Uttar Pradesh

StateCommission

C/2012/39

Satendra Tyagi - Complainant(s)

Versus

Jaypee Infratech Ltd - Opp.Party(s)

Vishnu Kumar Mishar And Puneet Kumar Saxena , Pramod Kumar Singh ,

12 Mar 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2012/39
( Date of Filing : 10 Apr 2012 )
 
1. Satendra Tyagi
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Jaypee Infratech Ltd
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Mar 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद संख्‍या-39/2012

सत्‍येन्‍द्र त्‍यागी पुत्र स्‍व0 वी.एस. त्‍यागी निवासी हाउस नं0

572, सेक्‍टर 29, नोएडा-201301 उत्‍तर प्रदेश।           ...........परिवादी

बनाम्

1.Jaypee Infratech limited रजिस्‍टर्ड आफिस सेक्‍टर 128

नोएडा 201304 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर

2.जयप्रकाश एसोसिएट्स लि0 रजिस्‍टर्ड आफिस जेपी ग्रीन्‍स

सेक्‍टर 128, नोएडा-201304 उत्‍तर प्रदेश द्वारा मैनेजिंग

डायरेक्‍टर।                                                        .......विपक्षीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित  : श्री प्रमोद कुमार सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

वि0सं0 2 की ओर से उपस्थित: श्री मो0 अलताफ मंसूर, विद्वान अधिवक्‍ता

दिनांक 19.05.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी को आवंटित प्‍लाट संख्‍या पी-061 127.93 स्‍कवायर मीटर मूल्‍य रू. 6373000/- के आवंटन के निरस्‍तीकरण आदेश को रद्द करने के लिए, अंकन रू. 637300/- तथा 143928/- के जब्‍तीकरण के आदेश को रद्द करने के लिए, मूल्‍यांकन रू. 6373000/- के मूल्‍य पर प्रश्‍नगत प्‍लाट वादी को प्राप्‍त कराने के लिए, परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन रू. 2043684/- पर दि. 15.04.11 से 18 प्रतिशत ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए देरी से कब्‍जा देने के कारण एक लाख रूपये प्रतिमाह के प्रतिकर के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में पांच लाख रूपये तथा परिवाद खर्च में एक लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

 

 

-2-

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि Jaypee Infratech limited जिसे आगे चलकर J.I.L कहा जाएगा, Jaypee Greens योजना के अंतर्गत भूखंड बुक करने के लिए मार्केटिंग तथा निर्माण करने के लिए जय प्रकाश एसोसिएट्स लि0 जिसे आगे चलकर J.A.L कहा जाएगा को कार्य सुपुर्द किया गया। दि. 29.01.2010 को परिवादी ने Jaypee Greens में एक भूखंड अंकन तीन लाख रूपये देकर बुक कराया। यह राशि J.I.L को दी गई थी। दि. 17.04.10 को प्रोविजनल आवंटन पत्र जारी किया गया। आवंटित भूखंड का नम्‍बर पी-61 क्षेत्रफल 127.93 स्‍क्‍वायर मीटर तथा मूल्‍य रू. 6373000/- निर्धारित किया गया। आवंटन पत्र में कुल मूल्‍य रू. 6373000/- था तथा भुगतान योजना के अनुसार परिवादी को रू. 6515520/- जमा करने थे। विपक्षीगण द्वारा जहां बुकिंग धन अंकन तीन लाख रूपये दि. 29.01.2010 को प्राप्‍त किया गया, वहीं प्रोविजनल आवंटन पत्र 80 दिन के पश्‍चात दि. 17.04.10 को जारी किया गया, जबकि द्वितीय किश्‍त अंकन रू. 893400/- जमा करने के लिए मात्र एक माह का समय दिया गया।

3.   आवंटन पत्र तथा भुगतान योजना में धनराशि का अंतर होने के कारण मौके पर कार्य सुचारू रूप से गतिमान न होने के कारण अन्‍य  आवंटियों के मन में योजना की सफलता पर आशंका हुई व विपक्षीगण की सहमति से यह व्‍यवस्‍था हुई कि आवंटी अपने द्वारा जमा की गई धनराशि किसी अन्‍य आवंटी के लिए अंतरण कर सकते हैं ताकि वे जब्‍ती के खतरे से बच सकें। विमलेश कुमारी नामक एक आवंटी को यूनिट संख्‍या पी-128 आवंटित किया गया, जो इस भूखंड को पूर्ण रूप से नहीं रखनी चाहती थीं। परिवादी से भिज्ञता होने के कारण विपक्षीगण से अनुमति प्राप्‍त कर अपने

