राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 230 सन् 1999
सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम आगरा के द्वारा परिवाद केस संख्या- 674/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 26-12-1998 के विरूद्ध)
1-अध्यक्ष, केन्द्रीय कर्मचारी ग्रामीण सहकारी आवास समिति लि0 आगरा, श्री शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय पुत्र श्री आर0एन0 पाण्डेय, हस्तिनापुरी ताल फिरोज खान, आगरा, पहचान पत्र कार्ड नं0-6907 टी.सी.एम. टी.एल. ग्रुप, 509, आर्मी बेस वर्कशाप, आगरा।
2-सेक्रेटरी, केन्द्रीय कर्मचारी ग्रामीण सहकारी आवास समिति लि0 आगरा श्री शोभनाथ सिंह पुत्र श्री पारसनाथ सिंह, निवासी- 38 बी- अमृतपुरी, बन्दूकटरा ग्वालियर रोड़, आगरा, पहचान पत्र नं0-6608, टी.सी.एम.टी.एल. ग्रुप 509, आर्मीबेस वर्कशाप, आगरा।
3- ट्रेजरार, केन्द्रीय कर्मचारी ग्रामीण सहकारी आवास समिति लि0 आगरा श्री धीरज सिंह, पुत्र श्री योगेन्द्र सिंह रावत, निवासी- 15 डिफेन्स इस्टेट, ग्वालियर रोड़, आगरा पहचान पत्र नं0-6894 टी.सी.एम. टी.एल. ग्रुप आर्मी बेस वर्कशाप, आगरा।
4- ट्रेजरार, केन्द्रीय कर्मचारी ग्रामीण सहकारी आवास समिति लि0 आगरा गयाराम पुत्र ईश्वरदास निवासी-32/216 ए- नागला भूरी सिंह, बन्दूकटरा आगरा पहचान पत्र नं0-4670 टी.सी.एम. टी.एल. ग्रुप आर्मी बेस वर्कशाप, आगरा।
5-सेक्रेटरी, सुरेखा, ग्रामीण सहकारी आवास समिति लि0 आगरा श्री चौधरी हरी सिंह पुत्र श्री चौधरी राम चरन सिंह, निवासी- 38/48/2, न्यू गोपालपुरा बन्दूकटरा आगरा।
...अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
जसवीर सिंह पुत्र श्री सिंगार सिंह, 85/5, बालकेश्वर कालोनी, आगरा सर्विस 509, आर्मीबेस वर्कशाप, आगरा।
....प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-मा0 संजय कुमार, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री राजेश चडढ़ा, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक-05-02-2015
मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम आगरा के द्वारा परिवाद केस संख्या- 674/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 26-12-1998 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है। उपरोक्त निर्णय में यह आदेश किया गया है कि विपक्षी परिवादी को 17,011-00 अदा
(2)
करें और साथ में 18 प्रतिशत ब्याज वार्षिक दर से अदा करें और यह आदेश दो माह के अन्दर पालन करें और पालन न करने पर ब्याज दर 24 प्रतिशत हो जायेगा तथा दो हजार रूपये क्षतिपूर्ति भी परिवादी पाने का हकदार होगा।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने परिवाद में कहा है कि वह केन्द्रीय कर्मचारी ग्रामीण सहकारी आवास समिति लिमिटेड, आगरा का सदस्य बन गया जो कि केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेलफेयर के लिए था, जो 509 आर्मीबेस वर्कशाप आगरा में कार्यरत था और उनको प्लाट कम दर पर देने की योजना थी। परिवादी ने भिन्न- भिन्न तिथियों पर प्लाट खरीदने के लिए उक्त सोसाइटी में रकम जमा किये। प्लाट पर कब्जा जब नहीं दिया गया तो परिवादी ने अपना रूपया मांगा, उसके बाद अपीलकर्ता नं0-5 ने विक्रय पत्र दिनांकित 31-08-1992 को परिवादी के पक्ष में निष्पादित कर दिया, लेकिन कब्जा उक्त प्लाट पर नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी 17,011-00 रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस चाहता है और 10,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति भी चाहता है।
प्रतिवादीगण के तरफ से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया है कि परिवादी को केस दायर करने का वाद का कारण कोई हासिल नहीं था। परिवादी को एलाट किये गये प्लाट पर कब्जा दे दिया गया है और उसका विक्रय पत्र निष्पादित किया जा चुका है, जैसा कि वादी ने स्वयं स्वीकार किया है, इसलिए सेवाओं में कोई कमी नहीं है और मौजूदा मामला कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के अर्न्तगत नहीं आता है। उक्त सोसाइटी नो प्राफिट नो लास के आधार पर कर्मचारियों के फायदे के लिए बनी थी और पक्षकारों के बीच में प्लाट खरीदने हेतु एग्रीमेंट हुआ था और यह रीसोलेशन जारी हुआ था कि सोसाइटी के सदस्यगण सेलडीड अपीलकर्ता सं0-5 के द्वारा निष्पादित कराये और इसी प्रकार से सेलडीड का निष्पादन हुआ और परिवादी को कब्जा भी दे दिया गया, यदि परिवादी कहता है कि उसे कब्जा नहीं मिला है तो यह मामला विशिष्ट अनुतोष अधिनियम से सम्बन्धित है और उनको व्यवहार न्यायालय में जाना चाहिए।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 26-12-1998 का अवलोकन किया गया, अपील के आधार का अवलोकन किया गया। अपीलकर्ता के
(3)
विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चडढ़ा को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
केस के तथ्यों परिस्थितियों से यह तथ्य स्पष्ट है कि सम्बन्धित प्लाट का विक्रय पत्र निष्पादित हो चुका है। इस प्रकार का वाद पत्र में कथन है और परिवाद पत्र में भी विक्रय पत्र का निष्पादन स्पष्ट रूप से लिखा गया है। केस के तथ्यों परिस्थितियों में हम यह पाते है कि चूंकि विक्रय पत्र प्लाट का हो चुका है और विक्रय पत्र निष्पादित हो जाने के बाद प्लाट के लिए जो रूपया जमा किये गये थे, उसे परिवादी को नहीं लौटाया जा सकता, क्योंकि विक्रय पत्र निष्पादित हो जाने के बाद प्लाट का स्वामी वादी हो गया है और प्लाट का स्वामी होने के बाद प्लाट के लिए जमा किये गये रूपये को वह पाने का हकदार नहीं है। इस सम्बन्ध में हम यह पाते है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा परिवादी द्वारा जमा किये गये रूपये को लौटाने का आदेश किया गया है, वह विधि सम्मत नही है और जिला उपभोक्ता फोरम का निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है और अपीलकर्ता की अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम आगरा के द्वारा परिवाद केस संख्या- 674/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 26-12-1998 को निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
( आर0सी0 चौधरी ) ( संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा आशु0-ग्रेड-2
कोर्ट नं. 5