जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 01.10.2015
मूल परिवाद संख्या:- 55/2015
1. श्री पृथ्वीपाल पुत्र श्री दरिया सिंह, जाति- सैनी,
निवासी- प्लाॅट नम्बर के.37 किषोर नगर बाड़मेर रोड़ बी.एस.एफ.केम्प के सामने जैसलमेर तह.व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
सहायक अभियन्ता (ग्रामीण)
जोधपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड,
जैसलमेर राजस्थान
.............अप्रार्थी।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री जेठाराम, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री राणीदान सेवक, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 29.04.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने घरेलू कनेक्षन किषोर नगर बाड़मेर रोड जैसलमेर हैतु मांग पत्र रू 7,260/- अप्रार्थी कार्यालय मे जमा करा दिया लैकिन अप्रार्थी ने मांग पत्र जमा होने के बावजूद विघुत कनेक्षन नही जोडा जा रहा है विघुत कनेक्षन के अभाव में बच्चों के अघ्ययन एवं अन्य प्रकार से परेषानी हो रही है तथा साथ ही मानसिक परेषानी उठानी पड रही है। परिवादी द्वारा अप्रार्थी विभाग के बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद कनेक्षन नही कर अप्रार्थी विभाग द्वारा सेवा दोष कारित किया है। तथा परिवादी का विघुत कनेक्षन जोडा जावें एवं साथ ही आर्थिक मानसिक परेषानी पेटे 10,000/- व परिवाद व्यय 5,000/- दिलाया जावें।
2. अप्रार्थी विघुत विभाग की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि स्वीकार किया कि प्रार्थी द्वारा विघुत कनेक्षन हैतु राषि जमा कराई गई है लैकिन जिस परिसर मंे विघुत कनेक्षन चाहा गया है उसके सम्बंध मंे वी.सी.आर 3354/44 दिनांक 06.10.2014 भरी हुई है जिस पर 36,462 रू का जुर्माना लगाया गया है इसलिए कानूनन इस परिसर मे विघुत कनेक्षन नही किया जा सकता। इसलिए अप्रार्थी ने विघुत कनेक्षन नही कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है। परिवाद का परिवाद मय हर्जे खर्चे खारिज किया जावें।
हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
3. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
4. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अप्रार्थी विभाग में विघुत कनेक्षन हेतु 7,260/- रू जमा करवाये है जिसे अप्रार्थी विभाग द्वारा भी माना गया है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
5. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी के विघुत कनेक्षन हेतु मांग पत्र जारी किया गया था जिसकी अनुमानित राषि 7,260 रू अप्रार्थी के यहा जमा करा दिये लेकिन अप्रार्थी ने उसका विघुत कनेक्षन नही किया जिससे प्रार्थी को काफी परेषानी हुई जो अप्रार्थी का सेवा दोष है। साथ ही परिवादी का विघुत कनेक्षन जोडा जावें एवं मानसिक पेरषानी पेटे 10,000 रू व परिवाद व्यय 5,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
6. इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि प्रार्थी द्वारा जब उक्त परिसर मे विघुत कनेक्षन नही था तो बिना विघुत कनेक्षन होते हुए भी अकुंडिया लगाकर अपने परिसर मे विधुत का अनाधिकृत उपयोग व उपभोग किया जिसकी जाॅच सर्तकता दल द्वारा 06.10.2014 को की गई जिसकी वी.सी.आर. 3354/44 दिनांक 06.10.2014 भरी गई और उस पर 36,462 रू का जुर्माना लगाया गया जो राषि जमा नही कराई तो कानूनी रूप से तब तक प्रार्थी के उक्त परिसर के विधुत चोरी के मामले मे राषि जमा नही कराने तक विघुत कनेक्षन का हकदार नही है। अप्रार्थी द्वारा कोई सेवा दोष कारित नही किया है। तथा विधुत चोरी के मामले मे मान्य मंच को सुनने का क्षैत्राधिकार भी नही है अपने तर्को के समर्थन में 2013 (2) ॅस्ब् ;ैब्द्ध ब्पअपस 272ए ैनचतमउम ब्वनतज व िप्दकपंए ब्पअपस ।चचमंस छवण्5466.5475ध्2012ए न्ण्च्ण्च्वूमत ब्वतचवतंजपवद स्जकण् - व्तेण् टे ।दपे ।ीउंकए क्मबपकमक वद 01.07.2013 का विनिष्चय पेष किया। तथा ज्म्त्डै ।छक् ब्व्छक्प्ज्प्व्छै थ्व्त् ैन्च्च्स्ल् व्थ् म्स्म्ब्ज्त्प्ब्प्ज्ल्.2004 के अनुसार नया विघुत कनेक्षन तब तक नही किया जाएगा यदि उस परिसर के पूर्व मे कोई राषि बकाया हो।
7. इसके खण्डन में विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि उक्त चोरी का मामला परिवादी से सम्बधित नही है क्योकि जो सर्तकता जाॅच दल द्वारा प्रतिवेदन भरा गया है उसमें धर्मपालसिंह पुत्र श्री दयासिंह बताया गया है जबकि परिवादी का नाम पृथ्वीपाल पुत्र दरियासिंह है इसलिए उक्त विनिष्चय परिवादी के इस मामले में लागु नही होता है।
