Rajasthan

Jaisalmer

CC/14/15

KHETA RAM - Complainant(s)

Versus

JD.V.V.N.L AND OTHERS - Opp.Party(s)

PUNAM CHAND BARUPAL

18 Sep 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/14/15
 
1. KHETA RAM
RAMGARH JAISALMER
...........Complainant(s)
Versus
1. JD.V.V.N.L AND OTHERS
Jaisalmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:PUNAM CHAND BARUPAL, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।            
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि - 15.04.2015
मूल परिवाद संख्या:- 14/2015

खेताराम पुत्र श्री खंगारराम जाति मेघवाल निवासी बस्ता पाड़ा, तनोट रोड़ रामगढ़ तहसील व जिला जैसलमेर राजस्थान।                                                                                ............  परिवादी

बनाम

1.    अधिषाषी अभियंता (प.व.स) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़ कार्यालय जैसलमेर राजस्थान।
2.    सहायक अभियंता (ग्रामीण) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़ कार्यालय जैसलमेर राजस्थान।
            
  .............अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री अरविन्द्र दैया, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    श्री राणीदान सेवक, अधिवक्ता अप्रार्थीगण की ओर से ।

ः- निर्णय -ः                दिनांक    ः 18.09.2015


1.    परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपनी 8 दूकानों में 1997 मे विद्युत कनेक्षन लिया था जिसके विद्युत बिल का भुगतान समय-समय पर करता रहा। परिवादी व उसके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा स्वरोजगार के लिए खोली गयी दूकानो मे मार्च 2014 मे नया मीटर लगाया गया तथा उसका बकाया भुगतान 36,197 रू परिवादी द्वारा जमा किया गया। उक्त नये मीटर लगने के पश्चात् अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को कोई विद्युत बिल नही दिये गये अब परिवादी ने अप्रार्थीगण को लिखित मे प्रार्थना पत्र पेष कर कई बार बिल जारी करने का निवेदन किया इसके बावजूद भी अप्रार्थीगण द्वारा बिल जारी नही किये गये अप्रार्थीगण ने बिल जारी न कर एक नोटिस सं0 363 दिनांक 02.01.2015 परिवादी को दिया। जिसमे निदेर्षित किया गया कि बकाया राषि 23,069.60 रू का भुगतान कर दिया जाए अन्यथा विद्युत कनेक्षन काट दिया जाएगा जबकि परिवादी का विद्युत कनेक्षन 25.12.2014 को काट दिया गया। परिवादी को दिनांक 17.03.2015 को डाॅक से भेजा गया बिल 26,797 रू का पेलेन्टी सहित बिल प्राप्त हुआ परिवादी प्रत्येक माह बिजली राषि भरने को तैयार था लेकिन अप्रार्थीगण द्वारा बिल जारी नही करने के कारण एक साथ दिये गये बिल को नही भर सका। अप्रार्थीगण को कई बार प्रार्थना पत्र पेष करने के बाद भी बिल जारी नही किये गये जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। अतः परिवादी ने परिवाद पेष कर आर्थिक एवं मानसिक पेटे 105000 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2.         