-3-

द्वारा जमा किया गया धन परिवादी की यूनिट के लिए अंतरित कर दिया गया। यही प्रक्रिया यूनिट संख्‍या पी-075 के आवंटी द्वारा अपनाई गई। इस राशि का अंतरण स्‍वीकार करने से पूर्व भी विपक्षीगण द्वारा द्वितीय एवं तृतीय किश्‍त की राशि अंकन रू. 149100/- जमा करने के लिए दि. 04.09.2010 को पत्र जारी किया। यूनिट संख्‍या पी-128 तथा पी-057 आवंटियों द्वारा अंतरित राशि का लेखा विवरण दि. 06.12.2010 को प्राप्‍त कराया गया और इसके बाद दि. 09.02.2011 को विपक्षी संख्‍या 2 के प्राधिकारी के तहत आवंटित भूखंड के निरस्‍तीकरण का नोटिस प्राप्‍त हुआ तथा अंकन रू. 902478/- 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित 30 दिन के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया। 30 दिन की अवधि समाप्‍त होने से पूर्व भी दि. 09.02.11 को विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा दूसरा नोटिस दिनांकित 18.02.11 जारी कर दिया गया और कुल रू. 2908170/- की मांग की गई। यह मांग पत्र आवंटन निरस्‍त करने का फर्जी आधार तैयार करने के लिए जारी किया गया था, जबकि मौके पर अत्‍यधिक धीमी गति से विकास कार्य हो रहा था। दि. 30.03.11 को परिवादी का प्‍लाट संख्‍या पी-61 निरस्‍त कर दिया गया और अंकन रू. 637300/- अग्रिम धन तथा रू. 143928/- ब्‍याज के रूप में जब्‍त करनेकी सूचना दी गई। दि. 30.03.12 का निरस्‍तीकरण पत्र असम्‍यक दबाव बनाने के लिए जारी किया गया। विपक्षीगण के अधिकारियों द्वारा कहा गया कि यदि रू. 902478/- जिनका उल्‍लेख दि. 09.02.12 के पत्र में है जल्‍दी जमा करा दिया जाए तब दि. 30.03.11 का पत्र वापस ले लिया जाएगा। परिवादी द्वारा दि. 15.04.11 को रू. 902478/- विपक्षी संख्‍या 1 के कार्यालय में जमा करा दिया गया, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा आवंटन रद्द करने का आदेश वापस नहीं लिया, इसलिए परिवादी द्वारा लीगल

-4-

नोटिस दि. 02.06.11 को दिलवाया। दि. 13.07.11 के लेखा विवरण के अनुसार परिवादी पर रू. 1634632/- बकाया थे। परिवादी इस राशि को जमा करने के लिए भी तत्‍पर एवं उत्‍सुक था, परन्‍तु विपक्षी संख्‍या 2 ने आवंटन रद्द करने का आदेश वापस नहीं लिया तथा विधिक नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए परिवादी ने देय धन जमा नहीं कराया और इसके पश्‍चात दि. 17.08.11 को गलत तथ्‍यों पर नोटिस का जवाब दिलाया गया। दि. 17.02.2012 परिवादी को इस आशय का नोटिस प्राप्‍त हुआ कि दि. 09.02.11 की नोटिस के बावजूद बकाया धन जमा नहीं कराया गया, इसलिए प्रोविजनल आवंटन रद्द कर दिया गया और क्रमश: रू. 637300/- अग्रिम धन तथा रू. 143928/- ब्‍याज के रूप में जब्‍त कर लिए गए थे। इस नोटिस द्वारा परिवादी को सलाह दी गई कि वे मूल आवंटन पत्र वापस लौटा दें और बकाया रू. 106394/- प्राप्‍त कर लें। विपक्षीगण द्वारा की गई यह समस्‍त कार्यवाही विधि विरूद्ध है, उनके द्वारा उपभोक्‍ता  अधिनियम के प्रावधान के अनुसार उपभोक्‍ता के प्रति सेवा में कमी की गई, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित अनुतोषों के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

