Nirmal Sharma filed a consumer case on 27 Jan 2016 against Jenroul Moters Corporation in the Kota Consumer Court. The case no is CC/31/2010 and the judgment uploaded on 08 Feb 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या- 31 /10
श्रीमति निर्मला शर्मा पत्नी दिनेश कुमार शर्मा जाति ब्राहमण निवासनी ग्राम सांदडी, पोस्ट तालेडा, जिला बूंदी -परिवादिया।
बनाम
01. जनरल मोटर्स काॅर्पोरेशन, द्वारा -शेवरोलेट सेल्स इण्डिया प्रा0लि0, प्रथम तल, प्लाट नं. 15, सेक्टर-32, गुडकाॅव-122001
02. शेवरोलेट सेल्स इण्डिया प्रा0लि0 ब्लाॅक- बी, चन्द्रपुरा इण्डस्ट्रियल एस्टेट, हलोल-389351
93. ट्रम्प मोटर्स, ई-137-सी, रोड नं.-5, आई0पी0आई0ए0, झालावाड रोड कोटा (राजस्थान) -विपक्षीगण
समक्ष
भगवान दास - अध्यक्ष
महावीर तंवर - सदस्य
हेमलता भार्गव - सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1 श्री विजय सिंघल , अधिवक्ता, परिवादिया की ओर से।
2 श्री एम.पी. सक्सेना, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 व 2 की ओर से।
3. श्री चन्द्र मोहन शर्मा, अधिवक्ता विपक्षी सं. 3 की ओर से।
निर्णय दिनांक 27.01.16
परिवादिया ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह दोष बताया है कि उसने अपना वाहन आर.जे. 08 य.ए. 0485 दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने के कारण रिपेयर हेतु विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप पर दिनांक 05.01.09 को दिया जिसका एस्टीमेट नं. 175 पांच लाख बीस हजार चार रूपये का दिया गया। वाहन की पूरी रिपेयर वर्क आर्डर दिये जाने के 15 दिन में करके सुपुर्द करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उसे वाहन दिनांक 09.05.09 को बार-बार तकाजा करने व नोटिस देने के उपरान्त सुपुर्द किया गया, उस समय भी वाहन की पूरी तरह रिपेयर नहीं हुई थी, कार्य संतोषप्रद नहीं था। परिवादिया ने अंडर-प्रोटेस्ट वाहन प्राप्त किया था। इस प्रकार वाहन की रिपेयर करन में सुपुर्द करके अनावश्यक असामान्य विलम्ब किया गया। विपक्षी सं-3 ने समय पर एस्टीमेट बजाज एलायन्ज जनरल इंशोरेन्स कंपनी लिमिटेड द्वारा नियुक्त सर्वेयर एम.एन. चतुर्वेदी को नहीं दिया इसके अलावा उक्त सर्वेयर एवं विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप इंचार्ज मनोज कुमार ने आपसी मिली-भगत करके ही परिवादिया को नुकसान पहुुंचाने हेतु वाहन के रिपेयर करने में अत्यधिक समय व्यतीत किया जबकि परिवादिया ने विपक्षी सं. 3 को दिनांक 14.03.09 को पचास हजार रूपये एवं 29.04.09 को एक लाख रूपये रिपेयर के पेटे अदा कर दिये थे। दिनांक 09.05.09 को वाहन संभलाते समय लेबर चार्जेज के मनमाने तौर पर सत्तर हजार रूपये वसूल किये गये जिसका विवरण नहीं बताया गया। वाहन में पाटर््स डाले बिना ही उनकी राशि वसूल कर ली, राइट फ्रंट-साइड का टायर ब्रिज स्टोन कंपनी का पुराना टायर लगाया गया, जिसकी शिकायत करने पर 11.05.09 को बदल कर अपोलो कंपनी का लगाया गया, वाहन की सीट-बेल्ट व दोनो फ्रंट व्हील केप अवैध रूप से खोल लिये, वाहन का अलाइमेन्ट चैक नहीं किया, न ही व्हील-बेलेन्सिंग की गई, वाहन में कई एसेसरीज लगी हुई थी जिनको लगाने से इंकार कर दिया, टेस्ट ड्राइव में पीछले हिस्से में आ रही आवाज की शिकायत करने पर भी उसको ठीक नहीं किया। वाहन के रिपेयर करने में हो रही देरी के बारे में बार-बार यही बताया गया कि स्पेयर पार्ट्स के लिये इण्डेन्ट कंपनी को भेजे गये हैं लेकिन इण्डेन्ट कब भेजे इस बाबत् मांगने पर भी सूचना नहीं दी गई ? इसलिये विपक्षी सं. 