(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2270/2012
Paschimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd & other
Versus
Jakir Miyan son of Bulla Nigam
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री रवि कुमार रावत, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :20.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद सं0 132/2011 जाकिर मियां बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम व अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 07.09.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने केवल 02 वर्ष की अवधि तक का बिल वसूल करने की छूट के साथ अवशेष अवधि का बिल वसूल न करने के लिए विद्युत विभाग को निर्देशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 25.06.1998 को विद्युत कनेक्शन लेने के लिए 811/-रू0 जमा किये थे, परंतु विद्युत कनेक्शन जारी नहीं हुआ न ही मीटर लगाया गया न ही खम्भा गाड़कर विद्युत तार खिंचवाए गये। मार्च 2011 में 73,299/-रू0 का बिल प्राप्त हुआ, जबकि परिवादी ने विद्युत बिल का उपभोग ही नहीं किया है। विपक्षी से अनुरोध किया गया कि इस बिल को रद्द किया जाए, परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी विद्युत विभाग का कथन है कि परिवादी गैर कानूनी कटिया कनेक्शन स्कीम के तहत बिना मीटर लगाये निर्धारित शुल्क के आधार पर नियमित किया गया था। परिवादी पूर्व से ही गैर कानूनी तरीके से विद्युत का उपभोग कर रहा था, इसलिए वहां पर नया खम्भा लगाने का कोई प्रश्न ही नहीं है न ही मीटर लगाने का कोई प्रश्न है। परिवादी ने जानबूझकर भुगतान नहीं किया।
5. पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया है कि विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को नियमित रूप से बिल प्रेषित नहीं किया, इसलिए केवल 02 वर्ष की अवधि का बिल वसूल किया जा सकता है।
6. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी पूर्व से ही कटिया लगाकर विद्युत का उपभोग कर रहा था। दिनांक 25.06.1998 को 811/-रू0 जमा किये थे, उसी दिन से विद्युत कनेक्शन नियमित हो गया था। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में स्वीकार किया है कि परिवादी ने विद्युत का उपभोग किया है, इसलिए केवल 02 वर्ष की अवधि तक का विद्युत शुल्क वसूलने का आदेश विधि-विरूद्ध है।
7. जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि पैरा सं0 6 (क) में इस बिन्दु पर निष्कर्ष दिया है कि परिवादी ने विद्युत कनेक्शन का उपभोग किया है। दिनांक 24.07.2011 को विद्युत बिल का भुगतान न करने के कारण विद्युत कनेक्शन काट दिया गया था, उसके बाद भुगतान से बचने के लिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने इस तथ्य को स्थापित माना है, जिसे कोई चुनौती नहीं दी गयी है। अत: इस स्थिति में 02 वर्ष की अवधि तक विद्युत शुल्क वसूलने का निर्देश देना विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता क्योंकि विद्युत शुल्क बकाया होने पर दिनांक 24.07.2011 को विद्युत कनेक्शन काटा गया है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्य है कि विद्युत विभाग परिवादी से न्यूनतम विद्युत शुल्क नियमों के अंतर्गत वसूल करने के लिए अधिकृत है, इसके लिए समयावधि की कोई सीमा बाधा कारित नहीं करती, परंतु विद्युत विभाग द्वारा परिवादी पर किसी प्रकार का दण्ड अधिरोपित नहीं किया जायेगा।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विद्युत विभाग, परिवादी से विद्युत कनेक्शन लेने की तिथि से प्रयोग करने की सम्पूर्ण अवधि का न्यूनतम विद्युत शुल्क प्राप्त करेंगे, परंतु इस शुल्क पर कोई ब्याज या दण्ड ब्याज अधिरोपित नहीं किया जायेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2