4.   परिवाद पत्र के साथ संख्‍यांक 12 से 53 तक विभिन्‍न दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए हैं। सुसंगत दस्‍तावेजों का उल्‍लेख आगे चलकर किया जाएगा। परिवादी द्वारा स्‍वयं का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है, जो पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या 54 लगायत 56 है।

5.   विपक्षीगण को यह स्‍वीकार है कि परिवादी ने तीन लाख रूपये अदा करते हुए भूखंड बुक कराया था तथा परिवादी को भूखंड संख्‍या पी-061 Jaypee Greens में आवंटित किया गया, जिसका कुल मूल्‍य रू. 6373000/- था, जिसमें घटोत्‍तरी या बढ़ोत्‍तरी हो सकती थी। समय पर भुगतान भी

-5-

संविदा की आवश्‍यक शर्त थी, परन्‍तु मांग पत्र के बावजूद परिवादी ने समय पर भुगतान नहीं किया। परिवादी द्वारा अस्‍थायी रूप से रू. 287622/- और तीन लाख रूपये का भुगतान क्रमश: दि. 17.06.10 एवं 13.08.10 को किया, इसलिए दि. 09.02.2011 को अंकन रू. 902478/- 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित दि. 31.12.10 तक जमा करने और विफलता पर आवंटन रद्द करने का नोटिस प्रेषित किया, परन्‍तु परिवादी द्वारा भुगतान नहीं किया गया, इसलिए आवंटन रद्द किया गया था और परिवादी द्वारा जमा की गई राशि रू. 887622/- में से रू. 637300/- जब्‍त करने की सूचना भी दी गई। इसी प्रकार अंकन रू. 143928/- ब्‍याज की मद में कटौती कर जब्‍त करने की सूचना दी गई। लिखित कथन में यह तथ्‍य भी स्‍वीकार किया गया कि भूखंड का आवंटन रद्द करने के पश्‍चात परिवादी द्वारा रू. 902478/- जमा कराए गए। इस राशि का जमा करने मात्र से परिवादी द्वारा कारित त्रूटियां सही नहीं हो जाती। परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि अंकन रू. 902478/- वापस लौटा दी गई है। लिखित कथन में यह भी उल्‍लेख किया गया है कि अपने अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए यदि परिवादी मूल दस्‍तावेज वापस लौटा देता है तब विपक्षीगण परिवादी द्वारा जमा की गई राशि वापस लौटाने के लिए तैयार है। यह तथ्‍य स्‍वीकार किया गया है कि विमलेश कुमारी को आवंटित भूखंड के लिए जमा अग्रिम धनराशि ब्‍याज की कटौती के पश्‍चात यूनिट संख्‍या पी-0161 के लिए अंतरित कर दी गई थी। यह भी उल्‍लेख किया गया कि मौखिक रूप से आवंटन पत्र निरस्‍त करने का कोई आश्‍वासन नहीं दिया गया। परिवादी को उपभोक्‍ता होने से भी इंकार किया गया तथा क्षेत्राधिकार को इस आधार पर चुनौती दी गई कि चूंकि

 

-6-

परिवादी द्वारा केवल रू. 887622/- जमा किए गए हैं, इसलिए इस आयोग को आर्थिक रूप से सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।

6.   लिखित कथन के समर्थन में अधिकृत हस्‍ताक्षरी श्री अजीत कुमार का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया। दोनों पक्षकारों की ओर से लिखित बहस भी प्रस्‍तुत की गई तथा मौखिक रूप से भी सुना गया।

7.   विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस में ऐसे अनेक बिन्‍दु उठाए गए हैं, जिनका लिखित कथन में कोई उल्‍लेख नहीं है। बहस में केवल वह मुददे उठाए जा सकते हैं जिनका लिखित कथन में उल्‍लेख किया गया हो। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि विपक्षी संख्‍या 2 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है, जबकि आवंटन पत्र निरस्‍तीकरण पत्र स्‍वयं विपक्षी संख्‍या 2 यानी J.A.L द्वारा जारी किए गए हैं, इसलिए विपक्षी संख्‍या 2 आवश्‍यक पक्षकार है।

