राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या– 1417/2013 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, मिर्जापुर द्वारा परिवाद सं0 33/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 20-09-2012 के विरूद्ध)
द ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड रीजनल आफिस, जीवन भवन, 43 हजरतगंज, जिला- लखनऊ द्वारा मैनेजर, ब्रान्च आफिस मिर्जापुर। ..अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
जवाहर पाण्डेय, पुत्र स्व0 श्री रामराज पाण्डेय निवासीग्राम- दलपतपुर, पोस्ट- खम्रिया, तहसील ग्यानपुर जिला- भदोही, पूर्व पता- ग्राम मलुवा पोस्ट-पटेहरा जिला-मिर्जापुर, वर्तमान पता- रमईपट्टी नई बस्ती, पोस्ट एण्ड तहसील- सदर जिला- मिर्जापुर। ..प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थिति : श्री वासुदेव मिश्रा, विद्वान अधिवकता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थिति : कोई नहीं।
दिनांक-06-09-2016
माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, मिर्जापुर द्वारा परिवाद सं0 33/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 20-09-2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
“परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदिष्ट किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर परिवादी को 31,900-00 रूपये बतौर बीमाधन तथा 2,000-00 रूपये आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्टके लिए बतौर क्षतिपूर्ति कुल 33900-00 रूपये अदा कर दें। विपक्षी यदि उक्त अवधि में धनराशि अदा करने में चूक करता है तब परिवादी इस निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 33900-00 रूपये पर 08 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्राप्त करेगा।”
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने पॉच गाये 59000-00 रूपये में अपने निजी उपयोग के लिए खरीदा था, उक्त पॉचों गायों का बीमा विपक्षी कम्पनी से पॉलिसी सं0- 47/94/00048 द्वारा कराकर उसका प्रीमियम अदा कर दिया था। उक्त गायों की बीमा अवधि दिनांक 30-07-1993 से 29-07-1994 तक थी। उक्त पॉचों गायों में से तीन गाये जिनका टैग नं0 ओ0आई0सी0 22250/9774, ओ0आई0सी0 2752/22250, ओ0आई0सी0 9787/22250 था, की मृत्यु बीमारी के कारण दिनांक 12-08-1993, 17-07-1994 व 27-07-1994 को हो गयी। परिवादी ने गाय के टैग नं0-9787 के मृत्यु की सूचना दिनांक 02-08-1994
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को टैग नं0- ओ0आई0सी0 22250/9774 के मृत्यु की सूचना दिनांक 17-08-1993 तथा टैग नं0- ओ0आई0सी0 2752/22250 के मृत्यु की सूचना 19-07-1994 को विपक्षी ब्रांच को दे दिया और पशु दावा प्रपत्र भी क्रमश: 05-09-1994, 10-09-1993 व 29-07-1994 को प्रस्तुत किया। उक्त तीन गायों का पोस्ट मार्टम भी कराया गया था। उक्त तीनों गायों की कीमत 31,900-00 रूपये थी। तीनों गायों के मर जाने से परिवादी को कुल 31,900-00 रूपये की हानि हुई। परिवादी द्वारा तीनों गायों के मृत्यु की सूचना पशु दावा प्रपत्र प्रस्तुत करने के बाद भी विपक्षी द्वारा कोई क्षतिपूर्ति अदा नहीं की गई, बल्कि टालमटोल किया जाता रहा। अत: परिवादी को यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी से 31,900-00 रूपये बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का निवेदन किया है।
जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवादी ने अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि परिवादी का सम्पूर्ण दावा झूठे और मनगढन्त आधार पर प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा दिनांक 12-08-1993 को गाय मरने के बावत विपक्षी के कार्यालय में दावा दिनांक 10-04-1994 को करीब साढ़े सात माह बाद प्रस्तुत किया गया, परन्तु गाय के इलाज व क्रय किये जाने के सम्बन्ध में कोई कागज प्रस्तुत नहीं किया गया। गाय के मरने की तिथि 12-08-1993 बताई गई जबकि बीमा की तिथि 30-07-1993 है। इस प्रकार परिवादी की गाय बीमा कराने के ठीक बाद मर गयी, इससे प्रतीत होता है कि गाय को मृत दिखकर फर्जी दावा प्रस्तुत किया गया है। दूसरी गाय की मृत्यु दिनांक 17-07-1994 कहा गया है, जिसके इलाज के सम्बन्ध में कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है न ही क्रय