अप्रार्थीगण ने जवाब पेष कर कहा कि परिवादी ने अप्रेल 2014 से फरवरी 2015 के बकाया विद्युत बिलो का भुगतान नही किया जिसकी अदायगी हेतु डाॅक से नियमानुसार विद्युत बिल भेजे गये तथा नोटिस भी दिया गया बावजूद नोटिस विद्युत बिलों का भुगतान नही करने के कारण परिवादी का विद्युत सम्बंध विच्छेद किया है। कोई सेवा दोष कारित नही किया है तथा परिवादी ने एक विद्युत कनेक्षन लेकर निगम के विरूद्व 8 अलग-अलग दूकानों मे एक ही विद्युत सम्बंध से विद्युत का प्रयोग किया जा रहा है जो कानूनन अवैध है। परिवादी ने बावजूद सूचना के विद्युत बिलो का भुगतान नही किया है। अतः परिवाद मय हर्जे के खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
3.         हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4.         विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.            क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.         क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.         अनुतोष क्या होगा ?
5.        बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने वर्ष 1997 मे नियमानुसार अप्रार्थीगण के यहा राषि जमा कर विद्युत कनेक्षन अपनी दूकानों मे स्वरोजगार हैतु लिया था तथा समय-समय पर बिजली के बिलो का भुगतान करता आ रहा है। इस कारण परिवादी अप्रार्थीगण का स्थायी उपभोक्ता है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6.    बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी ने अप्रेल 2014 से फरवरी 2015 तक के बकाया विद्युत बिलो का भुगतान नही किया है जिसकी अदायगी हेतु नियमानुसार नोटिस व विद्युत बिल अप्रार्थी निगम द्वारा प्रेषित किये गये है। बावजूद नोटिस के विद्युत बिलो का भुगतान नही किया गया जिस कारण विद्युत सम्बंध विच्छेद कर कोई सेवा दोष कारित नही किया गया है। इनकी यह भी दलील है कि परिवादी को समय -समय पर बिल नियमानुसार भेजे जा रहे थे। यदि कोई बिल नही मिला तो परिवादी स्वंय की जिम्मेवारी है कि वह निगम से सम्पर्क कर अपना विद्युत बिल प्राप्त कर सकता था। परिवादी को अप्रार्थी निगम द्वारा माह फरवरी 2015 तक का बिल उपलब्ध करवाया गया जिसे परिवादी ने लेने से मना कर दिया तब परिवादी को बिल दिनांक 17.03.2015 को डाॅक से भेजा गया अतः समय पर बिल नही भेजे हो यह कहना गलत है उनकी यह भी दलील है कि परिवादी ने निगम के नियमों के विरूद्व 8 अलग-अलग दूकानों मे एक ही मीटर से विद्युत सम्बंध किया गया है जो कानूनन अवैध है उनकी यह भी दलील है कि सर्तकता जाॅच दिनांक 23.03.2013 को परिवादी को अधिक विद्युत भार का दोषी माना गया जिस पर उसको 13,158 रू का आॅकलन किया गया था। अतः परिवादी शुरू से ही विद्युत का गलत उपयोग कर रहा था अतः परिवादी का विद्युत कनेक्षन काटकर अप्रार्थीगण ने कोई सेवा दोष कारित नही किया गया है परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
7.    इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी नियमित रूप से जो बिलो का भुगतान पूर्व मे करता आया है अधिक भार का जो भी आॅकलन किया गया था उसका भुगतान भी परिवादी ने आॅकलन के बाद अप्रार्थीगण को कर दिया गया है। माॅर्च 2014 मे पुरानी मीटर सं. 