Uttar Pradesh

StateCommission

RP/69/2023

Najma Khatoon & Others - Complainant(s)

Versus

Jamal Warish - Opp.Party(s)

Rohit Kumar Sahu

07 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/69/2023
( Date of Filing : 07 Jul 2023 )
(Arisen out of Order Dated 08/06/2023 in Case No. Complaint Case No. CC/189/2017 of District Ghazipur)
 
1. Najma Khatoon & Others
Village- Usuffpur Ganji Hanumanganj Post & Tehsil & Thana-Muhamdabad Dist.- Ghazipur Pin Code-233227
...........Appellant(s)
Versus
1. Jamal Warish
104 Mahrupur(Nathanpur) Pargana Tehsil-Muhamdabad Dist.- Ghazipur U.P. Pin Code-233227
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Nov 2024
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

पुनरीक्षण वाद संख्‍या :69/2023

 

नजमा खातून पत्‍नी रियाज अहमद ऊर्फ मंटू व अन्‍य

  •  

जमाल वारिस पुत्र श्री आलीशान खान

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,         अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,           सदस्‍य।

    

     दिनांक : 07-11-2024

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

     पुनरीक्षणकर्ता  के विद्धान अधिवक्‍ता श्री रोहित कुमार साहू उपस्थित आए जब कि विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री योगेन्‍द्र कुमार तिवारी उपस्थित आए। मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 08-06-2023 का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

     प्रस्‍तुत निष्‍पादन वाद परिवाद संख्‍या-189/2017 में दिनांक 08-06-2023 को पारित आदेश के विरूद्ध योजित किया गया है।

           निष्‍पादनकर्ता द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित 08-06-2023 और इससे संबंधित मूल आदेश दिनांक 30-11-2020 को इस आधार पर आक्षेपित किया गया है कि यह दोनों आदेश धारा-14 उपधारा-(2) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 को नजरअंदाज करते हुए पारित किया गया है

 

-2-

जिसके अनुसार आयोग के अध्‍यक्ष तथा एक अन्‍य सदस्‍य के द्वारा प्रत्‍येक आदेश पारित किया जाना आवश्‍यक एवं आज्ञापक है, किन्‍तु प्रश्‍नगत आदेश दो सदस्‍यगण द्वारा पारित किया गया है अत: आदेश क्षेत्राधिकार से बाहर है एवं निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     उक्‍त तर्क के संबंध में धारा-14(।।) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत पारित आदेश पर मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा Gulzari Lal Agarwal V/s. The Accounts Officer ।।। (1996) (सी.पी.जे.) पृष्‍ठ-12 (एस.सी.)  के संबंध में दिशा-निर्देशन देता है, जिसमें धारा-14(2) तथा 14(2)(ए) उपभोक्‍ता सरंक्षण अधिनियम का विश्‍लेषण करते हुए यह प्रदान किया गया है कि विधायिका का यह उद्देश्‍य नहीं है कि जिला आयोग अथवा अन्‍य किसी उपभोक्‍ता आयोग में यदि अध्‍यक्ष की नियुक्ति न हो अथवा किसी कारण से पद खाली हो जाए तो आयोग निष्क्रिय हो जायेगा।

     ऐसी दशा में चूंकि अध्‍यक्ष का कार्य वरिष्‍ठटम सदस्‍य के द्वारा निर्वहन किया जाता है तो उस परिस्थिति में उक्‍त सदस्‍यगण की उपस्थिति में पारित आदेश वैघ एवं प्रभावी है। यदि अध्‍यक्षकी मृत्‍यु हो चुकी है तो उनके कर्तव्‍य का निर्वहन वरिष्‍ठ सदस्‍य द्वारा किया जाता है।

     मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा उक्‍त मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के उस आदेश को निरस्‍त किया गया है जिसमें मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा राज्‍य आयोग के उस निर्णय को अपास्‍त किया था जिसमें  दो सदस्‍य द्वारा   निर्णय एवं आदेश पारित किया गया था  जब कि अध्‍यक्ष का पद रिक्‍त था।

 

 

-3-

     मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत मामले में निष्‍पादनकर्ता का यह तर्क नहीं माना जा सकता कि प्रश्‍नगत आदेश शून्‍य है अथवा इस आधार पर निरस्‍त किया जावे।

     पुनरीक्षण याचिका के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि पुनरीक्षण वाद एकतरफा पारित किया गया है। जहॉं तक प्रस्‍तर-1 व 5 में इस तथ्‍य का वर्णय है  कि पुनरीक्षणकर्ता को संशोधन आवेदन पत्र पर आपत्ति का अवसर नहीं दिया गया था। अत: इस पीठ द्वारा यह उचित पाया जाता है कि पुनरीक्षणकर्ता को अवसर प्रदान  करते हुए पुन: इस संशोधन प्रार्थना पर की सुनवाई की जावे जिससे पुनरीक्षणकर्ता को संशोधन प्रार्थना पत्र पर अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।

     तदनुसार उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते यह पीठ इस मत की है प्रस्‍तुत  पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांकित 08-06-2023 अपास्‍त किया जाता है तथा पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग परिवाद संख्‍या-189/2017 में पुन: सुनवाई करते हुए उभयपक्ष को आपत्ति/साक्ष्‍य और सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर 06 माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

     उभयपक्ष जिला आयोग के सम्‍मुख दिनांक 17-12-2024 को उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्‍तुत करेंगे।

4

 

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                        (विकास सक्‍सेना)

       अध्‍यक्ष                                     सदस्‍य

 

प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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