Rajasthan

Barmer

CC/34/12

ANNA RAM - Complainant(s)

Versus

JDVVNL AND OTHERS - Opp.Party(s)

L.K.SHARMA

08 Jan 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, बाड़मेर (राजस्थान) कैम्प बालोतरा
अध्यक्ष: श्री मिथिलेश कुमार शर्मा
सदस्या: श्रीमती ममता मंगल
सदस्य : श्री अशोक कुमार सिंधी
परिवाद संख्या 34/2012
परिवादी:
    अन्नाराम पुत्र भीयाराम विश्नोई
    निवासी भाकरासनी हाल देवड़ा के ग्राम दुर्गापुरा
    तहसील सिवाना जिला बाड़मेर (राज.)
    
        बनाम
विप्रार्थीगण :
1.    मुख्य अभियन्ता (सी.ई.)
जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. प्रधान कार्यालय जोधपुर।
2.    अधीक्षण अभियन्ता
जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. बाड़मेर।
3.    सहायक अभियन्ता
जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. सिवाना।
उपस्थित:-
1.    परिवादी की ओर से श्री लूणकरण शर्मा एडवोकेट।
2.    विप्रार्थीगण की ओर से श्री चन्द्रप्रकाश गुप्ता एडवोकेट।
 
ःःनिर्णय:ः     दिनांक: 08.01.2015  

1.    परिवादी ने यह परिवाद इन तथ्यों का पेश किया है कि परिवादी का खातेदारी एवं कब्जा काश्त का खेत खसरा नम्बर 321 रबा 28 बीघा 3 विश्वा, खेत खसरा नम्बर 279 रकबा 33 बीघा 18 विश्वा एवं खेत खसरा नम्बर 320 रकबा 10 बीघा 2 विश्वा तथा खेत खसरा नम्बर 319 रकबा 15 बीघा 18 विश्वा की भूमि सरहद मौजा गांव दुर्गापुरा पटवार क्षैत्र देवड़ा तहसील सिवाना में स्थित है। जिसमें परिवादी का 1/2 हिस्सा कब्जा काश्त का है। उपरोक्त चारों खसरा भूमि पास-पास स्थित है, जिसमें खेत खसरा नम्बर 321 में परिवादी का ट्यूबवेल लगा हुआ है तथा उक्त ट्यूबवेल 10 हार्स पाॅवर की इलेक्ट्रीक मोटर मशीन व पाईप में लगे हुए है। ट्यूबवेल पर विद्युत कनेक्शन की प्राथमिकता की सरकारी योजना अनुसार परिवादी ने विप्रार्थी संख्या 3 से अपने ट्यूबवेल पर विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन पत्र दिनांक 08.06.2011 को प्रस्तुत किया साथ ही अपना शपथ पत्र भी पेश किया। जिस पर औपचारिकता हेतु आवेदन पत्र को तारीख 01.08.2011 को सही होना चैक करते हुए विप्रार्थी संख्या 2 को भेज दिया। उक्त आवेदन पत्र के आधार पर विप्रार्थी संख्या 3 ने परिवादी को तारीख 12.09.2011 को मांग पत्र सूचना भेजी, जिस पर माफिक डिमांड पत्र के परिवादी ने तारीख 16.09.2011 को रूपये 18490/- विप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में अदा कर रसीद हासिल की तब विप्रार्थी संख्या 3 ने परिवादी के नाम खाता संख्या 2111-0089 अपने रेकर्ड में दर्ज कर विद्युत कनेक्शन खाता खोला गया। उक्त खाता खोलने एवं डिमांड राशि विप्रार्थीगण को अदा करने से परिवादी विप्रार्थीगण का उपभोक्ता बना।