252683 को बिजली आपूर्ति मे अनियमितता होने के कारण खराब मीटर को बदलवाकर नया मीटर सं0 8829122 मार्च 2014 को सम्पूर्ण बकाया राषि 36,197 रू भुगतान करके नया मीटर लगाया नये मीटर लगने के बाद अप्रार्थीगण ने परिवादी को कोई बिल नही भेजे जिस पर उसने दिनांक 03.05.2014,15.06.2014,10.07.2014,20.08.2014,13.11.2014,12.03.2015 को प्रार्थना पत्र अप्रार्थी विभाग के अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किये ओर यह बताया कि उसे बिजली का बिल दिया जावें क्योकि वह बकाया होने पर एक साथ बिल की राषि जमा नही कर पायेगा। अतः विभाग को लिखित मे निवेदन के बाद भी नये मीटर के बिल नही भेजे तथा बिना नोटिस के परिवादी का विद्युत कनेक्षन 25.12.2014 को काट दिया गया। उनकी यह भी दलील है कि दिनांक 17.03.2015 अप्रेल 2014 से फरवरी 2015 तक बिल एक साथ भेजा गया पूर्व मे उसको कोई बिल बिजली के उपभोग बाबत् नही भेजे गये जो अप्रार्थीगण की मनमानी है परिवादी हमेषा विद्युत बिल पर राषि जमा कराने को तैयार था। लेकिन अप्रार्थीगण ने जानबुझ कर समय पर बिल नही भेजे ओर एक साथ पेलेन्टी लगाकर 26,797 रू का बिल भेजा जो अप्रार्थीगण का मनमाना रवैया है अतः ऐसी परिस्थति मे परिवादी का विद्युत सम्बंध विच्छेद कर अप्रार्थीगण ने सेवा दोष कारित किया है।
8.    उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे यह बताया है कि उसने अपने भू-खण्ड पर निर्मित दूकानो मे 1997 मे विद्युत कनेक्षन लगवाया था। जिसके बिजली बिलो का भुगतान समय-समय पर करता आ रहा है। मार्च 2014 मे पुराना मीटर सं0 252683 के खराब होने के कारण नया मीटर सं0 8829122 मार्च 2014 को बकाया सम्पूर्ण राषि 36,197 रू का भुगतान कर लगवाया गया था इस नये मीटर के लगने से लेकर 12.03.2015 तक कोई भी बिजली का बिल अप्रार्थीगण द्वारा नही दिया गया जबकि परिवादी ने दिनांक 03.05.2014,15.06.2014,10.07.2014,20.08.2014,13.11.2014 ओर 12.03.2015 को लिखित प्रार्थना पत्र विभागीय अधिकारियों को इस बाबत् दिये गये इसके बावजूद परिवादी को कोई विद्युत बिल अप्रार्थीगण द्वारा नही दिया गया। तथा परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 25.12.2014 को काट दिया गया जिसे परिवादी व परिवादी के अन्य परिवार के सदस्यों को आर्थिक व मानसिक वेदना हुई। उसने अपनी साक्ष्य मे यह भी बताया है कि परिवादी का काटा गया विद्युत कनेक्षन तुरंत लगवाया जावें इसी सम्बंध मे परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य प्रार्थना पत्र दिनांक 03.05.2014 जो सहायक अभियंता ग्रामीण जैसलमेर को दिया गया है। जिस पर सहायक अभियंता द्वारा चेक एण्ड रिपोर्ट लिखा है तथा मीटर सं0 8829122 के बाबत् लिखा गया है। इस प्रार्थना पत्र मे परिवादी ने यह कहा है ‘‘कि उसके नाम से दूकान मे विद्युत कनेक्षन है जिसका विद्युत बिल नही आ रहा है। 17 फरवरी 2014 के बाद विद्युत बिल नही आ रहा है। बाद मे एक मुष्त राषि व पेलेन्टी मे नही भर पाउॅगा श्रीमान जी से निवेदन है कि मेरे विद्युत बिल को जाॅच कर नियमानुसार विद्युत बिल देने की अति कृपा करे।