8.   विपक्षीगण की ओर से एक महत्‍वपूर्ण मुददा यह उठाया गया है कि J.I.L का प्रबंधक एन.वी.सी.सी. के पास आ चुका है, इसलिए यह परिवाद उद्देश्‍यविहीन हो चुका है, परन्‍तु चूंकि आवंटन पत्र एवं निरस्‍तीकरण विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा किया गया है और विपक्षी संख्‍या 2 का प्रबंधन एन.वी.सी.सी द्वारा दिए जाने का कोई तर्क प्रस्‍तुत नहीं किया गया है न ही कोई सबूत इस संबंध में प्रेषित किया गया है। चूंकि निरस्‍तीकरण/जब्‍तीकरण की कार्रवाई विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा की गई है, अत: इसी कार्यवाही की वैधता उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इस आयोग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। यदि J.I.L का प्रबंधन विद्वान एन.सी.एल.टी. द्वारा एन.वी.सी.सी. को सौंप दिया गया है तब इस आदेश का कोई प्रभाव

 

-7-

विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा सेवा में की गई कमी के प्रश्‍नों को निर्धारित करने के लिए कोई बाधा उत्‍पन्‍न नहीं करता है, परिणामत: J.I.L के संबंध में पारित आदेशों एवं प्रस्‍तुत की गई विधि व्‍यवस्‍थाएं जो लिखित बहस के साथ प्रस्‍तुत की गई है, का उल्‍लेख इस निर्णय में नहीं किया जा रहा है।

11.  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि भुगतान योजना के अनुसार मौके पर विकास कार्य नहीं किए गए हैं और विकास कार्य किए बिना ही उन कार्यों के होन पर देय राशि की मांग प्रारंभ कर दी गई। विपक्षीगण का यह कार्य और आचरण अनुचित व्‍यापार और व्‍यवहार की श्रेणी में आता है।

12.  विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादी ने स्‍वयं समय पर देय धनराशि का भुगतान नहीं किया, इसलिए विधिसम्‍मत रूप से धनराशि की मांग की पूर्ति न करने पर आवंटन निरस्‍त करने का नोटिस दिया गया। इस नोटिस के बावजूद धनराशि जमा न करने पर विधिसम्‍मत रूप से आवंटन रद्द किया गया तथा आवंटी द्वारा जमा की गई धनराशि का एक भाग जब्‍त किया गया और देरी से भुगतान के कारण ब्‍याज की मद में एक राशि जिसका उल्‍लेख ऊपर किया गया है, जब्‍त की गई।

13.  दोनों पक्षकारों द्वारा प्रस्‍तुत कथनों एवं तर्कों के पश्‍चात इस विवाद के निस्‍तारण के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज आवंटन पत्र के साथ संलग्‍न भुगतान प्‍लान जो इस पत्रावली में दस्‍तावेज संख्‍या 18 है। इस भुगतान प्‍लान के अनुसार अंकन रू. 893400/- दि. 18.05.2010 को या इस तिथि से पूर्व जमा किए जाने हैं। इस तिथि को या इस तिथि से पूर्व इस धनराशि  को जमा करने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इस राशि के जमा करने के संबंध में केवल यह कथन किया गया कि विपक्षीगण द्वारा अंकन

-8-

तीन लाख रूपये दि. 29.01.10 को प्राप्‍त कर लिए गए और प्रोविजनल आवंटन पत्र दि. 17.04.10 को जारी किया गया और द्वितीय किश्‍त अंकन