2.    विप्रार्थीगण का जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. के नाम से एक गठित निगम है जो यह विभाग पूरे संभाग में विद्युत वितरण व सप्लाई का कार्य करता है, जिसका मुख्यालय जोधपुर में है, जिसके अधीन पूरे जोधपुर संभाग में सर्बोडिनेट कार्यालय है। विप्रार्थी संख्या 2 जोधपुर संभाग में बाड़मेर जिले की विद्युत वितरण व सप्लाई का कार्य देखता है तथा विप्रार्थी संख्या 3 विप्रार्थी संख्या 1 के अधीन व विप्रार्थी संख्या 2 के नियंत्रण में सिवाना उपखण्ड में विद्युत वितरण व सप्लाई के कार्य को देखता है जिससे सभी विप्रार्थीगण एक दूसरे के लिए किये गये कार्यों के लिए पृथकतः व संयुक्त समान से उŸारदायी है।
3.    परिवादी के खातेदारी व कब्जा काश्त के खेत खसरा नम्बर 321 में परिवादी का ट्यूबवेल खुदा हुआ है जिस पर 10 एच पी की इलेक्ट्रीक मोटर लगी हुई है। परिवादी एक काश्तकार है, परिवादी के इस खसरा भूमि में फसले भी मूंग, मोठ, बाजरा की बोई हुई है, जिनको पानी से सिंचाई हेतु व पैदावार अच्छी होने की आशा व विश्वास के साथ परिवादी ने ट्यूबवेल पर विद्युत कनेक्शन हेतु विप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में आवेदन तारीख 08.06.2011 को दिया जिस पर विप्रार्थी संख्या 3 ने परिवादी को तारीख 1209.2011 को डिमांड नोटिस में अंकित रकम को निर्धारित तिथि से पूर्व राशि रूपये 18491/- तारीख 16.09.2011 को विप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में जमा कराई। जिसकी रसीद नम्बर 75 तारीख 16.09.2011 को विप्रार्थी द्वारा परिवादी को दी गई तथा खाता संख्या 211100089 को विप्रार्थी के खाता बुक मंे परिवादी के नाम दर्ज किया गया, उपरोक्त डिमांड राशि अदा करने के उपरान्त भी आज रोज तक परिवादी को उसके खातेदारी भूमि में विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया। जबकि नियमानुसार डिमांड राशि जमा कराने के 30 दिन के भीतर विद्युत कनेक्शन दिया जाना आवश्यक होता है, इस बाबत् परिवादी ने विद्युत कनेक्शन हेतु विप्रार्थी संख्या 2 व 3 के कार्यालय अधिकारी से मिलने हेतु कई बार चक्कर लगवाये व बार-बार मौखिक व लिखित निवेदन भी किया मगर बावजूद निवेदन के भी परिवादी के निवेदन को दर किनार करते हुए बिना किसी कारण के इंकार कर दिया व विद्युत कनेक्शन नहीं दिया। जिससे परिवादी को काफी आर्थिक नुकशान भी हुआ साथ ही साथ भारी मानसिक परेशानी भी हुई। परिवादी की आजिविका पर भी बहुत बुरा असर पड़ा। परिवादी की फसले पानी की सिंचाई के अभाव मंे सुख गई व नष्ट हो गई, जिसके नुकशान का रूपये 40,000/- बतौर हर्जाना विप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है।
4.    परिवादी एक उपभोक्ता है, विप्रार्थीगण विद्युत सप्लाईकर्ता परिवादी को तमाम नुकशानी एवं मानसिक परेशानी विप्रार्थीगण द्वारा बरती गई उपेक्षा लापरवाही व गलती तथा दोषपूर्ण सेवाएं एवं सेवाओं में अवैध रूप से की गई कटौती के कारण हुआ है, विप्रार्थीगण ने अपनी गलती छुपाने के लिए तथा परिवादी द्वारा बार-बार निवेदन के उपरान्त भी पोल लगाने का एस्टीमेन्ट ज्यादा होना बताकर एवं भारी राशि की रिश्वत नहीं देने पर विद्युत कनेक्शन न देने की धमकी देकर विप्रार्थीगण ने सेवाओं मंें भारी त्रुटि व कटौति की है, विप्रार्थीगण की गलती से परिवादी को जो मानसिक पीड़ा पहॅॅुची उसके हर्जाने के लिए राशि रूपये 5000/- तथा फसलों व सब्जियों, फुलवारी का जो आर्थिक नुकशान हुआ है, उसके हर्जाने के रूपये 35,000/- कुल रूपये 40,000/- परिवादी विप्रार्थीगण से बतौर हर्जाना प्राप्त करने का अधिकारी है।
