DOODHNATH filed a consumer case on 05 Apr 2019 against JITENDRA ETC. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/84/2008 and the judgment uploaded on 05 Apr 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 84 सन् 2008
प्रस्तुति दिनांक 09.04.2008
निर्णय दिनांक 05.04.2019
बनाम
..............................................................................विपक्षीगण।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 जितेन्द्र प्रसाद यादव एल.आई.सी. के एजेन्ट हैं। जिसका कोड संख्या 05414285 है से परिवादी ने मनी बैंक जीवन बीमा पॉलिसी नं. 290120580 आजमगढ़ शहर में एक लाख रुपये का बीमा दिनांक 20.03.1991 को वार्षिक प्रीमियम 8888.50 रुपये का किश्त जमा करते हुए कराया, जो परिपक्वता पर 1,36,200/- रुपये हुआ था। विपक्षी संख्या 03 के बैंक से भुगतान हेतु चेक बनाया गया। विपक्षी संख्या 01 अन्य विपक्षी गण की साजिश में करके एल.आई.सी. कार्यालय पोस्ट ऑफिस के बाबुओं व इलाहाबाद बैंक के कर्मचारियों को षडयन्त्र में शामिल करते हुए प्रार्थी के साथ धोखा-धड़ी करते परिवादी के खून-पसीने से की गयी कमाई गयी धनराशि की परिपक्वता की अवधि प्राप्त होने पर 1,36,200/- रुपया विपक्षी
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संख्या 01 से अन्य विपक्षीगण के सहयोग से हड़प लिया तथा उपरोक्त विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय शाखा प्रबन्धक विकेश कुमार सिंहा से पूछताछ करने पर विपक्षी संख्या 02 ने परिवादी को दिनांक 26.12.2006 को अपने पैड पर लिखकर बताया व जानकारी दिया कि आपके मुo 1,36,200/- रुपया के बीमा धन का चेक दिनांक 03.06.2006 को बीमा कार्यालय से अभिकर्ता जितेन्द्र प्रसाद यादव द्वारा जानकारी दी गयी है। बावजूद इसके हम याची द्वारा बार-बार पैसा अदा करने की बात करने पर विपक्षीगण डराते धमकाते तथा जान से मारने की धमकी देते रहे। पोस्ट ऑफिस विपक्षी संख्या 04 के कार्यालय के कार्यालय में रामधारी यादव विपक्षी संख्या 01 का रिश्तेदार भी जिसके साजिश कुट रचित के कारण परिवादी को मुo 1,36,200/- रुपये का नुकसान हुआ है जिसकी सूचना दी गयी है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को 1,36,200/- रुपये मय 12% वार्षिक ब्याज भुगतान करे। मानसिक तथा शारीरिक कष्ट के लिए 20,000/- रुपये, परिवाद व्यय के लिए 2000/- रुपये, खेतीबाड़ी की क्षतिपूर्ति के लिय 2000/- तथा दोहरीघाट से आजमगढ़ आने-जाने दवा इलाज के लिए 25000/- रुपये अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1 जमा प्रीमियम की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 एल.आई.सी. को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 वरिष्ठ डॉक अधीक्षक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 प्रबन्धक एल.आई.सी. को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 एल.आई.सी. का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 03 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि उसके खिलाफ परिवादी को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई अधिकार हासिल नहीं था। विपक्षी संख्या 03 के यहां परिवादी ने
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खाता नं. 406529 दिनांक 03.06.2016 को एक सौ रुपये से खोला था। जिसका परिचायक श्री जीतेन्द्र नाथ यादव पुत्र शिव कुमार यादव उक्त खाते में उसी दिन चेक संख्या 587582 भी जमा किया गया, जो इलाहाबाद बैंक में क्लियर होने के बाद दिनांक 07.06.2006 को उक्त खाते में जमा हो गया। 36,000/- रुपये की निकासी जीतेन्द्र नाथ यादव द्वारा संदेश वाहक बनकर ली गयी। दिनांक 10.06.2006 को एक लाख रुपये की निकासी श्री जीतेन्द्र नाथ यादव द्वारा किया गया और खाते में मात्र तीन सौ रुपये शेष रह गया। खाता स्वयं जीतेन्द्र नाथ यादव के परिचायक होने पर खोला गया और 1,36,000/- रुपये जीतेन्द्र नाथ यादव द्वारा निकाला गया। याची का चेक किस प्रकार पोस्ट ऑफिस आजमगढ़ आया इसे विपक्षी संख्या 01 ही बता सकता है। अगर जीवन बीमा आजमगढ़ याची को चेक किया होगा तो याची ही चेक हम विपक्षी के यहां किया होगा या संदेशवाहक को दिया होगा तो संदेशवाहक द्वारा जमा किया गया होगा। विपक्षी ने अपनी सेवा व शर्तों के अनुपालन में क्लियरिंग हेतु इलाहाबाद बैंक आजमगढ़ भेजा और क्लियर होकर उक्त उपरोक्त खाते में आयी। विपक्षी ने कोई गलती नहीं किया है न परिवादी को असुविधा हुई है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
