Madhya Pradesh

Seoni

CC/39/2014

SMT. NIRMALA RANI - Complainant(s)

Versus

JILA SEHKARI KENDRIYA BANK - Opp.Party(s)

MUKESH AVADHIYA

28 Oct 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी (म0प्र0)

  -:समक्ष:-
    
अध्यक्ष : श्री व्ही0पी0 शुक्ला
 सदस्य : वीरेन्द्र सिंह राजपूत
              
प्रकरण क्रमांक:-39/2014                                        प्रस्तुति दिनांक:-28.4.2014


(1)    श्रीमति निर्मला रानी उपाध्याय
    पतिन स्वर्गीय चनिद्रका प्रसाद
    उपाध्याय, उम्र लगभग 82 वर्श।

(2)    संजीव कुमार उपाध्याय, आत्मज 
    स्व0 श्री चनिद्रका प्रसाद उपाध्याय
    उम्र लगभग 46 वर्श, दोनों निवासी-
    सत्य कबीर निकेतन के सामने, कालेज
रोड भैरोगंज सिवनी (म0प्र0) 480 661 
                            ........... परिवादीगण
                                    
             :-विरूद्ध-:

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित
द्वारा-षाखा प्रबंधक, जिला सहकारी
केन्द्रीय बैंक मर्यादित अमानत षाखा,
पुलिस स्टेषन सिवनी के बाजू में
सिवनी, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)                                  ...................अनावेदक

            आ  दे  श

( दिनांक:-28.10.2014 को पारित )
पीठासीन अध्यक्ष :- विमल प्रकाश शुक्ला,

1.             परिवादी ने अनावेदक के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सेवा में कमी के आधार पर खाता क्रमांक-8869, खाता क्रमांक-8870 एवं खाता क्रमांक-48813 को पूर्णत:देयपरिपक्वता तिथि से आगामी समयावधि 27 एवं 39 माहों के लिये रिन्यूवलनवीनीकृत किये जाने एवं सेवा में कमी के कारण मानसिक क्षति के लिये 25,000-रूपये, वादव्यय 2,000-रूपये दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।  

2.        परिवादी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी क्रमांक 1 परिवादी क्रमांक 2 की मां है। परिवादीगण ने भविश्य की सुरक्षा की दृशिट से राषि अनावेदकबैंक में म्यादी खाता में पृथक-पृथक रूप से 3 खातों जमा किया, जिनके खाता क्रमांक - 


प्रकरण क्रमांक:-392014

8869 राषि 97,000- रूपये दिनांक 01.6.2006 से दिनांक 01.6.2007 तक के लिये, खाता क्रमांक-8870 राषि 91,000-रूपये दिनांक-   01.9.12 तक पांच वर्श के लिये एवं खाता क्रमांक-48813 राषि 3,60,000-रूपये दिनांक 04.7.12 से एक वर्श तीन माह दिनांक-      04.10.13 तक के लिये थी। उक्त राषि जमा करते समय अनावेदक द्वारा परिवादीगण को यह आष्वासन दिया गया कि राषि जमा करने को आगे और समय के लिये जमा करना चाहे, तब उसे रिन्यूवल परिपक्वता के पष्चात कभी भी करार्इ जा सकती है, परन्तु रिन्यूवल अवधि पूर्व अवधि के बराबर कम से कम होना चाहिए। रिन्यूवल में विलंब होता है, तब रिन्यूवल निवेदनकार्यवाही पर परिपक्वता दिनांक से रिन्यूवल कर दिया जावेगा। परिवादीगण की तदानुसार राषियां जमा की गर्इ। अनावेदक द्वारा परिवादी के खाता क्रमांक-8869 राषि 97,000-रूपये परिपक्वता राषि 1,03,208 -रूपये दिनांक 01.6.06 से दिनांक 01.6.07 को देय थी। परिवादीगण भूलवष इसे रिन्यूवल नहीं करा पाये। परिवादीगण ने 4 वर्श पष्चात दिनांक 31.5.11 को इसे नवीनीकृत कराया, जो अनावेदक द्वारा बताये गये नियम एवं आष्वासन के अनुरूप 5 वर्श तक दिनांक 01.7.2012 तक नवीनीकृत किया गया। इसी प्रकार परिवादी ने 2 अन्य खातों में जमा राषि की परिपक्वता तिथि 01.9.12 एवं 04.10.13 को नवीनीकृत कराना चाहा, तब अनावेदक द्वारा परिवादी की दोनों खातों में जमा राषियों में रिन्यूवलनवीनीकरण नहीं किया गया। अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा बाद में परिवादी को यह जानकारी दी गर्इ कि नवीनीकरण प्रकि्रया बदल गर्इ है। परिवादी द्वारा रिन्यूवल हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र से रिन्यूवल किया जावेगा। परिपक्वता तिथि से रिन्यूवल नहीं होगा, जो अनावेदक की सेवा में कमी है।   अतएव परिवादीगण को अनावेदक से खाता क्रमांक-8869, खाता क्रमांक-8870 एवं खाता क्रमांक-48813 को पूर्णत:देयपरिपक्वता तिथि से आगामी समयावधि 27 एवं 39 माहों के लिये रिन्यूवलनवीनीकृत किये जाने एवं सेवा में कमी के कारण मानसिक क्षति के लिये 25,000-रूपये, वादव्यय 2,000-रूपये दिलाये जाने का निवेदन किया है।