5.    परिवादी का निवास देवड़ा के गांव दुर्गापुरा तहसील सिवाना होने से एवं परिवादी विप्रार्थीगण का उपभोक्ता होने से बावजूद डिमांड राशि अदा करने के परिवादी को विद्युत कनेक्शन नहीं देने, उस हेतु ठोस वजह नहीं बताने तथा तहकीकात या जांच नहीं करने से तथा विद्युत कनेक्शन नहीं देने की धमकी देने से तथा परिवादी द्वारा विद्युत कनेक्शन हेतु बार-बार मौखिक व लिखित निवेदन करने के उपरान्त भी कोई जवाब न देने से वाद हेतु सिवाना पैदा होने का भी तथ्य वर्णित किया है, तथा इस मंच को क्षैत्राधिकार होने का तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है।
6.    विप्रार्थीगण की ओर से उक्त परिवाद के तथ्यों का जवाब पेश किया गया है जिसमें यह वर्णित है कि परिवादी की खातेदारी भूमि का जो विवरण प्रस्तुत किया है वह रेकर्ड अनुसार सही है व परिवादी ने विद्युत सम्बन्ध हेतु आवेदन पत्र अवश्य प्रस्तुत किया है व मांग पत्र के अनुसार 16.09.2011 को डिमाण्ड राशि 18,490/- रूपये अवश्य जमा कराये है। परिवादी द्वारा डिमाण्ड राशि जमा कराने के बाद जो सामान उपकरण विप्रार्थी के पास उपलब्ध था, दिया गया व बाकी सामान विभाग में उपलब्ध नहीं होने के कारण नहीं दिया जा सका। व उपकरण सामान आदि फरवरी 12 में उपलब्ध होने पर दिया गया व परिवादी का कनेक्शन 25.02.2012 को चालु कर दिया गया जो वर्तमान में चालु है। विप्रार्थी ने जानबूझकर देरीना नहीं की है व डिमाण्ड राशि जमा कराने के 30 दिन के भीतर विद्युत कनेक्शन करने का कोई प्रावधान नहीं है। विप्रार्थी द्वारा विद्युत संबंध करने में देरी नहीं की है विभागीय उपकरण उपलब्ध होते ही विद्युत संबंध कर दिया गया। परिवादी ने परिवाद में फसल नष्ट होने पर हर्जाने की मांग की है लेकिन ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है।
7.    परिवादी ने रिश्वत देने की बात न्यायालय में गलत पेश की है विप्रार्थी ने अपनी सेवा में कोई त्रुटि अथवा कटौती नहीं की है। नियमानुसार व उपलब्धता अनुसार विद्युत उपकरण उपलब्ध कराकर विद्युत कनेक्शन कर दिया गया था। परिवादी की फसल चल रही है कोई नुकशान होने का प्रश्न ही नहीं है और साथ ही प्रार्थना की है कि परिवाद खारिज किया जावे।
8.    उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया।
9.    विद्धवान अभिभाषक परिवादी की दलील है कि जो तथ्य परिवाद में वर्णित किये गये है जिसका समर्थन शपथ पत्र एवं दस्तावेजात से होता है। उसके आधार पर परिवाद स्वीकार किया जावे और दलीलों के समर्थन में निम्न नजीर भी प्रस्तुत की गई -
पण्    2005;3द्ध ैनचतमउम ब्वनतज व िप्दकपं 550 ;ैण्ब्ण्द्ध च्ंदरंइ ैजंजम म्समबजतपबपजल ठवंतक स्जकण् र्टे वतं ैपदही - व्तेण्
10.    विद्धवान अभिभाषक विप्रार्थी की दलील है कि जवाब में वर्णित तथ्यों के आधार पर परिवाद खारिज करने की दलील दी।
