(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-124/2016
1. देवेन्द्र डंग पुत्र स्व0 टी.डी. डंग, निवासी 30/1, इंडस्ट्रियल कालोनी, गोविंद नगर, कानपुर (यू.पी.)।
2. अनूप भवानी पुत्र महेश कुमार भवानी, निवासी 125/जी/56, गोविंद नगर, कानपुर (यू.पी.)।
3. सचिन दुआ पुत्र सुखदेव राज दुआ, निवासी 13/388, गोविंद नगर, कानपुर (यू.पी.)।
परिवादी
बनाम
जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, जेपी ग्रीन्स, सेक्टर 128, नोयडा 201304(यू.पी.)।
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी.के. मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री मोहित चंद्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक: 24.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 50,31,596/-रू0 की वापसी 18 प्रतिशत ब्याज के साथ प्राप्त करने के लिए, मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए तथा सेवा में कमी एवं परिवाद व्यय की मद में अंकन 02 लाख रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.के. मिश्रा तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित चंद्रा को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादीगण द्वारा यमुना बिहार योजना के अंतर्गत एक भूखण्ड प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। विपक्षी द्वारा 297.200 वर्ग यार्ड का एक भूखण्ड दिनांक 28.04.2012 को आवंटित किया गया, जिसका कुल मूल्य अंकन 99,72,600/-रू0 था। 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान अग्रिम करना था तथा शेष राशि का भुगतान कब्जा प्राप्ति के समय करना था। कब्जा प्राप्ति का समय 18 माह था, परन्तु इस अवधि के व्यतीत हो जाने के पश्चात मौके पर जाकर देखा गया और पाया गया कि केवल झाडिया खड़ी हुई हैं, कोई विकास कार्य नहीं किए गए, इसलिए वहां पर कब्जा प्राप्त करना संभव नहीं है। अत: परिवादीगण को उपरोक्त राशि वापस प्राप्त कराई जाए, जिसका विपक्षी द्वारा एक भारी धनराशि का प्रयोग किया गया है, जिसके कारण परिवादीगण को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना कारित हुई है, इसलिए मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना की मद में भी उपरोक्त वर्णित धनराशि को दिलाया जाए।
4. विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि माननीय नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युल इलाहाबाद बेंच द्वारा CP (IB)77/ALD/2017 IDBI Bank Vs Jaypee Infratech Limited में यह आदेश पारित किया गया कि दिनांक 09.08.2017 से मेनीटोरियम प्रारम्भ माना जाएगा, इसलिए विपक्षी से संबंधित कोई अवार्ड तथा प्रोसिडिंग संचालित नहीं की जाएगी। चूंकि इस आदेश के पारित हो जाने के पश्चात भी परिवाद संख्या-66/2017 में पारित आदेश दिनांक 12.07.2019 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई प्रथम अपील संख्या-2059/2019 का निस्तारण दिनांक 26.09.2022 को करते हुए माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा देरी के कारण परिवादी द्वारा जमा की गई राशि 09 प्रतिशत ब्याज सहित वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया है। अत: प्रस्तुत केस में भी परिवादीगण द्वारा जमा राशि 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित करना उचित है, क्योंकि स्वंय विपक्षी की त्रुटि के कारण परिवादीगण को समय पर आवंटित भूखण्ड का कब्जा प्राप्त नहीं हो सका। मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25 हजार रूपये अदा करने का आदेश देना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण द्वारा जमा धनराशि अंकन 50,31,596/-रू0 का भुगतान इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 02 माह के अंदर करें। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी देय होगा।
परिवादीगण को मानसिक, आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये देय होंगे। इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
परिवाद व्यय के रूप में विपक्षी परिवादीगण को अंकन 25 हजार रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2