3 ने आवश्यक पार्ट्स समय पर नहीं मंगाकर लापरवाही की। रिपेयर में किये गये असामान्य विलम्ब को छिपाने की नियत से ही दिनांक 30.04.09 की तारीख में बिल बना दिया गया जबकि उस समय तक वाहन की रिपेयरिंग पूरी नहीं हुई थी। दिनांक 09.05.09 को वाहन को अंडर प्रोटेस्ट प्राप्त करने के बाद 2-3 दिन पश्चात् कमियों को दूर करने के लिये पुनः विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप पर ले जाया गया तथा 11.05.09 को नोटिस भी दिया गया तब कुछ कमियाॅं दूर की गई, शेष कमियां दूर नहीं की गई । पुनः 26.06.09 को वाहन को विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप पर ले जाया गया जिसमें आवाज आने, टायर खाने, ए0सी0 से कूलिंग सही नहीं होने, छत टपकने ,100 किलो मीटर स्पीड पर स्टेरिंग हिलने आदि की शिकायतें की गई वाहन दिनांक 01.07.09 को वापस दिया गया लेकिन उक्त शिकायतें दूर नहीं की गई, बाॅडीशैल नहीं बदला गया। परिवादिया ने दिनांक 13.05.09 को वाहन का एलाईमेन्ट लाल जी टायर केयर, कोटा पर कराया, व्हील केप की राशि गलत वसूल की गई। विपक्षी सं. 3, विपक्षी सं. 1 व 2 का अधिकृत डीलर हैं, उनके अधीन है इसलिये उसकी कमियों व लापरवाही के लिये विपक्षी सं. 1 व 2 भी उत्तरदायी हंै। वाहन की रिपेयर करने मंे असामान्य विलम्ब करने से परिवादिया को अपने आवश्यक घरेलू कार्यों को करने के लिये किराये पर अन्य वाहन लेने पडे। दिनांक 09.05.09 को पूरी व संतोषप्रद रिपेयर नहीं करने, उसके बाद 13.05.09 व 26.06.09 को भी शिकायत करने के बावजूद पूरी रिपेयर नहीं करने, बिना पाटर््स लगाये राशि वसूलने, लेबर चार्जेज की मनमानी राशि लेने विभिन्न सामान/ एसेसरीज रख लेने से परिवादिया को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक परेशानी व मानसिक पीड़ा उठानी पडी, जिस हेतु विपक्षीगण से 1,75,000/- रूपये व अन्य व्यय दिलाने की मांग की गई।
विपक्षी सं. 1 व 2 के जवाब का सार है कि विपक्षी सं. 3 उनके अधीन नहीं है, उसके कृत्यों के लिए वे उत्तरदायी नहीं है, परिवादिया ने निजि वाहन का उपयोग टेक्सी के रूप में व्यवसाय के लिये किया है इसलिये परिवाद चलने योग्य नही है। वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ इसलिये वारंटी लागू नहीं है। वाहन में कोई निर्माण-दोष नहीं है। पूरा विवाद बीमा-कंपनी एवं परिवादिया के मध्य है परिवादिया ने वाहन की रिपेयर करने हेतु सहमति देने में विलम्ब किया व बीमा-कंपनी ने भी रिपेयर की अनुमति नहीं दी, इसी कारण रिपेयर में समय लगा। परिवादिया के नोटिस का उचित एवं सही जवाब दिया गया। वाहन के रिपेयर में नियमानुसार राशि ली गई कोई भी राशि अनुचित नहीं ली गई विपक्षी सं. 3 ने वाहन की सर्विस / रिपेयर सुचारू रूप से की तथा निर्धारित अवधि में परिवादिया को ट्रायल देकर संपूर्ण संतुष्ट होने पर सुपुर्द किया गया। विक्रेता से पार्ट्स की डिमांड प्राप्त होने पर अविलम्ब उपलब्ध कराये जाते हैं। 15 दिवस में वाहन रिपेयर करने का कोई आश्वासन नहीं दिया था। उन्हंे अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है, उनका कोई सेवादोष नहीं है।
