जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि - 05.06.2015
मूल परिवाद संख्या:- 21/2015
चुतराराम पुत्र श्री प्रागाराम जाति मेघवाल निवासी धोबा, तहसील व जिला जैसलमेर राजस्थान। ............ परिवादी
बनाम
1. अधिषाषी अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़ जैसलमेर राजस्थान।
2. सहायक अभियंता (ग्रामीण) जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड़ जैसलमेर राजस्थान।
.............अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री महेष कुमार माहेष्वरी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री राणीदान सेवक, अधिवक्ता अप्रार्थीगण की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 29.09.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थी धोबा गाॅव का निवासी है उसके द्वारा अप्रार्थी कार्यालय मे अपने घर मे घरेलू विद्युत कनैक्षन हैतु फार्म भरा तथा उसका नियमानुसार डिमान्ड राषि दिनांक 10.10.2014 को राषि 23,00 रू जमा करा दिये डिमान्ड राषि जमा करने के बावजूद भी उसे विद्युत कनैक्षन नही दिया जा रहा है। इसके बाद मई 2015 मे अप्रार्थीगण द्वारा 1 बिल वर्तमान खाता सं. 16340132 का व मीटर सं. 31106661 का राषि 979 रू का प्रार्थी के नाम जारी कर दिया जबकि प्रार्थी के घर पर कोई विद्युत कनैक्षन नही है। उक्त बिल देखने के कारण प्रार्थी को गहरा सदमा लगा प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण को कई बार विद्युत कनैक्षन हैतु प्रार्थना पत्र आदि पेष किये फिर भी आज दिनांक तक विद्युत कनैक्षन अप्रार्थी द्वारा नही दिया गया। जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। अतः परिवादी ने परिवाद पेष कर विद्युत कनैक्षन जोडने व जारी बिल को निरस्त करने आर्थिक एवं मानसिक पेटे 50,000 रू व परिवाद व्यय 5,000 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2. अप्रार्थीगण ने जवाब पेष कर कहा कि परिवादी द्वारा डिमान्ड राषि करने के पश्चात् अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 12.02.2015 को प्रार्थी के परिसर मे सर्विस सं. 19558 के अन्तर्गत मीटर सं.31106661 लगाकर विद्युत कनैक्षन कर दिया गया था जिसके पश्चात् नियमानुसार बिल मई 2015 जारी किया गया है। साथ ही प्रार्थी द्वारा पेष प्रार्थना पत्र दिनांक 18.05.2015 की पालना मे अप्रार्थी निगम के सीसीए द्वारा जानकारी दी गई थी कि दिनांक 12.02.2015 को विद्युत कनैक्षन करने के पश्चात् परिवाद के चाचा व परिवादी के बीच काफी विवाद होने के कारण परिवादी स्वंय ने मीटर खोलकर रख दिया व परिवादी के चाचा द्वारा चेतावनी देने के कारण मीटर को पुनः नही लगाया गया है। परिवादी को इस सम्बंध मे अपनी ओर से पुलिस स्टेषन मे रिपोर्ट देनी होती है जो नही दी गयी है। अप्रार्थीगण ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। अतः परिवाद मय हर्जे के खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने दिनांक 10.10.2014 को घरेलू विद्युत कनैक्षन हैतु डिमान्ड राषि 2300 रू अप्रार्थीगण कार्यालय मे जमा करा दिये है। इस कारण परिवादी अप्रार्थीगण का स्थायी उपभोक्ता है। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी कार्यालय में घरेलू विद्युत कनेक्षन हेतु फार्म भरा गया जिसका डिमाण्ड अप्रार्थीगण कार्यालय में दिनांक 10.10.2014 को 2300 रूप्ये जमा करवाया इस पर अप्रार्थीगण ने मीटर संख्या 31106661 जारी करना बताया इस मीटर में अप्रार्थी द्वारा कोई विद्युत कनेक्षन नहीं लगया गया और बिना मीटर कनेक्षन एक बिल वर्तमान खाता संख्या 1634-0132 मीटर संख्या 31106661 का राषि 979 रूपये का मई 2015 में जारी कर दिया जबकि आज तक विद्युत कनेक्षन नहीं लगा इसकी षिकायत प्रार्थना पत्र के जरिये अप्रार्थीगण को की गई लेकिन कोई कार्यवाही अप्रार्थीगण द्वारा नहीं कि गई जो अप्रार्थीगण का सेवा दोष है तथा यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि जो मीटर लगाना बताया गया हैं वह लगाया ही नहीं गया अगर उक्त मीटर लगा कर उसमें विद्युत तार जोड कर मीटर के उपर का बाक्स फिट कर दिया जाता तो पुन उपर का बाक्स खोला नहीं जा सकता जो कि परिवादी द्वारा जो मीटर मंच में बताया गया हैं उसके मीटर नम्बर 31106661 हैं तथा उसमें युनिट उपभोग 0 दर्षाया गया हैं तथा मीटर मेें विद्युत तार जोड कर उसे लगाया गया हो ऐसा भी नहीं अप्रार्थीगण का यह कृत्य भी सेवा दोष की श्रेणी में आता हैंै। अत उसके विद्युत कनेक्षन को जोडा जावे तथा बिना विद्युत कनेक्षन के बिना उपभोग के जो बिल मई 2015 का जारी किया गया हैं। उसे केन्सिल किया जावे साथ ही मानसिक हर्जाना पेटे 50000 रूपये व परिवाद व्यय 5000 रूपये दिये जाने की प्रार्थना की।
