राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-864/2010
दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कं0लि0, आफिसेस जिला मिर्जापुर और जिला
सोनभद्र द्वारा डयूली कांस्टीटयूटड अर्टानी और डिप्टी मैनेजर विजय कुमार
सिन्हा एट इट्स आफिस लीगल सेल एट 94 एम.जी.मार्ग, लखनऊ। .......अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
मे0 जवाहर लाल जायसवाल कांस्ट्रक्शन कं0लि0 द्वारा रामा शंकर
जायसवाल, डायरेक्टर औड़ी बीना रोड अनपरा जिला सोनभद्र। .....प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वेद प्रकाश, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 18-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-16/2009 मेसर्स जवाहर लाल जायसवाल कंस्ट्रक्शन कं0प्रा0लि0 बनाम दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कं0लि0 एवं अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.04.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' उपरोक्त संपूर्ण विवरण के आधार पर परिवादी का परिवाद पत्र सव्यय स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवाद पत्र में वर्णित कोटेशन के अनुसार मु0 322450/-( तीन लाख बाईस हजार चार सौ पचास) रूपये व मु0 162741/- (एक लाख बासठ हजार सात सौ इक्तालिस) रूपये कुल मु0 485191/- (चार लाख पचासी हजार एक सौ इक्यानबे) रूपये बतौर क्षतिपूर्ति तथा शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति के रूप में मु0 20000/-(बीस हजार) रूपये तथा वाद व्यय के रूप में मु0 5000/-(पांच हजार) रूपये कुल मु0 510191/-(पांच लाख दस हजार एक सौ इक्सानबे) रूपये बतौर क्षतिपूर्ति परिवादी को अदा करें। परिवादी दावा प्रस्तुत करने की तिथि दि. 06.03.09 से प्रतिकर की अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से
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ब्याज भी प्राप्त करेगा। उपरोक्त प्रतिकर की अदायगी ब्याज सहित तीस दिन की अवधि के अंदर की जाये।''
अपीलकर्ता द्वारा अपील को प्रस्तुत किए जाने में हुए विलम्ब को क्षमा किए जाने हेतु एक प्रार्थना पत्र दिया गया है तथा उसके साथ श्री विजय कुमार सिन्हा डिप्टी मैनेजर का शपथपत्र दाखिल किया गया है, जिसमें कि विलम्ब का समुचित कारण दिया गया है, अत: ऐसी परिस्थिति में विलम्ब को क्षमा किए जाने का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है एवं अपील को प्रस्तुत किए जाने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
प्रस्तुत प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 कान्ट्रेक्टर प्लाण्ट एण्ड मशीनरी इंश्योरेंस(सी0पी0एम0) के तहत नियमित रूप से टाटा हीटाची एक्स-110 का बीमा कराता रहा, जिसका बीमा पालिसी संख्या:- 421108/44/07/07/30000006 है, जो दिनांक 21.02.08 से दि. 20.02.09 तक प्रभावी है। बीमा अवधि के दौरान ही परिवादी की उपरोक्त मशीन का ब्रेक डाउन दि. 11.12.08 को प्रात:काल कार्यस्थल पर कार्य करते समय हो गया। यश कांस्ट्रक्शन इक्यूमेंट प्रा0लि0 डाला सोनभद्र को उसी दिन सर्विस इन्जीनियर द्वारा दि. 16.12.08 को रिपोर्ट दी गई कि टाटा हीटाची उपरोक्त का स्विंग डिवाइस फेल हो गया है, जिसको खोलने के उपरांत पार्टस के बारे में आख्या दी जा सकती है, हाइड्रोलिक पम्प को खोलकर टेल्को वर्कशाप जमशेदपुर भेजना होगा और वहीं से उसके डैमेज पार्टस की जानकारी होने पर कोटेशन दिया जायेगा, जिसकी जानकारी होने पर परिवादी द्वारा उपरोक्त तथ्यों के बावत विपक्षी संख्या 2 के संज्ञान में लायी गयी, जिस पर विपक्षी कंपनी द्वारा सर्वेयर श्री अनिल कुमार पाण्डेय को उपरोक्त मशीन की जांच हेतु भेजा गया। विपक्षी कंपनी के सर्वेयर उपरोक्त दि. 18.12.08 को उक्त टाटा हीटाची-एक्स-110 को देखने आये और सर्विस इंजीनियर यश कन्स्ट्रक्शन इक्यूपमेन्ट लि0 डाला से बुलवाकर अपने सामने स्विंग पम्प खुलवाये तथा डैमेज पार्टस आदि का फोटोग्राफ लिया जिसके आधार पर उपरोक्त एक कन्स्ट्रक्शन कंपनी द्वारा स्विंग डिवाइस के बावत दि. 18.12.08 को मु0 322450/-( रूपये तीन लाख बाइस हजार चार सौ पचास रूपये) एवं हाइड्रोलिक पम्प के बावत दि. 23.12.08 के मु0 162741/- (एक लाख बासठ हजार
