Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/276

U P S E B - Complainant(s)

Versus

Jawahar Singh - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

23 Jul 1997

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/276
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U P S E B
A
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।

                                                          (सुरक्षित)

अपील सं0-276/1995

(जिला मंच मथुरा द्वारा परिवाद सं0-२४७/१९९४ में पारित आदेश दिनांक १०/०१/१९९५ के विरूद्ध)

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिवीजन तृतीय पंजाबीपेय मथुरा  ।

                                        ..........अपीलार्थी/विपक्षी

                        बनाम

जवाहर सिंह निवासी इटौली पीएस राया जिला मथुरा।

                                      ........     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2 मा0 श्री बाल कुमारी सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री  दीपक मेहरोत्रा अधिवक्‍ता ।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्‍ता अधिवक्‍ता।

दिनांक: 09/12/2014

                        मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित।

                             निर्णय

     अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच मथुरा द्वारा परिवाद सं0-२४७/१९९४ जवाहर सिंह बनाम अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड में पारित आदेश दिनांक १०/०१/१९९५ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच निम्‍न आदेश पारित किया है-

     ‘’ परिवाद वास्‍ते निरस्‍तीकरण बिल १४६२४.४०पैसे तथा वापसी ५५०७/-रू0 मय ३०००/-रू0 क्षतिपूर्ति व २००/-रू0 वाद व्‍यय स्‍वीकृत किया जाता है। विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह एक महीने के अन्‍दर परिवाद को तीन तार खींचकर उसके ट्यूबेल को कनेक्‍शन देगा जिससे उसका ट्यूबेल चालू हो सके और सिंचाई कर सके।‘’

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि उसने अपने साझीदार बाबूओं के साथ चक नं0 ६२८ मौजा इटौली पर ट्यूबेल लगाने के लिए विद्युत कनेक्‍शन ३०/०९/१९८८ को लिया था तथा उसकी फीस जमा की थी और विद्युत विभाग ने १९९० में आकर ट्यूबेल के लिए दो ही तार खींचे थे और विद्युत प्रवाहित नहीं की थी क्‍योंकि पावर सप्‍लाई के लिए ३ फेस की आवश्‍यकता होती है तथा ३ तार लगाए जाते हैं। इसलिए परवादी ने अभी तक विद्युत उपभोग नहीं किया और न ट्यूबेल ही चालू हुआ फिर भी विपक्षी ने प्रार्थी के पास १००००/-रू0 से अधिक का विद्युत बिल जारी कर दिया जिसकी जानकारी उसे नहीं हो सकी तथा उसके लिए वारंट वसूली तहसील को भेज दिए। जब उसे तहसील कर्मचारी पकड़कर ले गए तो उसे

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इस विषय में पता चला और उसने ५५०७/-रू0 जमा किए यह वसूली जून ९३ में हुई । इस विषय में उसने विपक्षी के यहां शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अत: उसे परिवाद प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता हुई।

     विपक्षी ने उपस्थित होकर प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया और कहा गया कि परिवादीद्वारा देनदारी से बचने के लिए यह परिवाद किया गया है। असल बात यह है कि परिवादी बाबुओं को ७.५ एचपी का विद्युत कनेक्‍शन डीई ४०५/९६९० दिनांक   १५/१०/८८ को श्री जी0डी0 उपाध्‍याय अवर अभियन्‍ता ने प्रदान किया था परिवादी ने ३०/०९/८८ को ५८०/-रू0 जमानत के तथा ४३५/-रू0 सर्विस कनेक्‍शन के जमा किए थे । उसका दिनांक १५/१०/८८ को कनेक्‍शन दे दिया गया था परिवादी को तीन तार खंचकर तीन फेस लाइन द्वारा विद्युत आपूर्ति दी गयी तथा उसके बाद वह नलकूप चलाता रहा और उपभोग करता रहा। उसकी तरु १४१६०.९० पैस माह अप्रैल ९४ को बकाया थे जिसमें केवल ५०००/-रू0 २३/०८/९३ को प्राप्‍त हुए हैं न कि ५५०७-रू0 । परिवाद कालातीत है। अत: परिवाद खारिज होने योग्‍य है। 

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रस्‍तुत प्रकरण में परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा दिनांक ३०/०९/८८ को ट्यूबेल कनेक्‍शन लिया गया था जिसके संबंध में उसके द्वारा वर्ष १९९४ में यह परिवाद विलम्‍ब से प्रस्‍तुत किया गया है । अत: काल बाधित है।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ताका यह भी तर्क है कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादी बराबरविद्युतका उपभोग करता रहा है और उसने विद्युत बिल का भुगतान नहीं किया और गलत तथ्‍यों के आधार पर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया जोकि निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

          प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा परिवाद में यह प्रार्थना की गयी थी कि उसके टयूबेल के लिए विद्युत सप्‍लाई जारी की जाए और गलत बिल रद्द कर दिए जाएं इसलिए परिवाद को प्रस्‍तुत किए जाने का कारण तब तक था जब तक कि अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा टयूबेल में विद्युत सप्‍लाई जारी न की जाए।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा मौके पर दो ही तार खींचे गए थे जबकि टयूबेल तीन फेस  से चलता है और तीसरा तार लगवाने के लिए उसके द्वारा कई शिकायतें दर्ज कराई गयी किन्‍तु अपीलकर्ता द्वारा उसका कोई निराकरण नहीं किया गया । अत: ऐसी परिस्थिति में

 

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परिवादी/प्रत्‍यर्थी का परिवाद काल बाधित नहीं है और समय सीमा के अन्‍तर्गत दायर किया गया है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने संपूर्ण तथ्‍यों एवं अभिलेखों पर विचार करते हुए सही आदेश पारित किया है जिसमें कोई हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है।

     प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा टयूबेल चलाने के लिए अपीलकर्ता के यहां ५८०/-रू0 जमानत तथा ४३५/-रू0 कनेक्‍शन के लिए जमा किया गया था किन्‍तु बार-बार प्रार्थना करने तथा उसका टयूबेल चलाने के लिए १९९० में पावर सप्‍लाई के लिए तार खींच दिए गए मगर तीन तार नहीं खींचे गय जबकि टयूबेल तीन फेस से ही चलता है। इस कारण परिवादी/प्रत्‍यर्थी टयूबेल नहीं चला सका । प्रत्‍यर्थी/प्रत्‍यर्थी के कथन के समर्थन में ग्राम प्रधान हाकिम सिंह, सदस्‍य चन्‍द्रपाल, उप प्रधान छिद्दाराम, चरन सिंह, महावीर प्रसाद, प्रधान तथा लाइनमैन  होतीलाल का शपथपत्र दिनांक १२/१०/१९९३ प्रस्‍तुत किए हैं जिनसे स्‍पष्‍ट हो जाता हैकि परिवादी टयूबेल नहीं चला और न उसे पूर्ण विद्युत आपूर्ति की गई।

     अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच ने प्रस्‍तुत किए गए साक्ष्‍य के आधार पर विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें कोई हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      

                        आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है। 

उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जाए। 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                               (बाल कुमारी)

   पीठा0सदस्‍य                                       सदस्‍य

सत्‍येन्‍द्र कुमार

आशु0 कोर्ट0 3

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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