जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/08/2015
प्रस्तुति दिनांक:- 13/02/2015
सुखराम सिंह कंवर, उम्र लगभग 68 वर्ष,
पिता गरूडसिंह, जाति कंवर,
निवासी ग्राम साजापानी, तह. करतला,
जिला कोरबा छ.ग. ..................आवेदक/परिवादी
( विरूद्ध )
1. जैन ट्रेक्टर्स का संचालक,
शाखा कलेक्ट्रेट चैक, जांजगीर, तह. जांजगीर
जिला जांजगीर-चाॅपा छ.ग.
2. शाखा प्रबंधक,
पंजाब नेषनल बैंक सिवनी, तह. चाॅपा,
जिला जांजगीर-चाॅपा छ.ग. .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
( आज दिनांक 26/10/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध आवेदक के द्वारा क्रय की गई वाहन ट्रेक्टर का रसीद, आर.सी.बुक, बीमा पाॅलिसी का पेपर एवं अन्य आवष्यक दस्तावेज सहित क्षति राषि 2,65,000/-रू. पर 18 प्रतिषत ब्याज अदायगी दिनांक तक एवं अन्य अनुतोष संयुक्त एवं पृथक-पृथक दिलाए जाने हेतु दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत किया है ।
2. स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी/आवेदक द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 से क्रय किए गए वाहन ट्रेक्टर का फायनेंस अनावेदक क्रमांक 2 के द्वारा किया गया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 1 के संस्थान से अपने पुराना सोनालिका ट्रेक्टर को एक्सचेंज कर नया ट्रेक्टर, केजव्हील खरीदने के लिए संपर्क किया, तब अनावेदक क्रमांक 1 के द्वारा नया ट्रेक्टर व उसके खर्च का व्यवरा दिया गया जिसमें कुल 5,49,765/-रू. का मूल्यांकन किया गया और पुराना ट्रेक्टर के एवज में 1,60,000/-रू. एक्सचेंज पर मूल्यांकन किया गया साथ ही इसके अतिरिक्त अनावेदक क्रमांक 1 के द्वारा 36,000/-रू. बैंक कमीषन के नाम पर तथा 12,000/-रू. नये केजव्हील की कीमत बताया गया तब आवेदक ने अपने पुराने सोनालिका ट्रेक्टर क्रमांक सी.जी. 12......जिसे उसने श्री पंचराम कंवर पिता चंदन के पास से पुराना क्रय किया था जो उसी के नाम पर दस्तावेजों में रहा है को एक्सचेंज किया, जिसे अनावेदक क्रमांक 1 ने उक्त पुरानी ट्रेक्टर की कीमत को नई ट्रेक्टर की कीमत में घटा कर शेष कीमत 3,89,765/-रू. को अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय से फायनेंस कर लोन से अदा करना तय किया । साथ ही अनावेदक क्रमांक 1 ने बैंक कमीषन की राषि 36,000/-रू. तथा नये केजव्हील की राषि 12,000/-रू. को नगद दिनांक 27.06.2012 को जमा कर लिया। उक्त दोनों मद की रकम कुल 48,000/-रू. को जमा करने के पूर्व ट्रेक्टर एवं केजव्हील को एक साथ डिलवरी करने का वचन दिया गया था, लेकिन रकम प्राप्त हो जाने के बाद केजव्हील को ट्रेक्टर के डिलवरी दिनांक को 27.06.2012 को साथ में नहीं किया गया तथा काफी घुमाने के बाद दिनांक 14.07.2012 को दिया गया। अनावेदक क्रमांक 1 के द्वारा वाहन का रजिस्ट्रेषन तथा बीमा करा कर उसका मूल काॅपी बाद में प्रदान करने का वचन देते हुए क्रयषुदा ट्रेक्टर का सेल लेटर, रसीद प्रदुषण नियंत्रण पत्र एवं अन्य आवष्यक दस्तावेज प्रदान नहीं किया गया । आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 2 के यहां से क्रयषुदा वाहन का फायनेंस कराने हेतु संपूर्ण औपचारिकताओं, दस्तावेजों के बारे में पूछताछ किया तब उन्हें एक जमीन धारक गारंटर ऋण पुस्तिका, जमीन का बी-1, खसरा पाॅच-साला आदि मंगाया तब उक्त ट्रेक्टर का फायनेंस किया गया। अनावेदक क्रमांक 2 ने आवेदक को खाता क्रमांक 3174008800007787 एवं ट्रेक्टर लोन कोड क्रमांक-।ॅ4694 के माध्यम से फायनेंस किया गया । अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा आवेदक को आज दिनांक तक क्रयषुदा वाहन का बीमा की काॅपी, आर.सी.