3.       अनावेदक का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है परिवादी ने डबल डिपाजिट स्कीम के अंतर्गत अनुतोश चाहा है, जिसके अनुसार प्रत्येक 3 माह के 3 माह में ब्याज की गणना बैंक द्वारा चाही है, जो ब्याज की राषि प्राप्त होती है, उसे मूलधन के रूप में जमा किया जाता है और उसे ही मूलधन राषि पर पुन: ब्याज की गणना की जाती है। परिवादी ने मनगढ़न्त आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया है। अनावेदक द्वारा सेवा में कोर्इ कमी नहीं की गर्इ है। उपभोक्ता को रिन्यूवल कराने हेतु पृथक से आवेदन पत्र देना पडता है। परिवादी ने रिन्यूवल हेतु पृथक से कोर्इ आवेदन पत्र नहीं दिया था, जिसके कारण परिवादीगण की जमा राषियों का परिपक्वता दिनांक से रिन्यूवल नहीं दिया जा सकता। अतएव  अनावेदक ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।

4.        विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या अनावेदक द्वारा परिवादी को खाता कमांक-8869, खाता क्रमांक-8870 एवं खाता क्रमांक-48813   को रिन्यूवल परिपक्वता तिथि से न कर ''सेवा में कमी की गर्इ है ?  
     

प्रकरण क्रमांक:-392014

5.        यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने अनावेदकबैंक में खाता क्रमांक- 8869 राषि 97,000-रूपये दिनांक 01.6.2006 से दिनांक 01.6.2007 तक के लिये, खाता क्रमांक-8870 राषि 91,000-रूपये दिनांक-01.9.12 एवं खाता क्रमांक-48813 राषि 3,60,000-रूपये दिनांक 04.7.12 को जमा किया था।  


6.        परिवादी क्रमांक 2 संजीव कुमार ने षपथ पत्र पर प्रकट किया कि अनावेदक द्वारा उसे एवं उसकी मां को राषि जमा करते समय यह आष्वासन दिया गया था कि यदि जमा राषियों को आगे और जमा करता है, तब उसे रिन्यूवल परिपक्वता के पष्चात कभी भी किया जा सकता है। ऐसी रिन्यूवल अवधि पूर्व अवधि के बराबर कम से कम होना चाहिए, किन्तु उसमें षर्त यह बतायी गर्इ थी कि परिवादी रिन्यूवल अवधि पूर्व अवधि के बराबर कम से कम होना चाहिए। यदि रिन्यूवल कराने में विलंब होता है, तब रिन्यूवल परिपक्वता दिनांक से किया जाता है। उसने अनावेदक द्वारा दिये गये आष्वासन पर विष्वास कर राषियां जमा की थी। 


