(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 329/2017
Shivali Jetley W/o Rajiv Jaitely R/o G-367, Near Mother Dairy Booth, Shakarpur, Preet Vihar, East Delhi-110092.
.....परिवादिनी
बनाम्
Jaypee Greens Sport City, Jai Prakash Associates Limited,
Sector-128, Noida (Gautam Buddh Nagar) U.P, 201304.
- .विपक्षी
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री प्रशांत कुमार।
विपक्षी की ओर से उपस्थित- विद्धान अधिवक्ता के सहयोगी
श्री कुलदीप गौरव।
दिनांक : 25-06-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवादिनी Shivali Jetley ने यह परिवाद विपक्षी Jaypee Greens Sport City के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
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- That the opposite party may be directed to refund the Money Deposited.
- That the insurer may be directed to pay the damages with 12% interest for all the mental harassment.
- That the cost of the suit may kindly be awarded.
- That any other relief which this Hon’ble court may deem fit.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है उसने विपक्षी की परियोजना Jaypee Greens Sports City, Gautam Budh Nagar, U.P. परियोजना में आवंटन हेतु आवेदन पत्र दिनांक 19 अक्टूबर, 2011 प्रस्तुत किया। तब विपक्षी ने दिनांक 20 अक्टूबर, 2011 को उसे प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर जारी किया जिसके अनुसार Apartment Bearing Unit Reference No.LDI-05-1001 Jaypee Greens Sports City, Gautam Budh Nagar, U.P. उसे आवंटित किया गया, और उसे Unique Customer ID “JGSLD1051001 एलाट किया गया। उसे आवंटित यूनिट का मूल्य 49,92,290/- था और प्रोविजनल लेटर के क्लाज-5 के अनुसार कब्जा 42 महीने के अंदर अर्थात दिनांक 30 मई, 2015 तक दिया जाना सम्भावित था। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने एलाटमेंट लेटर के पेमेन्ट प्लान के अनुसार विपक्षी को दिनांक 24 अप्रैल, 2014 तक रू0 31,05,386/- अदा किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ने दिनांक 13 नवम्बर, 2013 को विपक्षी बिल्डर को ई-मेल परियोजना की प्रगति जानने के संबंध में भेजा था परन्तु विपक्षी ने उसके ई-मेल का जवाब नहीं भेजा और न ही परिवादिनी को आवंटित अपार्टमेंट का कब्जा विपक्षी द्वारा दिया गया। परिवादिनी ने पुन: दिनांक 06 नवम्बर, 2015 को दूसरा ई-मेल विपक्षी को भेजा और उससे अपने एकाउन्ट की कॉपी मांगी और यह जानना चाहा कि उसे और कितनी धनराशि अदा करनी है। तब विपक्षी ने दिनांक 28 नवम्बर, 2015 को
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उसका हिसाब भेजा। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा फ्लैट क्रय करने के लिए विपक्षी के यहॉं जमा किया है, परन्तु अब तक विपक्षी ने उसे फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है। जिससे उसे आर्थिक क्षति हो रही है और होम लोन की किश्तों का भुगतान भी उसे करना पड़ रहा है। साथ ही किराये के भवन का किराया भी देना पड़ रहा है। अत: परिवादिनी ने विपक्षी से अपनी जमा धनराशि के रिफण्ड की प्रक्रिया जानने हेतु दिनांक 30 दिसम्बर, 2015 को ई-मेल भेजा जिसका उत्तर विपक्षी ने पत्र दिनांक 02-01-2016 के द्वारा दिया और कहा कि कैन्सिलेशन की दशा में कुल धनराशि में से 10 प्रतिशत की कटौती कर ली जायेगी। उसके बाद परिवादिनी ने विपक्षी से संवाद किया, परन्तु विपक्षी ने फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा परिवादिनी को नियत समय में नहीं दिया और परिवादिनी की जमा धनराशि में से 10 प्रतिशत कटौती कर जमा धनराशि वापस करने की बात की। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है अत: उसके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री प्रशांत कुमार उपस्थित आए हैं। विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता के सहयोगी श्री कुलदीप गौरव उपस्थित आए है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र का संलग्नक-2 प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनंक 30-11-2011 प्रस्तुत किया है जिसके द्वारा उसे प्रश्नगत फ्लैट आवंटित किया गया है और आवंटित फ्लैट का मूल्य रू0 49,90,290/- है। आवंटन पत्र में कब्जा 42 महीने के अंदर दिया जाना अंकित है। परिवादनी ने परिवाद पत्र का संलग्नक-6 दिनांक
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11-01-2013 को जमा धनराशि की रसीद प्रस्तुत किया है। परिवाद पत्र का संलग्नक, 3,4,5 व 6 सभी जमा धनराशि की रसीदें है। परिवाद पत्र का संलग्नक-7 विपक्षी का पत्र दिनांक 08 मई, 2013 और संलग्नक-8 परिवादिनी के प्रश्गनत फ्लैट का एकाउंट जो विपक्षी के द्वारा व्यवस्थित किया गया है की प्रति है, जिसके अनुसार परिवादिनी ने विपक्षी के यहॉं कुल 31,05, 836/- की धनराशि दिनांक 24 अप्रैल, 2014 तक जमा की है। एलाटमेंट लेटर के अनुसार 42 महीने के अंदर कब्जा दिया जाना प्रस्तावित था, परन्तु करीब साढ़े सात साल का समय बीत चुका है और अब तक निर्माण कार्य पूरा कर परिवादिनी को कब्जा नहीं दिया गया है और न ही निकट भविष्य में निर्माण कार्य पूरा होने की सम्भावना बतायी गयी है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट है कि विपक्षी की सेवा में कमी है और परिवादिनी को आवंटित फ्लैट का निर्माण कर तय समय के अंदर उसे कब्जा नहीं दिया गया है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अब परिवादिनी को और आगे इन्तजार करने को नहीं कहा जा सकता है। अत: उचित प्रतीत होता है कि परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि ब्याज सहित विपक्षी से उसे वापस दिलायी जाए।
मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा के0ए0 नागमणि बनाम हाउसिंग कमिश्नर, कर्नाटका हाउसिंग बोर्ड ।।। CPJ 16 (SC) में दिये गये निर्णय के अनुसार ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है। परिवादिनी को उसकी जमा धनराशि विपक्षी से 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस दिलाया जाना उचित है, साथ ही परिवादिनी को विपक्षी से रू0 10,000/- वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
परिवादिनी की जमा धनराशि 18 प्रतिशत ब्याज के साथ उसे वापस दिलायी जा रही है अत: परिवादिनी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान किया जाना उचित नहीं है।
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी की जमा धनराशि रू0 31,05,386/- प्रत्येक धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादिनी को 02 माह के अंदर वापस करें। दो माह के अंदर परिवादिनी की जमा धनराशि ब्याज सहित वापस न किये जाने पर परिवादिनी विधि के अनुसार वसूली की कार्यवाही कर सकती है।
विपक्षी परिवादिनी को रू0 10,000/- वाद व्यय भी प्रदान करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0