बुक, रसीद, आदि दस्तावेज के लिए घुमाते रहे। आवेदक को ज्ञात हुआ कि ट्रेक्टर का रसीद अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में बिना वाहन के कागजात, रसीद, कोटेषन, मूल्यांकन आदि के वाहन का फायनेंस नहीं हो सकता, तब आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में संपर्क किया तो पता चला कि वाहन के विक्रेता डीलर से वाहन का रसीद, कोटेषन या कोई भी ऐसा दस्तावेज जमा नहीं कराया गया है, जिससे फायनेंस संपत्ति का मूल्यांकन या उसका अस्तित्व आदि स्थिति ज्ञात हो सके । इस प्र्रकार अनावेदक क्रमांक 2 को फायनेंस किया गया वाहन का समस्त दस्तावेज जो अनोदक क्रमांक 1 के पास हो उसका प्रति करने के बाद ही वाहन का फायनेंस किया जाना था, ऐसा नहीं करने से वाहन का दस्तावेज अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय से भी प्राप्त नहीं हो सका। साथ ही अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा व्यवसायिक दुराचरण करते हुए फायनेंसषुदा वाहन का बिना मूल्यांकन किये वाहन का फायनेंस कर दिया गया जो अनावेदक क्रमांक 2 के सेवा में कमी को दर्षाता है । आवेदक दस्तावेजों के अभाव में अपने वाहन का उपयोग सार्वजनिक स्थान में नहीं कर पा रहा है । वाहन में खराबी आने पर आवेदक को वाहन का मरम्मत अधिक चार्ज देकर गांव में ही कराना पड़ता है। माह नवम्बर 2012 को प्रथम बार वाद कारण उत्पन्न हुआ जब आवेदक को अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में क्रयषुदा वाहन के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं होना कर्मचारी द्वारा बताया गया। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा आवेदक से वाहन का राषि प्राप्त करने के बाद भी आवेदक को वाहन के आवष्यक दस्तावेज प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है, जिससे आवेदक को आर्थिक एवं मानसिक परेषानी का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदकगण से आवेदक के द्वारा क्रय की गई वाहन ट्रेक्टर का रसीद, आर.सी.बुक, बीमा पाॅलिसी का पेपर एवं अन्य आवष्यक दस्तावेज सहित क्षति राषि 2,65,000/-रू. पर 18 प्रतिषत ब्याज अदायगी दिनांक तक एवं अन्य अनुतोश संयुक्त एवं पृथक-पृथक दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 1 सूचना पत्र के तामिली उपरांत अनुपस्थित रहने से दिनांक 17.04.2015 की सुनवाई तिथि पर उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई है । अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाब प्रस्तुत नहीं किया है।
5. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष सभी तथ्यों से इंकार करते हुए कथन किया है कि वाहन फाइनंेस संबंधित प्रकरण मंे वाहन के फाइनेंस होने के बाद वाहन के आर.सी.बुक, बीमा पाॅलिसी आदि दस्तावेज प्रस्तुत करने की जवाबदारी वाहन क्रेता की होती है क्रेता के द्वारा ही वाहन फाइनेंस कराने के बाद वाहन के समस्त दस्तावेज बैंक में प्रस्तुत किये जाते हैं । इस प्रकरण में आवेदक द्वारा वाहन फाइनेंस कराने के बाद उसके कोई भी दस्तावेज अनावेदक क्रमांक 2 के पास जमा नहीं किये गये हैं तथा आवेदक द्वारा क्रय किये गये वाहन के दस्तावेज अनावेदक क्रमांक 1 के द्वारा नहीं दिये जाने संबंधी कोई जानकारी या षिकायत अनावेदक क्रमांक 2 के समक्ष नहीं की गई है, जबकि अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा आवेदक से वाहन के कागजात जमा करने के लिए अनेको बार काह गया है । अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा लिखित एवं मौखिक रूप से आवेदक को वाहन के कागजात जमा करने के लिए कहा गया किंतु उसके द्वारा वाहन के कागजात जमा नहीं किए गए तथा मौजूदा परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया है। आवेदक द्वारा अनावेदक क्रमांक 2 को कोई अधिवक्ता नोटिस, सूचना नहीं दी गई है। आवेदक फाइनेंस की स्टालमेंट/किस्ती की अदायगी पर भी स्थगन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । यह परिवाद समायवधि बाह्य है। आवेदक ने अपने परिवाद पत्र में मौजूदा वाद का वाद कारण माह नवम्बर 2012 में उत्पन्न होना बताया है उसके अनुसार भी ने धारा 24 (क) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की अनुसार विहित समयावधि 2 वर्ष के भीतर परिवाद प्रस्तुत नहीं किया है तथा विलंब से प्रस्तुत करने का कोई कारण भी नहीं बताया है । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 2 ने किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की है, अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का अनुरोध किया है ।
6. परिवाद पर आवेदक एवं अनावेदक क्रमांक 1 के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
7. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
1. क्या अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद समयावधि में है ?