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सात सौ इक्तालिस) रूपये का कोटेशन दिया गया, जिसे परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 2 को दिया गया जिस पर विपक्षी संख्या 2 द्वारा परिवादी को मूल पत्र वापस करते हुए उपरोक्त सर्वेयर से संपर्क करने हेतु कहा गया। परिवादी विपक्षी संख्या 2 द्वारा दिये गये सर्वेयर के मोबाइल नम्बर पर बात किया जिस पर सर्वेयर द्वारा कहा गया कि उसके द्वारा दी गयी आख्या विपक्षी कार्यालय में भेज दिया जायेगा। परिवादी द्वारा पुन: दि. 09.01.09 को विपक्षी संख्या 2 से पत्र के माध्यम दोनों उपरोक्त इस्टीमेट के संबंध में निवेदन किया गया कि '' आप की औपचारिक स्वीकृति हेतु अभी लम्बित है, बिना इसके मशीन का मरम्मत नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण लगभग मु0 4000/- (चार हजार) रूपये प्रतिदिन क्षति हो रही है, जिसकी प्रति विपक्षी संख्या 1 के यहां भी प्रेषित की गयी। इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही न करते हुए विपक्षी संख्या 2 द्वारा पत्र दि. 29.01.09 के माध्यम से परिवादी को सूचित किया गया'' कि उपरोक्त दायर दावे के लिए हमारे यहां से नियुक्त इंजीनियर अनिल कुमार पाण्डेय के द्वारा दी गयी सर्वे रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि संबंधित दावे का डैमेज दुर्घटना की प्रकृति के अंतर्गत नहीं है और न ही यह कन्शीडर करने योग्य है। अतएव आपका उक्त दावा निरस्त किया जाता है, जिसको पढ़कर परिवादी को काफी आश्चर्य हुआ। संबंधित टाटा हीटाची माडल के बीमा पालिसी के तहत ब्रेक डाउन में आयी क्षति के भुगतान के लिए विपक्षीगण का दायित्व बनता है। विपक्षीगण द्वारा बीमा पालिसी के विपरीत आचरण करने के कारण संबंधित मशीन टाटा हीटाची- एक्स- 110 का मरम्मत कार्य नहीं हो पा रहा है। परिवादी विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्रेषित पत्र दि. 29.01.09 के पश्चात परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस प्रेषित किया। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है और विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी का बीमा क्लेम अस्वीकार करके परिवादी की सेवा में घोर कमी किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से अपने उत्तरपत्र में यह बताया है कि परिवादी द्वारा यह परिवाद मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। परिवादी की कथित मशीन का बीमा, बीमा पालिसी के नियमों एवं शर्तों के अधीन किया गया था। बीमा शर्तों में यह स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी क्षति, जो इलेक्ट्रिकल अथवा मैकेनिकल
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ब्रेक डाउन होने से, असफल होने, अनायास स्वत: टूटने से, उचित देखभाल न करने से, कूलेन्ट अथवा अन्य लूब्रिकेन्ट के जमने से, खराब लूब्रिकेन्ट इस्तेमाल करने से अथवा तेल या कूलेन्ट आदि के गिरने से आयी क्षतिपूर्ति की कोई जिम्मेदारी बीमा कंपनी को नहीं होगी। परिवादी की मशीन जो ब्रेक डाउन होने से क्षतिग्रस्त हुयी उसके क्षति का प्रकार न तो बीमा कंपनी के बीमित अंतर्गत आता है न ही इस प्रकार हुयी क्षतिपूर्ति की अदायगी की कोई जिम्मेदारी बीमा कंपनी की है। अस्तु परिवाद निरस्त किया जावे। बीमा पालिसी के नियम शर्तों के अनुसार विपक्षी ने दि. 29.01.2009 को परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया। बीमा कंपनी की ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। मशीन की क्षति को भी परिवादी द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर दावा प्रस्तुत किया गया है, जो कि निरस्त किए जाने योग्य है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वेद प्रकाश एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के तर्क सुने गए एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि कान्ट्रेक्टर प्लाण्ट एण्ड मशीनरी इंश्योरेंस(सी0पी0एम0) एक्सक्लूजन (अपवर्जन) का क्लाज दिया गया है जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि किसी भी क्षति जो इलेक्ट्रिकल अथवा मकैनिकल ब्रेक डाउन होने, असफल