‘‘ परिवादी द्वारा पेष प्रार्थना पत्र दिनांक 15.06.2014 जो सहायक अभियंता ग्रामीण जैसलमेर को ही लिखा गया है। उसमे भी मीटर सं0 8829122 का हवाला है। इस प्रार्थना पत्र मे यह लिखा है कि ‘‘उसका विद्युत बिल अभी तक नही आया है विद्युत विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही नही की है। बाद मे एक मुष्त राषि हो जाएगी वह पेलेन्टी सहित नही भर पाउॅगा बाद मे जवाबदेही विद्युत विभाग की होगी‘‘। परिवादी द्वारा एक अन्य प्रार्थना पत्र दिनांक 10.07.2014 को जो सहायक अभियंता ग्रामीण जैसलमेर को ही लिखा गया है। उसमे भी  मीटर सं0 8829122 का हवाला है। इस प्रार्थना पत्र मे भी यह लिखा है कि ‘‘उसका विद्युत बिल अभी तक नही आया है विद्युत विभाग ने अभी तक कोई कार्यवाही नही की है। बाद मे एक मुष्त राषि हो जाएगी वह पेलेन्टी सहित नही भर पाउॅगा बाद मे जवाबदेही विद्युत विभाग की होगी।‘‘ इसके पश्चात् दिनांक 20.08.2014 को परिवादी ने सहायक अभियंता ग्रामीण को प्राथर््ाना पत्र दिया जिसमे विभाग द्वारा चैक एण्ड रिपोर्ट अंकित किया गया है मीटर सं. 8829122 व मीटर की रीडिग भी बताई गयी है इसमे भी अभी तक बिल जारी नही करने की बात कही है तथा एक मुष्त राषि आ जाएगी उसे एक साथ नही पाउॅगा का कथन किया गया है। इसी प्रकार परिवादी द्वारा 13.11.2014 व 12.03.2015 को भी विद्युत बिल जारी करने के लिए अप्रार्थीगण से निवेदन किया।
9.    इन सभी पत्रांे से यह प्रकट है कि परिवादी को जब अप्रार्थी विभाग द्वारा नया मीटर लगने के पश्चात् मार्च 2014 के बाद बिल नही भेजे गये तो उसने बार बार विद्युत विभाग को निवेदन किया उन प्रार्थना पत्रों पर विद्युत विभाग द्वारा रिसिप्ट व कार्य करने का नोट अंकित किया है। इन पत्रों को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है तथा इनका खण्ड़न भी अप्रार्थीगण द्वारा नही किया गया है। केवल मौखिक साक्ष्य मे यह बताया गया है कि परिवादी को बिल जारी करते रहे तथा परिवादी ने बिल राषि जमा नही कराई लेकिन बिल जारी किये गये हो इस प्रकार के बिल की काॅपी इस दौरान बचाव मे पेष नही की गयी है। परिवादी को बिल देने वाले किसी कर्मचारी व व्यक्ति का शपथ-पत्र भी पेष नही हुआ है। परिवादी के प्रार्थना पत्र 20.08.2014 मे विभाग द्वारा मीटर की रीडिग बताई गयी है। इस बाबत् बिल जारी किये गये हो ऐसा कही पर भी उल्लेख नही है। यदि बिल परिवादी को समय पर जारी कर दिये जाते तो परिवादी प्रार्थना पत्र के जरिये बार-बार अप्रार्थीगण को क्यो निवेदन करता ओर उसके प्रार्थना पत्रों पर विभाग द्वारा यह लिखा जा सकता था कि परिवादी को बिल बनाकर भेज दिये गये है। लेकिन इस प्रकार की कोई बात प्रार्थना पत्र पर अंकित नही है। पूर्व मे प्रार्थी पर कोई विद्युत उपभोग का भुगतान बकाया हो ऐसा भी नही है। उसका कनेक्षन वर्ष 1997 से है। अप्रार्थीगण ने बिना किसी नोटिस के परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 25.12.2014 को काट दिया। परिवादी ने अपने साक्ष्य मे यह बताया है कि इस दिनांक को उसका विद्युत कनेक्षन काट दिया गया इसका खण्डन जवाब व साक्ष्य मे अप्रार्थीगण द्वारा नही किया गया है। परिवादी को अन्त मे एक विद्युत बिल सम्पूर्ण राषि का पेलेन्टी सहित दिनांक 17.03.2015 को रू 26,797 का डाॅक से भेजा गया जो परिवादी को प्राप्त हुआ उसके पूर्व ही परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 25.12.2014 को बिना नोटिस के काट दिया गया था जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष हैै।
