिया संहिता के प्रांग न्याय के सिद्धान्त से बाधित है, किन्तु प्रश्नगत आदेश द्वारा विद्वान जिला मंच ने पुनरीक्षणकर्तागण के इस प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया।
प्रश्नगत आदेश्ा के अवलोकन से यह विदित होता है कि जिला मंच के समक्ष पुनरीक्षणकर्तागण ने विवाद को मध्यस्थ को विचारण हेतु भेजे जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, किन्तु यह प्रार्थना पत्र जिला मंच द्वारा प्रश्नगत आदेश के अन्तर्गत निरस्त कर दिया गया। इसके बाबजूद मध्यस्थ द्वारा कथित रूप से पक्षकारों के मध्य विवाद का निस्तारण किया गया। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवाद योजित किए जाने के बाद विवाद मध्यस्थ को सन्दर्भित किया गया।
स्काई पैक कोरियर्स लि0 बनाम टाटा केमिकल्स (२०००) ५ एससीसी २९४ के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा में आर्बीट्रेशन क्लॉज की उपस्थिति उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद योजन को प्रतिबन्धित नहीं करती, क्योंकि इस अधिनियम के अन्तर्गत विवाद निस्तारण की व्यवस्था अन्य अधिनियमों के प्राविधानों के अतिरिक्त की गयी है। जब प्रत्यर्थीण/परिवादीगण ने विवाद निस्तारण हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद योजित कर दिया था तब पुनरीक्षणकर्तागण से यह अपेक्षित था कि विवाद निस्तारण के सन्दर्भ में अपना पक्ष विद्वा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत करते, किन्तु पुनरीक्षणकर्तागण ने विद्वान जिला मंच के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत न करके परिवाद के लम्बित रहने के मध्य, मध्यस्थ द्वारा विवाद निबटाये जाने का प्रयास किया। ऐसी परिस्थिति में वस्तुत: पुनरीक्षणकर्तागण ने जिला मंच की
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कार्यवाही को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से मध्यस्थ द्वारा विवाद के निबटारे का प्रयास किया। अत: पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि एवार्ड दिनांक १६-१२-२०१० कथित रूप से पारित हो जाने के उपरान्त प्रश्नगत परिवाद पोषणीय नहीं था।
ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत मामले के सन्दर्भ में मध्यस्थ द्वारा पारित एवार्ड के आलोक में परिवाद की कार्यवाही धारा-११ दीवानी प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत बाधित होनी नहीं मानी जा सकती। पुनरीक्षण में बल नहीं है।
परिणामस्वरूप, पुनरीक्षण निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त किया जाता है।
पुनरीक्षण व्यय-भार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(राज कमल गुप्ता)
सदस्य
दिनांक : ०९-०९-२२०१६.
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-४.