राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद संख्या-293/2017
फरहान राशिद पुत्र स्व0 रियाज हामिद निवासी 70 शहदाब
कालोनी, पोस्ट आफिस, महानगर, लखनऊ। ...........परिवादी
बनाम
जे0पी0 इन्फ्राटेक लि0, रजिस्टर्ड आफिस स्थित 128, नोएडा
द्वारा डायरेक्टर व एक अन्य। .......विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री प्रतुल प्रताप सिंह, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 13.02.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन रू. 1014207.83/- 24 प्रतिशत ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए, भौतिक कब्जा देरी के कारण 2015 से रू. 10000/- प्रतिमास किराए पर प्राप्त करने के लिए, मानसिक प्रताड़ना के मद में उचित धनराशि प्राप्त करने के लिए तथा परिवाद व्यय के रूप में एक लाख रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा दि. 04.04.2013 को परिवादी को एक फ्लैट आवंटित किया गया, जिसकी किश्तों का भुगतान नियमित रूप से किया गया, परन्तु नियत अवधि के अंतर्गत कब्जा प्रदान नहीं किया गया। परिवादी द्वारा अपना धन वापस मांगा गया, उसे भी अदा नहीं किया गया, इसलिए उपरोक्त वर्णित अनुतोषों के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
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3. परिवाद के समर्थन में शपथपत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं।
4. विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किए गए लिखित कथन में आवंटन के तथ्यों से परिवादी द्वारा जमा राशि से इंकार नहीं किया गया, अपितु यह कथन किया गया कि इस धन की वापसी निरस्तीकरण के नियमों के तहत की जा सकती है। इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया गया कि नियत समयावधि के अंतर्गत निर्माण करते हुए कब्जा प्रदान नहीं किया गया है।
5. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया गया।
6. परिवादी द्वारा श-शपथ साबित किया गया है कि उनके द्वारा अंकन रू. 1014207.83/- पैसे जमा किए गए हैं। एनेक्सर संख्या 1 आवंटन पत्र है, जिसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि दि. 24.05.2013 को आवंटन पत्र जारी किया गया है। 30 माह के अंदर कब्जा प्रदान करने का उल्लेख किया गया है। परिवादी द्वारा जमा की गई राशि की रसीदें पत्रावली पर दस्तावेज संख्या 21, 22 व 23 पर मौजूद है। चूंकि यह तथ्य स्थापित है कि परिवाद में वर्णित राशि परिवादिया द्वारा जमा की गई और आवंटन पत्र में नियत अवधि के दौरान निर्माण कार्य पूर्ण कर कब्जा सुपुर्द नहीं किया गया, इसलिए परिवादिया द्वारा जमा राशि 09 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
7. प्रतिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन है कि परिवादिया द्वारा कैन्सिलेशन के लिए पत्र दिया गया, इसलिए एक निश्चित
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कटौती करने के पश्चात शेष धनराशि वापस लौटायी जा सकती है। परिवादिया द्वारा स्वेच्छा से फ्लैट के आवंटन को रद्द करने का अनुरोध नहीं किया गया, अपितु इस बाध्यता के साथ एक पत्र लिखा गया, क्योंकि स्वयं भवन निर्माता कंपनी ने निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया था, अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि निश्चित कटौती करने के पश्चात अवशेष धनराशि वापस लौटायी जा सकती है।
8. परिवादिया द्वारा यह अंकन रू. 1014207.83/- वर्ष 2013-2014 में जमा कराई गई है। इस राशि को जमा करने के बावजूद परिवादिया अपने आवास का प्रबंध नहीं कर सकी, अत: परिवादिया को मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई है, अत: इस मद में दो लाख रूपये की राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, परन्तु चूंकि जमा राशि पर 09 प्रतिशत ब्याज अदा करने का आदेश दिया जा रहा है, किराए के मद में कोई धन प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। इसी प्रकार परिवादिया परिवाद व्यय के रूप में रू. 25000/- प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
आदेश
9. परिवाद स्वीकार किया जाता है:-
(ए). विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि आज से 3 माह के अंदर परिवादी को उसके द्वारा जमा राशि अंकन रू. 1014207.83/- 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा की जाए। ब्याज की गणना जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक की जाएगी। यदि 3 माह के अंदर भुगतान नहीं किया जाता है तब ब्याज राशि 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होगी।
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(बी). परिवादी विपक्षी से मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना के मद में रू. 200000/- प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
(सी). परिवादी विपक्षी से परिवाद व्यय के रूप में रू. 25000/- प्राप्त करेन के लिए भी अधिकृत है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2