होने पर बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं होगी, क्योंकि वह बीमा पालिसी के नियमों एवं शर्तों के अधीन नहीं है। अपीलकर्ता ने कान्ट्रेक्टर प्लाण्ट एण्ड मशीनरी इंश्योरेंस(सी0पी0एम0) के शर्तों एवं नियमों की फोटोप्रति दाखिल की है जिसमें एक्सक्लूजन (अपवर्जन) क्लाज में इलेक्ट्रिकल अथवा मकैनिकल ब्रेकडाउन से हुए लास या डैमेज का उल्लेख किया गया है। अत: ऐसी परिस्थिति में प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा जो कान्ट्रेक्टर प्लाण्ट एण्ड मशीनरी इंश्योरेंस(सी0पी0एम0) बीमा कराया गया है वह बीमा के नियमों एवं शर्तों के अन्तर्गत दिए गए एक्सक्लूजन (अपवर्जन) क्लाज की परिधि में आता है और परिवादी/प्रत्यर्थी ऐसी दशा में मशीनरी के ब्रेक डाउन होने पर कोई भी बीमित धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में अपीलकर्ता से पाने का अधिकारी नहीं है। इसके अतिरिक्त अपीलकर्ता
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द्वारा नियुक्त सर्वेयर अनिल कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट दिनांक ०५/०१/२००९ पत्रावली में उपलब्ध है जिसमें कान्ट्रेक्टर प्लाण्ट एण्ड मशीनरी इंश्योरेंस(सी0पी0एम0) क्लाज का उल्लेख किया गया है जो निम्नवत है:-
Loss or damage due to electrical or mechanical breakdown, failure, breakage or derangement, freezing of coolant or other fluid, defective lubrication or lack of oil or coolant, but if as a consequence of such breakdown or derangement an accident occurs causing external damage, such consequential damage will be indemnifiable.
बीमा शर्तों में यह स्पष्ट है कि भौतिक क्षति इलेक्ट्रिकल अथवा मकैनिकल ब्रेकडाउन होने से, असफल होन से, अनायास स्वत: टूटने से, उचित देखभाल न करने से, कूलेन्ट अथवा अन्य लूब्रिकेंट के जमने से, खराब लूब्रिकेंट इस्तेमाल करने से अथवा तेल या कूलेन्ट आदि के गिरने से आयी हो, उक्त क्षतिपूर्ति की कोई जिम्मेदारी बीमा कम्पनी की नहीं है। हमारे समक्ष यह प्रकरण परिवाद तथ्यों के अनुसार बीमा पीरिएड के दौरान परिवादी की मशीन के ब्रेकडाउन दिनांक 11/12/2008 को प्रात:काल कार्य स्थल पर कार्य करते समय हुआ है, परन्तु यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त ब्रेकडाउन मशीन को बाहरी क्षति के कारण हुई है अथवा इलेक्ट्रिकल अथवा मकैनिकल लूब्रिकेंट आदि सही तरीके से इस्तेमाल न किए जाने के कारण हुआ है, जबकि बीमा कम्पनी के सर्वेयर के अनुसार जांच पर यह उपलक्षित हुआ है कि उक्त मशीन को खुदाई के समय प्रयोग करते हुए अचानक उसका बकेट पेड़ से टकरा गया और बकेट को खींचते हुए स्विंग डिवाईस फेल हो गया, तेल हाईड्रोलिक पम्प से रिसना शुरू हो गया, जो कि मशीन को प्रयोग करने की प्रकृति को देखते हुए बीमा शर्तों से आच्छादित नहीं है, क्योंकि मकैनिकल ब्रेकडाउन पालिसी अपवर्जन की शर्त (बी) जो उपरांकित है, से आच्छादित नहीं है। चूंकि मशीन को प्रश्नगत क्षति मशीन को प्रयोग करने के तरीके से हुई है अथवा बाहरी भौतिक कारण से हुई है। यह उभय पक्ष के अभिवचनों से स्पष्ट नहीं है, इसलिए इस बिन्दु पर बीमा की शर्तों का अपवर्जन क्लाज प्रभावी होगा अथवा नहीं, ऐसे साक्ष्य के अभाव में निर्णीत किया जाना संभव नहीं है। हमारी यह राय है कि यह मामला जिला फोरम को इस निर्देश के साथ संदर्भित कर दिया जाए कि इस आशय के प्रश्न पर दोनों पक्षों को पर्याप्त अवसर देते हुए और पर्याप्त साक्ष्य लेकर सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित ब्रेकडाउन किस कारण हुआ है और क्या उक्त कारण बीमा पालिसी की शर्तो से आच्छादित है अथवा नहीं। तदनुसार यह अपील स्वीकार की जाकर जिला मंच को यह प्रकरण पुन: सुनवाई हेतु प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है । जिला मंच सोनभद्र द्वारा पारित विवादित आदेश दिनांक 16/04/2010 अपास्त किया जाता है और यह प्रकरण संबंधित जिला मंच को उपरोक्तानुसार पुन: निर्णय हेतु प्रतिप्रेषित किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह) (अशोक कुमार चौधरी)
अध्यक्ष सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0-2
कोर्ट-1