2. क्या अनावेदकगण ने परिवादी से सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष:-
8. परिवादी/आवेदक ने प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत अनावेदक क्रमांक 2 के फायनेंस पर अनावेदक क्रमांक 1 से दिनांक 27.06.2012 को क्रय किए गए वाहन ट्रेक्टर का रसीद, आर.सी.बुक, सेल लेटर, बीमा की कापी नहीं दी गई है, जिसे दिलाए जाने तथा उक्स से लगभग 2,65,000/-रू. की परिवादी को क्षति हुई है, अनावेदकगण से ब्याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
9. परिवादी ने दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत परिवाद पत्र की कंडिका 8 में दिनांक 27.06.2012 को वाहन क्रय करने तथा नवम्बर 2012 को अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में जानकारी लिए जाने पर कोई भी रिकार्ड में पेपर नहीं होने की जानकारी से वादकारण प्रथम बार उत्पन्न हुआ अभिवचन किया है । इस तरह परिवाद पत्र से ही परिवाद प्रस्तुत करने के लिए वादकारण दिनांक 27.06.2012 को सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ निरंतरता में नवम्बर 2012 से वादकारण होना बताया गया है।
10. परिवादी ने धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंतर्गत यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 (क) में परिवाद पत्र प्रस्तुत करने की परिसीमा अवधि बतलाया गया है, जिसके अनुसार वादकारण उत्पन्न होने के दिनांक से 2 वर्ष की अवधि उपबंधित है ।
11. परिवाद पत्र अनुसार दिनांक 26.07.2012 से 2 वर्ष 27.06.2014 को समाप्त होता है । परिवाद पत्र अनुसार नवम्बर 2012 से भी समयावधि की गणना करने पर नवम्बर 2014 में 2 वर्ष पूर्ण होता है । परिवाद पत्र दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत किया गया है । इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवाद पत्र उत्पन्न वादकारण से 2 वर्ष की अवधि में प्रस्तुत नहीं किया गया है ।
12. परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ अपना शपथ पत्र एवं दस्तावेज सूची अनुसार प्रस्तुत किया है । परिवाद को विलंब से प्रस्तुत करने का कारण तथा विलंब क्षमा करने का कोई प्रार्थना व आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है, न ही परिवाद पत्र में उसका उल्लेख किया गया है । इस प्रकार विलंब से प्रस्तुत परिवाद पत्र में विलंब क्षमा करने की कोई प्रार्थना नहीं की गई है।
13. अनावेदक क्रमांक 2 ने प्रस्तुत जवाब में परिवाद को निरस्त करने का एवं निर्धारित समयावधि में परिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं होने तथा विलंब क्षमा के लिए कोई प्रार्थना नहीं किया जाना प्रकट किया है
14. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (क) के अनुसार परिसीमा अवधि में नहीं है, विलंब को क्षमा करने की कोई प्रार्थना नहीं की गई है, विलंब का कोई कारण भी नहीं बताया गया है । उपरोक्तनुसार अनावेदकगण के विरूद्ध दिनांक 13.02.2015 को प्रस्तुत यह परिवाद दिनांक 27.06.2012 को उत्पन्न वादकारण से परिसीमा अवधि में नहीं होना हम पाते हैं । उक्त अनुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 का निष्कर्ष ’’नहीं’’ में हम देते हैं ।
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 2 का सकारण निष्कर्ष:-
15. स्वीकृत तथ्य अनुसार परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 जैन ट्रेक्टर्स से ट्रेक्टर क्रय किया, जिसका फायनेंस अनावेदक क्रमांक 2 बैंक द्वारा किया गया है। आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से 3,89,765/-रू. का फायनेंस किए जाने का निवेदन अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा स्वीकार कर परिवादी को वाहन क्रय करने हेतु उक्त राषि का फायनेंस किया गया ।
16. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाब में बतलाया है कि परिवादी से अपने वाहन से संबंधित दस्तावेज की मांग अनेकों बार किए जाने के बाद भी उसे अनावेदक क्रमांक 2 बैंक में जमा नहीं किया। परिवादी का अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा वाहन से संबंधित दस्तावेज रसीद, आर.सी. बुक, सेल लेटर, बीमा की कापी प्राप्त नहीं होना बताया गया है, जो अनावेदक क्रमांक 1 से प्राप्त होना था ।
17. परिवादी ने सूची अनुसार दस्तावेज जैन ट्रेक्टर्स का डिलवरी चालन दिनांक 27.06.2012,14.07.2012 एवं 09.10.2012, अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा दिया गया एग्रीमेंट, अनावेदक क्रमांक 2 के कार्यालय में जमा की गई राषि की जमा पर्ची , रसीद, अनावेदगण को प्रेषित सूचना पत्र, डाक रसीद एवं अभिस्वीकृति पत्र, अनावेदक क्रमांक 2 बैंक में परिवादी के नाम पर ऋण खाता क्रमांक 3174008800007787 के पास बुक, परिवादी के ऋण पुस्तिका, अनावेदगण बैंक द्वारा आवेदक को दी गई नोटिस सभी स्तावेजों की छायाप्रति प्रस्तुत किया है, वहीं अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा सूची अनुसार दस्तावेज में अनावेदक क्रमांक 2 बैंक में ऋण खाता का स्टेटमेंट तथ आवेदक को बैंक द्वारा दस्तावेज जमा करने का लिखा गया पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है ।
18. प्रस्तुत दस्तावेज से अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा आवेदक को वाहन ट्रंेक्टर खरीदने में ऋण फायनेंस किए जाने की पुष्टि होती है । फायनेंस की गई राषि में क्रय वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा हेतु राषि 20,000/-रू. लिया जाना परिवादी द्वारा प्राप्त दस्तावेज से ज्ञात हुआ है।
19. अनावेदक क्रमांक 2 ने वाहन ट्रेक्टर के कागजात उसे प्राप्त नहीं होना प्रगट किया है । अनावेदक क्रमांक 1 ने भी अनावेदक क्रमांक 2 को परिवादी द्वारा क्रय किए वाहन ट्रेक्टर का संबंधित दस्तावेज दिया जाना स्थापित नहीं है । अनावेदकगण ने कई बार कहने पर भी दस्तावेज नहीं दिया जाना परिवादी द्वारा बताया गया है, जो अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा अखण्डनीय है । ऐसी स्थिति में परिवादी के कथन पर विष्वास करने योग्य हम पाते हैं ।
20. परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा खरीदे गए ट्रेक्टर का मूल आर.सी.बुक, बीमा पाॅलिसी, खरीदी रसीद, प्रदुषण नियंत्रण पत्र आदि नहीं देने आधार पर मुख्य रूप से अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध परिवादी प्रस्तुत किया है, उक्त परिवाद परिवादी ने परिसीमा अवधि में प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं रहा है । यद्यपि आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से रज्रिस्ट्री द्वारा बीमा मद में 20,000/-रू. प्राप्त किया है उसका बीमा एवं रजिस्ट्रेषन किया गया था या नहीं बताने के लिए अनावेदक क्रमांक 1 उपस्थित नहीं हुआ है । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी के कथन अनुसार सेवा में कमी की गई है प्रकट हुआ है । तद्नुसार उक्त विचारणीय प्रष्न अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध प्रमाणित होना हम पाते हैं । उक्त सेवा में कमी के आधार पर सहायता परिवाद समयावधि में प्रस्तुत नहीं होने से दिलाए जाने योग्य नहीं होना हम पाते हैं ।
21. उपरोक्तनुसार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं है । परिवाद समयावधि में प्रस्तुत नहीं हुआ, फलस्वरूप निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं ।
( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
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