7 इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान अप्रार्थीगण अभिभाषक की दलील हैं कि परिवादी द्वारा डिमाण्ड राषि जमा कराने के पश्चात अप्रार्थी निगम द्वारा दिनाकं 12.02.2015 को प्रार्थी के परिसर में सर्विस नम्बर 19558 के अन्तर्गत मीटर संख्या 31106661 लगाकर विद्युत कनेक्षन जोड दिया गया और उसके बाद नियमा अनुसार विद्युत उपभोग का बिल मई 2015 का जारी किया गया अप्रार्थीगण द्वारा कोई सेवा दोष कारित नहीं किया गया हैं परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने प्रार्थना की ।
8 उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिषीलन करने के पश्चात हमारी राय इस प्रकार हैं कि परिवादी चुतराराम ने अपने परिवाद व साक्ष्य में यह बताया हैं कि परिवादी द्वारा डिमाण्ड राषि 2300 रूप्ये जमा कराने के बाद अप्रार्थीगण द्वारा विद्युत कनेक्षन नहीं दिया गया ब्लकि बिना विद्युत कनेक्षन के व बिना विद्युत उपभोग के मई 2015 का बिल 979 रूपये परिवादी के नाम जारी कर दिया उसने साक्ष्य में यह भी बताया हैं कि उसने प्रार्थना पत्र के जरिये दिनांक 18.05.2015 को अप्रार्थीगण को सूचित भी किया था। फिर भी अप्रार्थीगण द्वारा विद्युत कनेक्षन नही दिया गया। न ही विद्युत बिल की राषि को घटाया गया । उसने अपने जबाब शपथ पत्र में भी यह बताया हैं कि दीनाराम जो अप्रार्थी निगम का कर्मचारी हैं उसने मचं के समक्ष गलत शपथ पत्र पेष किया हैं उसने दिनांक 12.02.2015 को कोई मीटर संख्या 31106661 का विद्युत कनेक्षन नही लगाया हैं उसने अपने साक्ष्य में यह भी कहा है कि मै आज अपने विद्युत मीटर संख्या 31106661 को साथ मे लाया हू जिसको विभाग द्वारा मेरे घर पर रखा गया था। जो आज भी उसी हालात में हैं जो कभी भी नहीं लगाया गया था। तथा जिसमें आज दिन तक एक भी यूनिट खर्च नही हुई हैं। विद्युत उपभोग मीटर में शून्य दर्षित हैं । अत परिवादी ने अपने साक्ष्य से साबित किया हैं कि उसको जारी मीटर संख्या 31106661 उसके यहा नही लगाया गया तथा अप्राथीगण द्वारा विद्युत कनेक्षन भी नहीं जोडा गया।
9 खण्डनीय साक्ष्य में अप्रार्थी विद्युत निगम की यह साक्ष्य कि दिनांक 12.02.2015 को परिवादी का विद्युत कनेक्षन मीटर संख्या 31106661 से जोड दिया ओर नियमानुसार विद्युत उपभोग कि राषि का बिल जारी किया गया । हम अप्रार्थीगण कि इस खण्डनीय साक्ष्य में बल नही पाते है क्योकि अप्रार्थीगण द्वारा जारी बिल जो परिवादी ने पेष किया है उसमें उपभोग यूनिट 170 बताई गई है तथा वर्तमान पठन मे छ लिखा है तथा गत पठन का हवाला नहीं हैं जबकि परिवादी द्वारा पेष किये गए मीटर संख्या 31106661 में वर्तमान उपभोग यूनिट शून्य दर्षित हैं । यदि विद्युत कनेक्षन अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी के परिसर में किया जा कर विद्युत मीटर संख्या 31106661 संख्या लगा दिया जाता तो उपभोग यूनिट अवष्य दर्ज होती। जबकि मीटर संख्या 31106661 में किसी प्रकार का विद्युत उपभोग नहीं हैं जो बिल पेष किया गया हैं उसमें वर्तमान पठन मे छ लिखा है तथा गत पठन का हवाला नहीं हैं अत विद्युत उपभोग 170 यूनिट किस प्रकार से अप्रार्थीगण ने दर्ज किये है उसको भी अप्रार्थीगण साबित करने में असफल रहा हैं अत ऐसी परिस्थिति में बिना उपभोग के बिना विद्युत कनेक्षन के जो बिल जारी किया गया हैं । यह कृत्य अप्रार्थीगण के सेवा दोष की श्रेणी मे आता है। फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
10. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । अतः हमारी विनम्र राय मे परिवादी को बिना विद्युत कनेक्षन के जो बिल मई 2015 का अप्रार्थीगण द्वारा जारी किया गया हैं। वह अपास्त होने योग्य के कारण उसे अपास्त किया जाता है साथ ही अप्रार्थीगण द्वारा जो विद्युत कनेक्षन अभी तक नहीं जोडा गया हैं उसको जुडवाने के लिए परिवादी अधिकारी हैं। साथ ही परिवादी को अप्रार्थी विभाग से मानसिक वेदना के लिये 2,000 रू अखरे दो हजार व परिवाद व्यय के रूप में 1,000 अखरे एक हजार दिलाया जाना उचित है।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद आंषिक रूप से अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वह अंविलम्ब दस दिन के भीतर भीतर परिवादी का विद्युत कनेक्षन जोड देवे तथा मई 2015 राषि 979 रू का जारी विद्युत बिल केन्सिल किया जाता हैं। तथा अप्रार्थीगण 2 माह के भीतर परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे 2,000 अखरे दो हजार रू व परिवाद व्यय 1,000 अखरे एक हजार रू अदा करे।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 29.09.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।