विपक्षी सं. 3 के जवाब का सार है कि बीमाकर्ता - मै0 बजाज एलाईन्ज जनरल इंश्योरेन्स कं. लि. व परिवादिया के मध्य ही मूल विवाद है, उक्त बीमा कंपनी को पक्षकार ही नहीं बनाया गया इस कारण परिवाद चलने योग्य नहीं है। परिवादिया के अलावा बीमा कंपनी के सर्वेयर को भी तत्काल एस्टीमेट उपलब्ध करवा दिया गया। बीमा कंपनी के सर्वेयर व परिवादिया के मध्य सहमति नहीं बनने के कारण उन्हें कार्य प्रारंभ करने के निर्देश नहीं दिये, परिवादिया ने भी अपने स्तर पर रिपेयर एस्टीमेट की पूरी राशि उनके यहाॅ जमा नहीं कराई, रिपेयर करने की सहमति नहीं दी परिवादिया को 06.03.09 को पत्र लिखकर वाहन रिपेयर करने की लिखित अनुमति व निर्देश चाहे गये लेकिन परिवादिया या बीमा कंपनी ने निर्देश नहीं दिये। दिनांक 14.03.09 को एडवान्स राशि 50,000/- रूपये जमा कराने पर तत्काल रिपेयर कार्य प्रांरभ किया गया। परिवादिया को ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया कि रिपेयर में अनुमानित 15-20 दिन का समय लगेगा दिनांक 14.03.09 के पश्चात् परिवादिया ने रिपेयर खर्च पेटे एक लाख रूपये 29.04.09 को अदा किये। वाहन के रिपेयर करने में कोई अनावश्यक या असामान्य विलम्ब नहीं किया गया। वाहन की पूरी व सही, संतोषप्रद रिपेयर करके परिवादिया को सुपुर्द किया गया था। रिपेयर करने के बिल में कोई अनुचित राशि नहीं लगाई गई कार्य के अनुरूप ही सही राशि ली गई, लेबर चार्जेज भी सही लिये गये। ब्रिज-स्टोन का टायर भी ब्रांडेन्ड कंपनी का है वह भी परिवादिया की इच्छा पर बदल दिया गया, सीट-बेल्ट व फ्रंट-व्हील केप रखने की कहानी पूरी तरह झूंठी है। परिवादिया से व्हील बेलेन्सिग एवं अलाईमेन्ट के कोई चार्जेज नहीं लिये गये, जो पाटर््स बदले गये उनकी ही राशि ली गई कोई खराब पार्ट्स नहीं लगाये। पाटर््स विपक्षी सं. 1 व 2 से प्राप्त किये गये। बीमा-कंपनी के सर्वेयर ने बाॅडीशैल लगाने की स्वीकृति नहीं दी, केवल रिपेयर करने की स्वीकृति दी थी। दिनांक 11.05.09 का कोई नोटिस विपक्षी को नहीं मिला दिनांक 09.05.09 को वाहन संभालते समय उसमें कोई कमी नहीं थी, बाद में लाने पर सही एवं उचित सर्विस व रिपेयर की गई। रिपेयर करने में कोई कमी या लापरवाही नहीं की गई, कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया गया, कोई अधिक राशि नहीं ली गई। परिवाद झूंठा पेश किया गया।
परिवादिया ने साक्ष्य में अपना, अपने पति दिनेश कुमार शर्मा एवं नूर मोहम्मद उर्फ नूर भाई के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये हैं, इसके अलावा बीमा कंपनी को प्रेशित नोटिस दिनांक 13.02.09,06.03.09, उनके सर्वेयर से प्राप्त पत्र दिनांक 20.02.09 विपक्ष सं. 3 से प्राप्त जवाब नोटिस दिनांक 18.04.09, विपक्षी सं. 3 को प्रेषित लीगल नोटिस दिनांक 26.02.09,06.03.09,08.05.09,11.05.09 उनकी कोरियर/पोस्टल-रसीद, दिनांक 29.04.09 की विपक्षी सं. 3 की प्रोफार्मा इनवाईस, दिनांक 29.05.09 रिटेल इनवाईस, विपक्षी सं. 3 की रकम प्राप्ति रसीद दिनांक 14.03.09,29.04.09 व 09.05.09, लालजी टायर केयर की जोबशीट दिनांक 13.05.09, विपक्षी सं. 3 रिटेल इनवाईस दिनांक 13.05.09, जोबशीट दिनांक 26.06.09, रिटेल बिल दिनांक 01.07.09, विवाह कार्ड आदि दस्तावेजात की प्रतियां प्रस्तुत की।
विपक्षी सं. 1 व 2 ने साक्ष्य मं अधिकृत प्रतिनिधि राजेश पंवार का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया ।