जवाबदावा के समर्थन में विपक्षी संख्या 03 द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 ने जवाबदावा दाखिल कर यह कहा है कि पॉलिसी के पूर्ण होने पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा ही विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय में बीमाधारक पॉलिसी बॉण्ड भुगतान होने के लिए जमा किया। जिससे विपक्षी संख्या 02 ने जल्द ही भुगतान की कार्यवाही करके बीमाधारक दूधनाथ के नाम चेक संख्या 587582 दिनांक 03.06.2016 को इलाहाबाद बैंक शाखा आजमगढ़ को 1,36,200/- रुपये का विपक्षी संख्या 01 को दिया। परिवादी का विश्वास विपक्षी संख्या 01 पर जब से बीमा दिया था। तब से ही था और विपक्षी संख्या 01 द्वारा ही परिवादी की किश्तें भी जमा की
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जाती रही। पॉलिसी के पूर्ण होने पर भुगतान हेतु पॉलिसी बाण्ड व अन्य कार्यवाही भी विपक्षी संख्या 01 द्वारा ही किया गया। उक्त तथाकथित धनराशि को फर्जी तरीके से निकालता है तो वह विपक्षी संख्या 01 द्वारा डॉकघर आजमगढ़ के साजिश से इसका खाता खोलकर उक्त भुगतान किया गया। विपक्षी संख्या 02 ने विपक्षी संख्या 03 से इस बात की शिकायत किया कि आपके यहाँ फर्जी तरीके से खाता खोलकर कई चेकों का भुगतान हो गया है। विपक्षी संख्या 03 ने कहा कि उनकी विभागीय जाँच चल रही है, लेकिन आज कर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विपक्षी संख्या 02 द्वारा कोई लापरवाही नहीं बरती गयी। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा 2 के अन्त में यह लिखा है कि विपक्षी संख्या 01 अन्य विपक्षी गण को साजिश में करके बीमा कार्यालय पोस्ट ऑफिस के बाबुओं व इलाहाबाद बैंक के कर्मचारियों को षडयन्त्र में शामिल करते हुए उसकी खून-पसीने की कमाई मुo 1,36,200/- रुपया विपक्षी नम्बर 01 ने अन्य विपक्षीगण के सहयोग से हड़प लिया। विपक्षी संख्या 03 प्रवर डॉक घर अधीक्षक ने अपने अतिरिक्त कथन में यह स्वीकार किया है कि जितेन्द्र नाथ यादव के परिचायक होने के नाम पर याची का खाता खोला था और उसने 1,36,000/- रुपया स्वयं कर दिया। जहां तर विपक्षी संख्या 02 भारतीय जीवन बीमा द्वारा अतिरिक्त कथन का अवलोकन करें तो उसमें यह कहा गया है कि पॉलिसी पूर्ण होने पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा विपक्षी संख्या 02 के कार्यालय में बीमाधारक की पॉलिसी बॉण्ड भुगतान होने के लिए जमा किया गया, जिससे विपक्षी संख्या 02 ने जल्द ही भुगतान की कार्यवाही करके बीमाधारक दूधनाथ के नाम रेखांकित चेक संख्या 587582 दिनांक 03.06.2006 को इलाहाबाद बैंक शाखा आजमगढ़ का 1,36,000/- रुपया विपक्षी संख्या 01 को दे दिया। बाद में पता करने के बाद पता चला कि उक्त चेक प्रवर डॉकघर आजमगढ़ में खाता खुलवाकर इलाहाबाद बैंक से क्लियरिंग होने के पश्चात् मुo 1,36,000/- भुगतान कर दिया गया। इस प्रकार परिवाद पत्र विपक्षी संख्या 02 व 03 के अभिकथनों से यह बात
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बिल्कुल स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या 02 ने 1,36,000/- रुपये का चेक दूधनाथ राय के नाम जारी किया था। जिसे उसने विपक्षी संख्या 03 को दे दिया। यहां पर विपक्षी संख्या 03 प्रवर डॉक अधीक्षक आजमगढ़ द्वारा किया गया कार्य संदेह के घेरे में आ गया। क्योंकि जब चेक दूधनाथ के नाम से था तो प्रवर डॉक घर का यह कर्तव्य था कि जब दूधनाथ ही उसके समक्ष प्रस्तुत होते तो वह उन्हीं के नाम खाता खोलकर चेक जमा करता। यहां इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि प्रवर डॉक घर अधीक्षक ने अपना जवाबदावा में यह स्वीकार किया है कि खाता दूधनाथ राय के नाम से ही खोला गया था और उसमें 1,36,000/- रुपये जमा किया था। जब खाता दूधनाथ के नाम से खोला गया था तो प्रवर डॉक अधीक्षक आजमगढ़ ने उसका भुगतान विपक्षी संख्या 01 जितेन्द्र प्रसाद यादव के नाम क्यों कर दिया। इसका कोई भी स्पष्ट कारण विपक्षी संख्या 03 द्वारा नहीं बताया गया है। क्योंकि जिस व्यक्ति के नाम से खाता होता है भुगतान उसी व्यक्ति को किया जाता है। इस प्रकार विपक्षी संख्या 03 ने खाताधारक को भुगतान न करके जितेन्द्र प्रसाद यादव के नाम भुगतान किया है जो कि उसकी लापरवाही का घोर द्योतक है। ऐसी स्थिति में मुo 1,36,000/- रुपया परिवादी को अदा करने का दायित्व विपक्षी संख्या 03 के ही ऊपर है।
उपरोक्त विवेचन से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 03 प्रवर डॉक अधीक्षक आजमगढ़ को आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादी को 1,36,000/- (एक लाख छत्तीस हजार रुपया) रुपये का भुगतान कर दें। जिस पर परिवादी परिवाद दाखिल करने की तिथि से 09% वार्षिक ब्याज पाने का अधिकारी होगा। विपक्षी संख्या 03 को यह भी आदेशित किया जाता है कि
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वह परिवादी को मुo 30,000/- (तीस हजार रुपया) रुपये शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए भी अदा करें।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.04.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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