7.        परिवादी क्रमांक 2 संजीव कुमार ने षपथ पत्र पर प्रकट किया कि परिवादी के खाता क्रमांक-8869 राषि 97,000-रूपये परिपक्वता राषि 1,03,208 -रूपये दिनांक 01.6.06 से दिनांक       01.6.07 को देय थी। परिवादीगण भूलवष इसे रिन्यूवल नहीं करा पाये। परिवादीगण ने 4 वर्श पष्चात दिनांक 31.5.11 को इसे नवीनीकृत कराया, जो अनावेदक द्वारा बताये गये नियम एवं आष्वासन के अनुरूप 5 वर्श तक दिनांक 01.7.2012 तक नवीनीकृत किया गया। इसी प्रकार उसने 2 खातों की परिपक्वता तिथि से जमा राषि का रिन्यूवल कराना चाहा, तब उसे अनावेदक द्वारा यह जानकारी दी गर्इ कि रिन्यूवल आवेदन पत्र प्रस्तुत दिनांक अर्थात माह जनवरी से किया जावेगा। उसने तीनों म्यादी जमा राषियों का रिन्यूवल करने हेतु माह जनवरी 2014 में आवेदन पत्र दिया था, कुछ दिन रूकने के पष्चात खाता क्रमांक-8870 राषि 91,000-रूपये की रसीद गुम हो जाने से अनावेदक द्वारा परिवादी को नवीन रसीद बनवाने का सुझाव दिया गया। एक माह का समय नश्ट होने पर अनावेदक द्वारा परिवादी को यह जानकारी दी गर्इ कि नवीनीकरण की प्रकि्रया बदल दी गर्इ है। अब आवेदन पत्र देने के दिनांक से राषि का भुगतान होगा, परिपक्वता तिथि से नहीं होगा। 

8.        अनावेदक ने अपने जवाब आवेदन पत्र के साथ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित सिवनी का प्रोफार्म प्रस्तुत किया है, उसमें दोहरी बचतम्यादी बचत की नवीनीकरण बाबत निम्नानुसार प्रोफार्म टंकित है :- 

        

 

 

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, सिवनी (म0प्र0)

प्रति, 
        षाखा प्रबंधक महोदय,
        जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, सिवनी
        षाखा...................

विशय:-    दोहरी बचतम्यादी अमानत की नवीनीकरण बाबत।

        उपरोक्त विशयांतर्गत आपकी बैंक में मेराहमारे नाम............................. से दोहरी बचतम्यादी अमानत रसीद क्रमांक................ खाता क्रमांक............................. रू0...................... का खाता है जो कि दिनांक................. को डयू हो चुकाहे। अत: उसे डयू दिनांक से ........................... दिनमाहवर्शों के लिये नवीनीकरण करने का कश्ट करें। षेश राषि........................ मेरे सर्विस खाता क्रमांक.................................. में जमा करें। 
                                भवदीय

दिनांक.....................                हस्ताक्षर.......................
                        (नाम...............................)

9        उक्त प्रोफार्म में यह उल्लेख नहीं है कि यदि कोर्इ उपभोक्ता, जिसने पूर्व में राषि जमा किया है, का बाद में परिपक्वता अवधि के पष्चात रिन्यूवल कराना चाहता है, तब जिस अवधि में उपभोक्ता राषि का रिन्यूवल नहीं कर पाया है, उस अवधि की उसे सेविंग एकाउंट में प्रचलित ब्याज दर से ब्याज दी जाएगी। इसके बाद रिन्यूवल के उपरांत बैंक में प्रचलित नियमों के अनुसार ब्याज देय होगी। परिवादीगण ने हमारे समक्ष षाखा प्रबंधक सहकारी बैंक सिवनी को सम्बोधित पत्र दिनांक 17.02.14 की छायाप्रति प्रस्तुत की है, जिसमें परिवादी को तीनों खातों में जमा राषियों की रिन्यूवल के संबंध में अनावेदक के कर्मचारी द्वारा निम्नानुसार टीप लगार्इ गर्इ है कि :-

        ''षाखा दिनांक 25.4.2013 को कोर बैंकिंग हुर्इ है। दोहरी जमा खाता क्रमांक 48813 जो 3,60,000-रूपये डयू दिनांक 04.10.2013 डयू दिनांक पर भुगतान राषि 4,06,562-रूपये है। उक्त रसीद की डयू दिनांक पर आगामी डयू दिनांक नहीं बढार्इ जाने से डयू राषि पर भुगतान दिनांक पर ब्याज दर सेविंग खाता के समान भुगतान की जावेगी। इसी प्रकार खाता क्रमांक 8869 पर भी लागू रहेगा। 

10.        हम यह उल्लेख करना प्रासंगिक समझते हैं कि परिवादी ने अनावेदक के समक्ष खाता क्रमांक 8869 राषि 97,000-रूपये दिनांक 01.6.06 एक वर्श के लिये जमा किया था, बाद में इसका रिन्यूवल कराया गया, तब बैंक के प्रचलित नियमों के अनुसार परिपक्वता दिनांक से रिन्यूवल कराये जाने की तिथि तक रिन्यूवल किया गया है। बाद में परिवादीगण ने पुन: अन्य दो जमा राषियों की रसीदों का रिन्यूवलनवीनीकरण कराना चाहा, तब अनावेदक द्वारा यह आपतित ली गर्इ है कि परिपक्वता दिनांक से रिन्यूवल कराये जाने की तिथि के मध्य 