रू. 893400/- जमा करने के लिए केवल एक माह का समय दिया गया और आवंटन पत्र जारी करने के 2 दिन के पश्‍चात ही इस राशि का डिमांड नोटिस जारी कर दिया गया। परिवादी द्वारा विमलेश कुमारी को आवंटित भूखंड की अग्रिम धनराशि अंतरिम कराने के संबंध में जो उल्‍लेख किया गया है, उसके अनुसार दि. 13.09.10 को विपक्षीगण ने यह सुविधा स्‍वीकृत की, अत: परिवाद पत्र के अनुसार दि. 13.09.10 तक भी परिवादी द्वारा मांग पत्र में वर्णित धनराशि जमा नहीं की गई। इसी तरह 17.08.10 को यूनिट संख्‍या 057 के आवंटी द्वारा अग्रिम धनराशि परिवादी के मद में अंतरण का उल्‍लेख है यानी इस तिथि तक भी परिवादी ने मांग पत्र में वर्णित धनराशि जमा नहीं की थी। दस्‍तावेज संख्‍या 26 पर मौजूद विवरण के अनुसार दि. 29.01.10 को परिवादी ने तीन लाख रूपये जमा कराए। दि. 17.06.10 को यूनिट संख्‍या पी-128 से रू. 287622/- जमा हुए, 13.08.10 को यूनिट संख्‍या 057 से तीन लाख रूपये जमा हुए। इस प्रकार 13.08.10 तक रू. 587622/- जमा हुए, जबकि 18.05.2018 तक परिवादी को कुल रू. 893400/- जमा करने थे। 19.06.10 को रू. 596700/- जमा करने थे। परिवादी पर कुल बकाया राशि रू. 924078/- थी। इस राशि पर ब्‍याज रू. 102032/- हो चुका था।

14.  विपक्षीगण द्वारा दि. 09.02.11 को इस आशय का नोटिस दिया गया कि अंकन रू. 887622/- अदा करने के पश्‍चात आप शेष धनराशि अदा करने में विफल रहे हैं, इसीलिए प्रोविजनल रूप से आवंटित भूखंड को रद्द करने का नोटिस दिया जा रहा है। यद्यपि दि. 31.12.10 तक ब्‍याज सहित

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रू. 902478/- जमा करन का अनुरोध भी किया गया, परन्‍तु इस नोटिस के बावजूद परिवादी द्वारा नोटिस में वर्णित धनराशि जमा नहीं की गई।

15.  परिवादी को पुन: दि. 18.02.11 को एक मांग पत्र जारी किया गया और कुल रू. 2908170/- की मांग की गई। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  का यह तर्क है कि मौके पर किसी प्रकार का विकास कार्य नहीं हुआ। भुगतान प्‍लान के अवलोकन से ज्ञात होता है कि दि. 18.05.10 तक रू. 893400/- के भुगतान के लिए कोई कार्य करना नहीं बताया गया है। इस भुगतान के पश्‍चात भूखंड पर भराव करने के पश्‍चात तीसरी धनराशि की मांग का उल्‍लेख है, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा जो नोटिस जारी किया गया, उसमें कहीं पर यह उल्‍लेख नहीं है कि भूखंड पर मिट्टी डालकर भराव कर दिया गया है। इसी प्रकार इससे आगे की धनराशि जिस कार्य को करने के पश्‍चात मांगी जा सकती थी वह कार्य परिवादी की भूखंड को मिट्टी डालकर एक सार करना था, परन्‍तु यह कार्य नहीं किया गया। अग्रिम किश्‍त जमा करने की शर्त बाउन्‍ड्री वाल की पहचान सुनिश्चित करना था, परन्‍तु वाउण्‍ड्री वाल सुनिश्चित नहीं की गई। इसके पश्‍चात ड्रेनेज व सीवर स्‍थापित करने के पश्‍चात अग्रिम किश्‍त अदा की जानी थी। इसके पश्‍चात इलेक्ट्रिक व वाटर सप्‍लाई की किश्‍त जमा की जानी थी और इसके पश्‍चात कब्‍जा प्राप्ति के समय किश्‍त जमा की जानी थी, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा जारी किसी भी मांग पत्र में किसी भी कार्य को पूर्ण करने का उल्‍लेख नहीं है। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के उल्‍लेख कि बिना धनराशि की मांग की जा रही है। इस प्रकार स्‍वयं विपक्षीगण ने मांग पत्र में वर्णित कार्यों को पूर्ण किए बिना धनराशि मांगी गई। धनराशि अदा करने की केवल प्रथम पत्र में एक तिथि निश्चित की गई। इसके पश्‍चात विपक्षीगण द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न प्रकृति के