8. इसके खण्डन में अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि जो फर्द नक्षा मौका घटना स्थल का बनाया गया है वो प्रार्थी के परिसर का है उसमें धर्मपाल उर्फ पृथ्वीपाल अंकित है और पास में ही निर्माणाधीन मकान पृथ्वीपाल का बताया गया है तथा प्रार्थी ने इस जाॅच दल की वी.सी.आर को स्वीकार कर सहायक अभियंता जो.वि.वि.नि.लि. जैसलमेर में दिनांक 29.03.2016 को 36,462 रू जमा करा दिये है इसलिए यही माना जाएगा कि यह प्रार्थी ही वह व्यक्ति था जिसको सर्तकता दल ने विघुत चोरी करते हुए उक्त परिसर से पकडा था। उन्होने साथ मे यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि प्रार्थी द्वारा उक्त वी.सी.आर की राषि जमा कराने के उपरांत प्रार्थी का घरेलू विघुत कनेक्षन जोड दिया गया है अब किसी प्रकार का मामला शेष नही है अप्रार्थी का कोई सेवा दोष नही है अतः परिवादी का परिवाद खारिज किया जावें।
9. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन करने के पश्चात् उभयपक्षांे के तर्को की रोषनी में हमारी राय इस प्रकार है। यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी पृथ्वीपाल ने घरेलू विघुत कनेक्षन ग्राम किषोर नगर बाड़मेर रोड जैसलमेर में लेने के लिए आवेदन भरा तथा मांग पत्र के एवज में 7,260 रू अप्रार्थी के यहा जमा करा दिये अप्रार्थी ने अपनी खण्डनीय साक्ष्य मे बताया है कि विवादग्रस्त परिसर जिसमे प्रार्थी कनेक्षन लेना चाहता है उस परिसर का प्रार्थी पर अन्नाधिकृत विघुत उपभोग हैतु जाॅच सर्तकता दल द्वारा 36,462 रू का जुर्माना लगाया जो प्रार्थी ने अदा नही किया इस कारण प्रार्थी उक्त राषि अदा किये बिना अपना घरेलू विघुत कनेक्षन जुडवाने का अधिकारी नही है इस कारण प्रार्थी को कानूनी रूप से विघुत कनेक्षन नही देकर अप्रार्थी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है इसके खण्डन में परिवादी की साक्ष्य है कि सर्तकता दल द्वारा जो जाॅच की गई और जो जुर्माना लगाया गया उससे परिवादी का कोई लेना देना नही है। इस सम्बंध मे फर्द नक्षा मौका घटना स्थल का अवलोकन करे तो जहा विघुत चोरी करना पाया गया है वह ए स्थान दूकान श्री धर्मपालसिंह उर्फ पृथ्वीपाल अंकित है तथा पास में ही ए1 स्थान निर्माणाधीन मकान है पृथ्वीपाल का बताया गया है उसमें खम्भें से अन्नाधिकृत विघुत लेना दर्षाया गया है अतः फर्द नक्षा मौका जाॅच दल मंे प्रार्थी पृथ्वीपाल का नाम बताया गया है तथा प्रार्थी पृथ्वीपाल स्वयं ने एक प्रार्थना पत्र सहायक अभियंता जो.वि.वि.नि.लि.जैसमलेर के समक्ष पेष कर उसमें यह प्रकट किया कि मैरा विजिलेंस के रूपये बाकी थे जो धर्मपाल पुत्र दयासिंह के नाम से बाकी थें जिसका मैने बकाया भर दिया है अतः मैरा कनैक्षन जल्दी से जल्दी करवाया जाए यह प्रार्थना पत्र कि फोटों कापी अप्रार्थी विभाग ने पेष की है जिस पर पृथ्वीपाल के हस्ताक्षर भी है। तथा अप्रार्थी विभाग ने एक रसीद 36,462 रू दिनांक 29.03.2016 को वी.सी.आर.एमाउंट के बाबत् धर्मपाल द्वारा भरना बताय गया है तथा प्रार्थी धर्मपाल का ऐसा कही कथन नही है कि यह प्रार्थना पत्र उसने नही दिया हो और यह पैसे उसने नही भरे हो। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि परिवादी पृथ्वीपाल पर जो जुर्माना लगाया गया था वह उसने भर दिया है यदि उक्त परिसर परिवादी का नही होता व परिवादी द्वारा विघुत का अन्नाधिकृत रूप से उपयोग नही किया जाता तो वह यह अर्थदण्ड जमा कराने की क्या आवष्यकता थी इससे यही माना जायेगा कि प्रार्थी पर विघुत विभाग का उसी परिसर का जुर्माना बकाया था।
10. अप्रार्थी द्वारा पेष ज्म्त्डै ।छक् ब्व्छक्प्ज्प्व्छै थ्व्त् ैन्च्च्स्ल् व्थ् म्स्म्ब्ज्त्प्ब्प्ज्ल्.2004 के पैरा 6 के अनुसार । दमू बवददमबजपवद ेींसस इम हपअमद पद जीम चतमउपेमे वदसल प िंसस ंततमंते ंदक कनमे पद तमेचमबज व िवसक बवददमबजपवद पद जीम चतमउपेमे ींअम इममद बसमंतमक ंदक चंपकण् अतः कोई पुराना बाकाया अदा करने पर ही नया कनेक्षन अप्रार्थी विभाग द्वारा दिया जा सकता है। वर्तमान में परिवादी द्वारा 36,462 रू की राषि अप्रार्थी विभाग में जमा करा दी गई है तथा अप्रार्थी विभाग द्वारा परिवादी का घरेलू विघुत कनैक्षन भी जोड दिया गया है। अतः हमारी विनम्र राय में परिसर का बकाया होने की एवज में प्रार्थी का घरेलू विघुत कनैक्षन डिमांड राषि जमा कराने के बाद भी अप्रार्थी विभाग द्वारा नही किया गया उसमें अप्रार्थी विभाग का कोई सेवा दोष नही है। अप्रार्थी विभाग का उक्त कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे नही आता है।
अतः बिन्दू सं. 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
11. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (रामचरन मीना)
सदस्य, अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 29.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (रामचरन मीना)
सदस्य, अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर।