राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-1747/2010
मुंशी सिंह पुत्र श्री जगन सिंह, निवासी ग्राम लल्लूपुरा, पोस्ट दनक शाह, थाना खेरागढ, जिला आगरा।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
जमुना ग्रामीण बैंक, शाखा खेरागढ, जिला आगरा द्वारा शाखा प्रबन्धंक आदि।
……..प्रत्यर्थी/परिवादीगण
समक्ष :-
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एस0के0 श्रीवास्तव
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-01.01.2024
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, परिवाद सं0-249/2006 मुंशी सिंह बनाम शाखा प्रबन्धक शाखा, जमुना ग्रामीण बैंक व तीन अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.8.2010 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी स्वीकार करते हुए 10,000.00 रू0 मानसिक प्रताड़ना एवं 3,000.00 रू0 परिवाद व्यय के रूप में अदा करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश को स्वयं अपीलार्थी/परिवादी मुंशी सिंह द्वारा चुनौती दी गई है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार अंकन 73,000.00 रू0 का चेक यूनियन बैंक आफ इण्डिया का दिनांक 03.01.2006 को जमुना ग्रामीण बैंक में जमा किया गया, लेकिन जमा चेक की रकम अपीलार्थी/परिवादी के खाते में नहीं आई। इसी आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रताड़ना के मद में 10,000.00 रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि चूंकि चेक की राशि प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए चेक की सम्पूर्ण राशि को ब्याज सहित वापस लौटाने का आदेश दिया जाना चाहिए था, परन्तु यह तर्क इस आधार पर ग्राह्य नहीं है कि जिस राशि का चेक जारी हुआ वह राशि आज भी चेक जारी करने वाले के पास बकाया है, इस धनराशि की वसूली सिविल सूट के माध्यम से की जा सकती है जिस चेक राशि का भुगतान कभी भी बैंक को प्राप्त नहीं हुआ उस राशि के भुगतान का आदेश बैंक को नहीं दिया जा सकता है। चूंकि बैंक के स्तर से मामूली लापरवाही कारित हुई है कि चेक के अनादृत होने की सूचना अपीलार्थी/परिवादी को प्राप्त नहीं हो सकी, इसीलिए जिला उपभोक्ता आयोग ने अंकन 10,000.00 रू0 का दण्ड अधिरोपित किया है, परन्तु समस्त चेक राशि अपीलार्थी/परिवादी को उपलब्ध कराये जाने का आदेश नहीं दिया जा सकता था अत: इस निर्णय/आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। यद्यपि अपीलार्थी को यह अधिकार होगा कि वह चेक राशि सक्षम न्यायालय से इस राशि को देय व्यक्ति के खिलाफ दावा प्रस्तुत कर वसूल कर सकता है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
हरीश सिंह, वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,कोर्ट नं0-3