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कार्यों को अंजाम दिया जाना था। उन कार्यों को करने के पश्‍चात अग्रिम किश्‍तों की मांग की जानी थी। परिवादी की ओर से दि. 28.02.12 का एक फोटोग्राफ प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि इस तिथि तक न तो भूखंड की दीवारों की नाप स्‍थापित की गई न ही सीवर, पानी आदि की सप्‍लाई की गई न ही भूखंड की पहचान स्‍थापित की गई न ही भूखंड तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण किया गया। केवल परिवाद पत्र में वर्णित उल्‍लेख तथा शपथपत्र से समर्थित तथ्‍य इस स्थिति को स्‍थापित करते हैं कि मौके पर विकास की योजना तैयार किए बिना ही आवंटियों से आवेदन प्राप्‍त कर लिए गए। आवेदन शुल्‍क जमा करा लिया गया। आवंटन पत्र जारी कर दिए गए। भिन्‍न-भिन्‍न धनराशियों की मांग की जाने लगी। विपक्षीगण का यह समस्‍त कार्य अनुचित व्‍यापार की श्रेणी में आता है, इसलिए मौके पर संपूर्ण कार्य सुनिश्चित कराए बिना विभिन्‍न धनराशियों की मांग करना, आवंटी द्वारा जमा न कराने पर निरस्‍तीकरण का नोटिस देना विपक्षी संख्‍या 2 की मनमानी कार्यवाही है। अत: परिवाद पत्र स्‍वीकार होने योग्‍य है।     

आदेश

A.   विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा भूखंड संख्‍या पी-061 क्षेत्रफल 187.93 कुल रू. 6373000/- को निरस्‍त करने का आदेश दिनांकित 30.03.11 अपास्‍त किया जाता है। इस भूखंड का आवंटन परिवादी के पक्ष में यथावत बना रहेगा।

B.   विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा जब्‍त की गई राशि का आदेश जिसे 17.02.12 के पत्र द्वारा सूचित किया गया है, अपास्‍त किया जाता है। यह राशि परिवादी के आवंटित भूखंड की मद में जमा मानी जाएगी।

-11-

C.   विपक्षी संख्‍या 2 को निर्देशित किया जाता है कि मांग पत्र में वर्णित कार्यों को दर्शाते हुए यानी जिस अवसर पर जो कार्य पूर्ण हो चुका है, उसके अनुसार उस पूर्ण कार्य का उल्‍लेख करते हुए पुन: मांग पत्र जारी किया जाए

और मांग पत्र के अनुसार कार्यों की संपूर्णता की तिथि के आलोक में, जिनका उल्‍लेख मांग पत्र में मौजूद हो शेष धनराशि जमा करने का मांग पत्र जारी किया जाए और यदि परिवादी मांग पत्र के अनुसार कार्य की संपूर्णता के तहत धनराशि जमा करता है तब धनराशि जमा करने के पश्‍चात 3 माह के अंदर प्रश्‍नगत भूखंड का कब्‍जा प्रदान किया जाए तथा लीज डीड निष्‍पादित की जाए। लीज डीड की राशि का खर्च भी परिवादी द्वारा व्‍यय किया जाएगा।

D.   परिवादी द्वारा जमा की गई राशि को समायोजित करते हुए परिवादी से शेष राशि पर कोई ब्‍याज विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा वसूल नहीं किया जाएगा। इस प्रकार परिवादी भी अपने द्वारा जमा की गई राशि पर ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं होगा। यद्यपि मौके पर कार्य पूर्णता के साथ जो धनराशि मांगी जाएगी उस राशि को मांग पत्र में दी गई समयावधि में जमा कराना होगा।

E.   चूंकि विपक्षीगण द्वारा मौके पर विकास किए बिना ही मांग पत्र में लिखा है इसलिए कार्य को पूर्ण किए उन कार्यों का उल्‍लेख किए बिना धनराशि की मांग की गई। परिवादी द्वारा विकास न होने के कारण यह धनराशि जमा नहीं की गई और विपक्षीगण द्वारा मनमाने तरीके से आवंटन निरस्‍त कर दिया गया। परिवादी को आवंटन बहाल कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ा, अनेकों वर्षों तक विवाद में संलिप्‍त रहना पड़ा, अत: परिवादी

 

-12-

अंकन रू. 50000/- का प्रतिकर प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। परिवादी से राशि जमा कराते समय इस राशि का भी समायोजित किया जाए।

F.   परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षी संख्‍या 2 रू. 10000/- अदा किया जाए। यह राशि भी विपक्षी द्वारा देय राशि में समायोजित की जा सकती  है।

     उभय पक्ष अपना-अपना परिवाद-व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

     इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

         

     (विकास सक्‍सेना)                     (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

  कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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