विपक्षी संख्या 3 ने अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता प्रवीण कुमार जैन का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवादिया के परिवाद, उसकी ओर से प्रस्तुत शपथ-पत्रों व दस्तावेजात से ही निम्नलिखित तथ्य प्रकट होते है:-
(1) विपक्षी सं. 3 को रिपेयर हेतु वाहन 05.01.09 को दिया गया जिसका रूपये 5,20,004/- का एस्टीमेट उसी रोज परिवादिया को दे दिया गया।
(2) परिवादिया ने विपक्षी बीमा कं. को नोटिस दिनांक 13.02.09 व 06.03.09 प्रेषित कर उनसे रिपेयरेबल/रिप्लेसेबल पार्ट्स व लेबर पेमेन्ट के विवरण एवं रिपेयर कराने के निर्देश वाहन के रिपेयर कराने हेतु मांगे तथा यह भी अवगत कराया कि विपक्षी सं. 3 रिपेयर हेतु लिखित निर्देश चाह रहे हैं अथवा परिवादिया द्वारा 50,000/- जमा कराने के लिये कहा गया है।
(3) परिवादिया ने विपक्षी सं. 3 को वाहन रिपेयर हेतु 14.03.09 को रूपये 50,000/- एडवान्स अदा किये तथा 29.04.09 को एक लाख रूपये तथा वाहन 09.05.09 को प्राप्त करते समय दो लाख आठ हजार एक सौ रूपये अदा किये।
(4) परिवादिया को विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वेयर ने पत्र दिनांक 20.02.09 से यह भी अवगत कराया कि उसका क्लेम-फार्म अपूर्ण है, अन्वेषण चल रहा है इसी कारण रिपेयर कराने में विलम्ब हो रहा है, विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप प्रभारी को बीमाधारी की रिस्क पर ही रिपेयर शुरू करने हेतु कहा गया है।
(5) परिवादिया द्वारा 14.03.09 को एडवान्स बतौर रूपये पचास हजार जमा कराने पर ही रिपेयर शुरू हुई।
(6) परिवादिया ने विपक्षी सं. 3 से वाहन प्राप्त करते समय बिल पर अंडर- प्रोटेस्ट प्राप्त करने, कार्य अधूरा होने व सेवा संतोषप्रद नहीं होने की टिप्पणी अंकित की लेकिन सामान या एसेसरीज रख लेने, लेबर चार्ज अधिक लगाने, पाटर््स लगाये बिना चार्ज लगाने आदि की कोई विशिष्ट टिप्पणी अंकित नहीं की। कार्य कैसे अधूरा है? एवं किस प्रकार असंतोषप्रद है? इसकी कोई खुलासा टिप्पणी अंकित नहीं की?
(7) कार्य अधूरा होने या सही नहीं होने बाबत् किसी मैकेनिक की कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है।
(8) दिनांक 09.05.09 को वाहन प्राप्त करने के उपरान्त 11.05.09 को प्रेषित नोटिस में भी खुलासा नहीं किया कि किस-किस पाटर््स की कीमत बिना लगाऐ वसूल की गई है? लेबर चार्ज किस प्रकार अधिक है इसका भी खुलासा नहीं किया गया?
(9) बिल दिनांक 09.05.09 में परिवादिया से व्हील बैलेसिंग व एलाइनमेन्ट के कोई चार्ज नहीं लिये गये।
(10) दिनांक 11.05.09 को परिवादिया के वाहन में ब्रिजस्टोन कं. के स्थान पर अपोलो कंपनी का टायर लगा दिया गया । दिनांक 11.05.09 को अन्य कौन-कौन सी कमियाॅ बताई गई, जिन्हे दूर नहीं किया, इसका भी खुलासा नहीं किया ? तथा न ही 11.05.09 को शिकायत करने की जाबशीट पेश की गई।
(11) दिनांक 09.05.09 के पश्चात् 47 दिन तक वाहन का उपयोग करके 26.06.09 को वाहन को मरम्मत हेतु विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप पर ले जाया गया, जिसकी जोबशीट बनाई गई है। उस समय जो शिकायत बताई, वे 09.05.09 से ही आ रही है ऐसा खुलासा नहीं किया, तथा उसे रिपेयर कर 01.07.09 को संभलाया तब कौन सी शिकायत दूर नहीं की इसका भी खुलासा नहीं किया गया ?
(12) विपक्षी सं. 3 को वर्क आर्डर किस तिथि को दिया गया, इसका कोई खुलासा नहीं किया गया?