10.    जहा तक अप्रार्थीगण द्वारा भेजे गये विद्युत बिल दिनांक 16.02.2015 व साथ मे भेजी गयी बिल डिटेल का अवलोकन करे तो उसमे पेलेन्टी सहित रू 26,797.37 रू बताये गये है। जबकि परिवादी शुरू से ही उसका जब नया मीटर लगा तब से ही अप्रार्थीगण के यह प्रार्थना पत्र पेष कर गुहार लगाता आया है कि उसको विद्युत उपभोग बिल नही भेजे जा रहे है ओर एक साथ बकाया राषि को जमा नही करवा पायेगा उसके बिल भेजे जावें। लेकिन अप्रार्थीगण ने उनके प्रार्थना पत्र पर कोई गौर नही करते हुए पेलेन्टी सहित बिल भेज दिया यदि अप्रार्थीगण समय-समय पर परिवादी को उसके विद्युत उपभोग का बिल भेजते तो वह उक्त बिलो की राषि समय पर अवष्य जमा करवाता इससे पूर्व वह किसी प्रकार की राषि का डिफाल्टर अप्रार्थी विभाग का नही है।    
    अतः अप्रार्थीगण का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
11.    बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2  प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । अतः हमारी विनम्र राय मे जो परिवादी को एक साथ पेलेन्टी लगाकर विद्युत बिल भेजा गया है वह न्यायोचित नही है। परिवादी का इसमे कोई दोष नही है। अतः बकाया बिलो पर पेलेन्टी अधिरोपित करना न्याय संगत नही है। उक्त बिलो मे लगायी गयी पेलेन्टी को नियमानुसार परिवादी अदा करने का उतरदायी नही हैै। पेलेन्टी राषि निकालने के पश्चात् शेष विद्युत उपभोग की राषि परिवादी अदा करने का उतरदायी है। लेकिन जेसा कि उसने अप्रार्थी विभाग को विभिन्न प्राथर््ाना पत्रों के माध्यम से गुहार लगायी थी कि एक साथ बिलो की राषि अदा नही कर पायेगा इन सभी प्रार्थना पत्रों के दृष्टिगत हमारी राय इस प्रकार है कि अप्रार्थी विभाग पेलेन्टी राषि निकालने के पश्चात् शेष रही राषि का संषोधित विद्युत बिल अविलम्ब जारी करे तथा परिवादी उक्त जारी बिल की 50 प्रतिषत राषि अविलम्ब अप्रार्थी विभाग मे नियमानुसार जमा कराये तो उसका विद्युत कनेक्षन अविलम्ब बिना रिकनेक्षन फीस जमा किये जोड देवे तथा 50 प्रतिषत राषि जमा कराने के पश्चात् शेष रही राषि 3 माह के भीतर तीन समान किष्तों मे जमा करावें। साथ ही परिवादी को अप्रार्थी विभाग से मानसिक वेदना के लिये 3,000 रू अखरे तीन हजार व परिवाद व्यय के 2,000 अखरे दो हजार दिलाया जाना उचित है।


ः-ः आदेष:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद आंषिक रूप से अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वह अंविलम्ब परिवादी को पूर्व मे भेजा गया विद्युत बिल फरवरी 2015 राषि रू 26,797 मेसे पेलेन्टी की सम्पूर्ण राषि काटकर नया संषोधित विद्युत बिल परिवादी को जारी करे तथा परिवादी उक्त जारी बिल की 50 प्रतिषत राषि अविलम्ब जमा कराये तो उसका विद्युत कनेक्षन मीटर नम्बर 8829122 बिना रिकनेक्षन फीस लिये अविलम्ब जोड देवें। तथा 50 प्रतिषत राषि परिवादी द्वारा जमा कराने के पश्चात् परिवादी शेष रही राषि तीन बराबर किस्तो मे तीन माह के भीतर-भीतर अप्रार्थी कार्यालय मे जमा करवाये। तथा अप्रार्थीगण 2 माह के भीतर परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे 3,000 अखरे तीन हजार रू व परिवाद व्यय 2,000 अखरे दो हजार रू अदा करे।  

            

    ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

    
    आदेश आज दिनांक 18.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

    ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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