के सम्बन्ध में कोई प्रमाण पत्र दिया गया। अत: उक्त दावा भी फर्जी तौर पर किया गया है। तीसरी गाय की मृत्यु दिनांक 27-07-1994 को दिखायी गई है, जबकि बीमा अवधि 29-07-1994 को समाप्त हो रही थी, इससे भी प्रतीत होता है कि बीमा समाप्त होने के दो दिन पूर्व गाय की मृत्यु परिवादी ने झूठा दिखाकर दावा प्रस्तुत कर दिया। परिवादी द्वारा अपने गाय को रखने का स्थान बीमा कराते समय मलुआ पटेहरा मिर्जापुर अंकित कराया गया था तो फिर उसके द्वारा गाय का इलाज ओराई के चिकित्सक द्वारा क्यों कराया गया। उपरोक्त बात संदेहात्मक है। अत: दावा संदिग्ध है। असल वाकिया यह है कि बीमा धारक जवाहर लाल पाण्डेय व अन्य ने सम्मिलित रूप से 18 गाये हरियाना से खरीदकर अपने फार्म मलुआ पटेहरा भेजा। बीमा धारकों ने 18 गायों में से केवल 11 गायों का बीमा कराया, जिसमें जवाहर लाल पाण्डेय पुत्र राम राज पाण्डेय 5 गाय, स्व0
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मोतीलाल पाण्डेय पुत्र राम राज पाण्डेय 3 गाय, पन्ना लाल पाण्डेय पुत्र राम राज पाण्डेय 2 गाय व सुरेश पाण्डेय पुत्र हीरालाल पाण्डेय 01 गाय का बीमा कराया था। इस तरह बीमा धारकों ने 18 गायों में से केवल 11 गायों का बीमा कराके उसी के आवरण में 18 गायों को रखा। इस प्रकार बीमा धारकों की नीयत शुरू से ही बीमा कम्पनी के विरूद्ध गलत रही। जहॉ गायों को रखा गया था, वह पहाड़ी क्षेत्र है, जहॉ पर फ्रीजियन गायों को रखना स्वयं उन्हें मृत्यु के मुंह में डालना है। यदि इस प्रकार गायों की मृत्यु हुई है तब वह बीमा धारक की लापरवाही के कारण हुई। परिवादी के दावे पर आवश्यक कार्यवाही विपक्षी के कम्पनी में चल रही है और कोई अन्तिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। परिवादी को वाद प्रस्तुत करने का कोई कारण नहीं है। परिवादी का दावा निरस्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी का कथन है कि गायों की मृत्यु की सूचना इंश्योरेंस कम्पनी/अपीलार्थी को नहीं दी गई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा साक्ष्य जो परिवादी ने प्रस्तुत किये है, वह संदिग्ध है। पोस्टमार्टम में जानवर तथा उसका टैग नं0 अंकित है तथा पॉलिसी में टैग नं0 अंकित नहीं है।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेख व पत्रावली का भलीभॉति परिशीलन किया।
जिला मंच का निर्णय/आदेश दिनांकित 20-09-2012 का है और अपील दिनांक 26-06-2013 में प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार से अपील विलम्ब से प्रस्तुत की गई है। अपीलार्थी ने विलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया है, जो शपथ-पत्र से समर्थित है। अपील को क्षमा किये जाने हेतु अपीलार्थी ने पर्याप्त कारण दर्शाये है। अत: विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि 11 गायों का बीमा परिवादी/प्रत्यर्थी ने कराया था, जबकि उसके पास 18 गायें थी। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट संदिग्ध है, लेकिन इस सम्बन्ध में उसके द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गायों का हवाला दिया गया है तथा टैग नं0 भी दिया गया है। अपीलार्थी का यह कहना कि परिवादी ने गायों की सुरक्षा में लापरवाही बरती, साक्ष्यों से सिद्ध नहीं होता है, जो व्यक्ति इतनी कीमती गायों को अपने यहॉ क्रय करेगा, वह उनकी देखभाल में कोई कमी अपने स्तर पर नहीं करेगा। जिला मंच ने प्रत्येक विन्दु पर विस्तृत विवेचना करते हुए निर्णय लिखा है। हम जिला मंच के निर्णय से सहमत है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाते हैं, परन्तु
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तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए जिला मंच ने जो 08 प्रतिशत का ब्याज लगाया है, उसको 06 प्रतिशत में परिवतित किया जाना न्यायोचित होगा। शेष आदेश की पुष्टि किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, मिर्जापुर द्वारा परिवाद सं0 33/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 20-09-2012 में जो 08 प्रतिशत का ब्याज परिवादी को दिलाया गया गया है, उसे संशोधित करते हुए 06 प्रतिशत ब्याज दिलाया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
(आर0सी0 चौधरी) ( राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य,
आर.सी.वर्मा, आशु.
कोर्ट नं0-3