विपक्षी सं. 3 ने जवाब व जवाब नोटिस दिनांक 18.04.09 में प्रकट किया है कि वाहन रिपेयर का काम 14.03.09 को एडवान्स राशि रूपये पचास हजार जमा कराकर सहमति देने पर शुरू किया गया तथा परिवादिया के पति दिनांक 09.05.09 को ही डिलीवरी लेने आये थे, लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि वाहन की पूरी रिपेयर 09.05.09 से पूर्व ही हो चुकी थी तथा परिवादिया को इससे पूर्व ही वाहन ले जाने की सूचना भेजी गई थी, लेकिन उनके द्वारा वाहन ले जाया नहीं गया था।
2- वाहन में बदले गये पाटर््स निर्माता विपक्षी सं 1व 3 से प्राप्त किये गये लेकिन यह खुलासा नहीं किया है कि उन पाटर््स के लिये डिमांड (इन्डेन्ट)कब भेजी व कब प्राप्त हुये?
परिवादिया एवं विपक्षीगण के उपरोक्त अभिकथनों की रोशनी में हमारा मत है कि विपक्षी सं. 3 के वर्कशाॅप मैनेजर व बीमा कंपनी के सर्वेयर मंे मिली-भगत के कारण रिपेयर में विलम्ब की परिवादिया की कहानी प्रथम दृष्ट्या ही सही नहीं है क्योंकि विपक्षी बीमा कंपनी या उसके सर्वेयर को पक्षकार ही नहीं बनाया गया है इसलिये उनके बारे में कोई भी आरोप विचार योग्य नहीं है। विवाद विपक्षी सं. 3 द्वारा समय पर एवं सही रिपेयर नहीं करने के संबंध में है, जिसका विपक्षी सं. 1 व 2 से कोई लेशमात्र भी संबंध नहीं है तथा विपक्षी सं. 3 उनके अधीन नहीं होकर स्वतंत्र व्यवसायी है, इसलिये उसके किसी कृत्य के लिये विपक्षी सं. 1 व 2 उत्तरदायी भी नहीं हो सकते है, उनके विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है।
विपक्षी सं. 3 द्वारा वाहन के रिपेयर करने के दौरान बिना पाटर््स लगाये राशि वसूलने, अधिक लेबर चार्ज लगाने, वाहन का सामान रख लेने, अपूर्ण कार्य करने या कार्य संतोषप्रद नहीं होने के बाबत् पुष्टि हेतु परिवादिया ने कोई विशिष्ट, सुनिश्चित एवं विशेषज्ञ/मैकेनिक की साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है इसलिये तत्संबंधी दोष/सेवादोष को वह सिद्ध नहीं कर सकी है। विपक्षी सं. 3 ने परिवादिया से 14.03.09 को रिपेयर की सहमति मिलने के बाद 09.05.09 को अर्थात् 47 दिन बाद रिपेयर करके लौटाया है जो साधारणतया असामान्य एवं युक्ति-युक्त से अधिक समय है, रिपेयर में इतनी अवधि लगने का कोई विशिष्ट संतोषजनक एवं युक्ति-युक्त खुलासा नहीं किया है। वाहन में बदले गये व लगाये गये नये पाटर््स निर्माता से कब मंगाये व कब प्राप्त हुये, इसका भी खुलासा नहीं किया है इसलिये हम पाते है कि वाहन की रिपेयर करने में वांछित शीघ्रता नहीं की गई अपतिु असामान्य एवं अयुक्ति युक्त समय लिया गया जो कि प्रकटतः सेवादोष है एवं इसके कारण परिवादिया को शारीरिक व मानसिक पीडा होना भी स्वाभाविक है जिसकी भरपाई करने के लिये विपक्षी सं. 3 उत्तरदायी है।
आदेश
अतः परिवादिया का परिवाद विपक्षी सं. 3 के विरूद्ध अंशतः स्वीकार किया जाकर विपक्षी सं. 3 को निर्देश दिये जाते है कि परिवादिया को दो-माह में क्षतिपूर्ति बतौर कुल रूपये 30,000/- (तीस हजार) रूपया एवं परिवाद व्यय के पेटे 3,000/- (तीन हजार) रूपये अदा किये जावे। उक्त नियत समय तक अदायगी नहीं करने पर उसके बाद से भुगतान करने तक उक्त राशि पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी अदा करना होगा।
विपक्षी सं. 1 व 2 के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है।
(महावीर तंवर) (हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 27.01.16 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
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