11.    उभय पक्षों की ओर से प्रस्तुत की गयी दलीलों के संदर्भ में पाया कि जो नजीर परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गयी है उसमें परिवादी को 10,000/- रूपये प्रदान किया गया मुआवजा कम करके 5,000/- रूपये किया गया है प्रस्तुत नजीर के चरण 37 में यह वर्णित है -
श्31ण् ज्ीम ुनमेजपवद ंे जव ूीमजीमत ं ेजंजनजम पे कपतमबजवतल वत उंदकंजवतल ूवनसक दवज कमचमदक नचवद जीम चीतंेमवसवहल नेमक जीमतमपदण् ज्ीम च्तपदबपचसम ंे तमहंतके जीम दंजनतम व िजीम ेजंजनजम उनेज इम कमजमतउपदमक ींअपदह तमहंतक जव जीम चनतचवेम ंदक वइरमबज जीम ेजंजनजम ेममो जव ंबीपमअमण्श्
12.    उपरोक्त प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्त के संदर्भ में जो तथ्य पत्रावली पर आये है उनसे यह स्पष्ट है कि परिवादी ने डिमाण्ड नोट की राशि विहित समय में जमा करा दी थी, लेकिन विप्रार्थीगण की ओर से विद्युत       सम्बन्ध स्थापित करने में विलम्ब किया गया है
13.    विलम्ब से हुई हानि का आंकलन जिन तथ्यों पर किया जाना है उनमें परिवादी के द्वारा क्या फसल बोई गई थी, फसल की क्या स्थिति थी फसल पानी के अभाव में नष्ट हुई अथवा फसल पानी के योग्य थी भी या नहीं इस तथ्य के संबंध में फसल बाबत् कोई राजस्व अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि विद्युत सम्बन्ध स्थापित करने के लिए विप्रार्थीगण की ओर से विभिन्न उपकरण क्रय किये जाते है और उनके परिवहन आदि में व्यय किया जाकर किसानों को विद्युत सम्बन्ध प्रदान किया जाकर विद्युत की राशि का भुगतान सम्पूर्ण नहीं लिया जाकर राज्य सरकार द्वारा कृषि उपयोग के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। जिसका लाभ अन्ततोगत्वा कृषक (परिवादी) को ही निरन्तर मिलता है, अतः प्रकरण के तथ्यां को दृष्टगत रखते दण्डात्मक राशि विप्रार्थीगण पर आरोपित किया जाना उचित नहीं है लेकिन विलम्ब के लिए परिवादी को लाभान्वित भी किया जाना उचित है। अतः परिवादी का परिवाद आंशिक स्वीकार किये जाने योग्य है।         

ःः आदेष:ः
अतः परिवादी का परिवाद आंशिक स्वीकार किया जाकर विप्रार्थीगण को बतौर मुआवजा 3000/- रूपये भुगतान किये जाने का आदेश दिया जाता है। 1000/- रूपये परिवाद व्यय के तथा 1000/- रूपये मानसिक संताप के कुल 5000/- रूपये विप्रार्थीगण परिवादी को 2 माह में अदा करे।
2 (दो) माह में अदा नहीं करने पर आदेश की दिनांक से उक्त राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज से ब्याज राशि भी देय होगी।  
                 

(श्रीमति ममता मंगल)        (श्री अशोककुमार सिंधी)    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
        सदस्या                         सदस्य                                 अध्यक्ष

 

निर्णय व आदेश आज दिनांक 08.01.2015 को खुले मंच पर लिखवाया जाकर सुनाया गया।  

 

(श्रीमति ममता मंगल)        (श्री अशोककुमार सिंधी)    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
   सदस्या                                  सदस्य                       अध्यक्ष

 

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