राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1426/2024
प्रमिला सिंह पत्नी श्री विजय सिंह
बनाम
जेस्पर पॉल पुत्र श्री बी0एफ0 पॉल व दो अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति एवं
श्री राजेन्द्र प्रसाद,
विद्वान अधिवक्ता द्वय।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 26.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या-207/2021 जेस्पर पॉल बनाम प्रामीला सिंह व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.08.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वय श्री आर0डी0 क्रान्ति एवं श्री राजेन्द्र प्रसाद को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 प्रामीला सिंह एवं विपक्षी संख्या-2 सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्टस रेंज लि0 जरिये प्रबंधक के माध्यम से दिनांक 14.03.2012 को 12,250/-रू0 तथा दिनांक 20.03.2012 को 12,250/-रू0 जमा किए गए। उक्त जमा धनराशि के एवज में परिवादी को 37,975/-रू0 एवं 37,975/-रू0 मय ब्याज के प्राप्त होने थे।
विपक्षीगण द्वारा परिपक्वता अवधि पर परिवादी को धनराशि
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का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय में अनेकों बार सम्पर्क किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा टालमटोल किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को नोटिस भी प्रेषित किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण को रजिस्टर्ड नोटिस प्रेषित किए जाने के उपरान्त विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-2 व 3 की ओर से अधिवक्ता द्वारा वकालतनामा दाखिल किया गया, परन्तु जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया। विपक्षी संख्या-1 की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षी संख्या-2 व 3 के जवाबादावा दाखिल करने का अवसर समाप्त करते हुए विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी की ओर से विपक्षीगण के सम्मुख जमा धनराशि के संबंध में दाखिल रसीद सं0-071001025736 मौलिक नहीं है क्योंकि उक्त रसीद के कालमों में कोई सूचना अंकित नहीं की गयी है, जिस कारण उक्त रसीद के संबंध में परिवादी के पक्ष में विचार करना संभव नहीं है। परिवादी द्वारा दाखिल एक अन्य रसीद सं0-071001025766 की सभी प्रविष्टियॉं विधिवत् पूर्ण पायी गयी, अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उक्त रसीद की जमा धनराशि के एवज में परिपक्वता अवधि में विपक्षीगण द्वारा भुगतान न करना विपक्षीगण की सेवा में कमी पायी गयी।
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद
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निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्त एवं पृथक पृथक आंशिक रूप से आज्ञप्त किया जाता है। निर्णय के दिनांक से दो माह के अंदर विपक्षीगण परिवादी को रसीद सं0-071001025766 के संदर्भ में परिपक्वता धनराशि 37975रू0 परिवाद दाखिल करने के दि024.07.2021 से अदायगी तक 07प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करें। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक कष्ट के लिये तीन हजार रूपया एवं वाद व्यय के मद में दो हजार रूपया अदा करें।''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वय को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1