 

प्रकरण क्रमांक:-392014
सेविंग ब्याज दर से ब्याज देय होगी, इसके पष्चात उसे पुन: बैंक के प्रचलित नियमों के अनुसार सावधि ब्याज प्रदाय की जाएगी। हम अनावेदक अधिवक्ता के उक्त तर्को से सहमत नहीं है, जब परिवादी की एक जमा राषि में परिपक्वता दिनांक के बाद जिस तारीख को रिन्यूवल किया गया है, उसी तारीख से जमा राषि की रसीद का रिन्यू करते हुए बैंक में प्रचलित ब्याज दर के अनुसार कार्यवाही की गर्इ है, तब परिवादीगण द्वारा जमा की गर्इ अन्य राषियों के संबंध में भी वही नियमप्रकि्रया अपनाना चाहिए था। अनावेदक ने हमारे समक्ष बैंक का ऐसा कोर्इ सरकुलरलेखीय प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया, जिसके आधार पर हम यह निश्कर्श निकाल सके कि अनावेदकसहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित द्वारा नियमों में परिवर्तन करते हुए यह निर्णय लिया गया हैं कि यदि उपभोक्ता पूर्व में राषि जमा करता है और परिपक्वता दिनांक पर वह उपसिथत नहीं होता है, बाद में उपभोक्ता उपसिथत होता है, तब परिपक्वता दिनांक से जिस तारीख को उपभोक्ता उपसिथत होता है, उस अवधि की देय ब्याज सेविंग एकाउंट पर देय ब्याज के अनुरूप जोडा जावेगा। 
11.         उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस निश्कर्श पर पहुंचते है कि अनावेदकबैंक द्वारा परिवादीगण के खाता क्रमांक-8869 राषि 97,000-रूपये जो दिनांक 01.6.2006 से दिनांक 01.6.2007 तक के लिये देय था, का जिस प्रकार दिनांक-01.9.12 तक रिन्यू करते हुए ब्याज जोडा गया था वही प्रकि्रया अन्य दोनों खातों में जमा राषियों के रिन्यूवल के संबंध में भी अपनायी जानी थी। अनावेदक द्वारा परिवादीगण की जमा राषियों के संबंध मेंजो निर्णय लिया गया है, वह युकितयुक्त नहीं है। इससे परिवादीगण को जो मानसिक कश्ट हुआ, उसके लिये हम परिवादीगण को 3,000-रूपये प्रतिकर की राषि दिलाया जाना उचित समझते हैं। 
12.         उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम परिवादी के पक्ष में निम्न आशय का आदेश पारित करते हैं :- 
         ¿1À    अनावेदकबैंक परिवादीगण की तीनों सावधि जमा खाता क्रमांक-8869 (पूर्णता अवधि दिनांक-01.9.2012), खाता क्रमांक-8870 पूर्णता अवधि दिनांक-01.9.2012) एवं खाता क्रमांक-488103 (पूर्णता अवधि दिनांक-04.10.2013) को पूर्णता परिपक्वता देय तिथि से आगामी समयावधि 27 एवं 39 माहों के लिये बैंक के प्रचलित नियमों के अनुसार रिन्यूवलनवीनीकृत करें। 
         ¿2À  अनावेदक परिवादीगण को मानसिक कष्ट हेतु 3,000-रूपये ¿तीन हजार रू0À एक माह में अदा करे।
     ¿3À    अनावेदक परिवादीगण को वाद व्यय हेतु 1,000-रूपये ¿एक हजार रू0À एक माह में अदा करें। उपरोक्त समस्त राषि आदेष दिनांक से एक माह में अदा कर दी जावे अन्यथा संपूर्ण आदेषित राषि पर आदेश दिनांक से 10 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज देय होगा। 
13.        आदेष की प्रति पक्षकारों को नि:षुल्क प्रदान की जावे। 

   मैं सहमत हूँ।                        मेरे निर्देषन में टंकित किया गया।

        

(वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                             (व्ही0पी0 षुक्ला)
      सदस्य                                                अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                            जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                          प्रतितोषण फोरम,सिवनी
     (म0प्र0)                                                        (म0प्र0)  

     
 
 
  
 
 
 

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