राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या–879/2024
बजाज फाइनेन्स लिमिटेड, के0/आफ बजाज आटो लिमिटेड, मैटेरियल गेट, ओल्ड सर्विस बिल्डिंग मुम्बई पुणे रोड, अकुर्डी, पूणे-411035 व एक अन्य।
बनाम
जयकरन पुत्र छेद्दू निवासी ग्राम-लोनियनपुरवा, मजरा-अहिबरनपुर थाना-सदरपुर, तहसील-महमूदाबाद जिला-सीतापुर व एक अन्य।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता : श्री हरीशंकर
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता: कोई नही
दिनांक 30.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, सीतापुर द्धारा परिवाद संख्या– 178/2022 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.05.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में, परिवाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी दिनांक-29.05.2019 को अन्नपूर्णा सेल्स रामपुर मथुरा जिला सीतापुर से बजाज फाइनेंस लिमिटेड से फाइनेंस द्धारा रू0 13,000/- डाउन पेमेंट जमा करके एक मोटरसाइकिल बजाज CT100 जिसका गाडी नंबर UP34AY/8371 खरीदी थी। शेष धनराशि रू0 2733/- परिवादी को 17 मासिक किश्तों में भुगतान करना था। इस प्रकार परिवादी को कुल धनराशि रू0 59,461/- विपक्षी फाइनेन्स कम्पनी के पास जमा करनी थी।
परिवादी ने विभिन्न किस्तों के माध्यम से विपक्षी फाइनेंस कंपनी को रु0 53,950/- जमा किया। कोरोना काल के दौरान कुछ किश्ते जमा नहीं हो पाई थी जिसे बजाज फाइनेंस कंपनी का एजेंट शुभम पुत्र अज्ञात निवासी रामपुर कला जिला सीतापुर यह कह कर ले गये कि वह बजाज फाइनेंस में जमा कर देगें। परिवादी द्धारा रसीद मांगने पर एजेन्ट शुभम द्धारा नहीं उपलब्ध करायी गई। तदोपरान्त परिवादी स्वयं बजाज फाइनेंस के आफिस जाकर रू0 5000/- पेनाल्टी व रू0 14,500/ अतिरिक्त, बजाज फाइनेंस के कर्मचारी सरोज को जमा करने के लिए दिया था।
दिनांक 02.07.2022 को परिवादी जब अपने खेत गया था तभी बजाज फाइनेंस के कर्मचारी व एजेंट शुभम अन्य साथियों के साथ वहां पर बिना कोई पूर्व सूचना दिए आये और अचानक परिवादी की मोटरसाइकिल उठा कर ले जाने लगे। जब परिवादी ने सारी किश्तें जमा होने की बात कही तो उन्होंने कहा कि कंपनी ने उसकी गाड़ी खींच ली है क्योंकि उसने ऋण सम्बन्धित पूरी किश्तें जमा नहीं की है जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह परिवाद संस्थित किया है।
विपक्षी ने परिवादी के दावे को अस्वीकार करते हुए कहा है कि परिवादी डिफाल्टर है उसने नियमित रूप से किश्तें नहीं जमा किया है। परिवादी एवं विपक्षी के बीच हुए अनुबन्ध में यह साफ लिखा है कि यदि परिवादी किश्त नहीं जमा करेगा तो गाड़ी खींच ली जायेगी। परिवादी को 17 नहीं 18 किश्तों का भुगतान ऋण दाता कम्पनी को करनी थी। कोरोना काल में परिवादी को मोरोटोरियम की सुविधा का भी लाभ दिया गया था परन्तु उस समय भी उसने कोई किश्त नहीं जमा किया, इस कारण परिवादी के किश्तों की संख्या 18 से बढ़कर 23 हो गई थी। विपक्षी ने परिवादी को गाड़ी खींचने के पहले लीगल नोटिस भी दिया था। नोटिस देने के बाद भी परिवादी ने गाड़ी की किश्त अदा नहीं किया। ऋण की किश्त का भुगतान न होने के कारण परिवादी की गाड़ी खींची गई।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवादी द्वारा किश्त के रूप में कुल जमा धनराशि रू0 53,950/- का आधा भाग रु0 26,975/- परिवादी को वापस करें एवं शारीरिक और मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 20,000/- एवं वाद व्यय हेतु रू0 5000/- परिवादी को भुगतान करें। विपक्षी गणों को उपरोक्त कुल धनराशियों पर 09% वार्षिक ब्याज का भुगतान गाड़ी खींचने की तिथि 02.07.22 से भुगतान की तिथि तक करना होगा। विपक्षी गणों को इस आदेश का अनुपालन आदेश की तिथि से दो मास के भीतर करना होगा। यदि विपक्षीगण दो मास के भीतर इस आदेश का अनुपालन नहीं करते हैं तो परिवादी को इस आयोग के माध्यम से इस आदेश को लागू करवाने का अधिकार होगा। ‘’
मेरे द्धारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री हरीशंकर को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅू कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया इसमे किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए., कोर्ट न0- 1