जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 183/2014
बनवारी लाल पुत्र श्री बजरंग लाल, जाति- अग्रवाल, निवासी- लाडनूं, तहसील-लाडनूं, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. प्रबन्धक/अधिकृत प्रतिनिधि, जैन मोबाइल वल्र्ड, राहुगेट, आकाश हाॅस्पिटल के नीचे, लाडनूं, तहसील-लाडनूं, जिला- नागौर, (राज.)-341306।
2. प्रबन्धक, माइक्रोमेक्स इनफोरमेटिक्स लिमिटेड, 90 बी, सेक्टर 18 गुडगांव, हरियाणा-122015।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रमेश कुमार ढाका एवं ओमप्रकाश फुलफगर, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री विक्रम जोशी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 28.10.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 2 के यहां निर्मित विवादित मोबाइल अधिकृत विके्रता अप्रार्थी संख्या 1 के यहां से 10300/- रूपये में क्रय किया। विवादित मोबाइल में निर्माण सम्बन्धी दोष है क्योंकि कभी उसमें आवाज नहीं आती है, तो कभी रिंग नहीं बजती है, तो कभी डिस्प्ले बंद हो जाता है। जब अप्रार्थी संख्या 1 के यहां इस बात की शिकायत की तो उसने मोबाइल लेकर सर्विस सेंटर पर ठीक करवाने के लिए कहा। मरम्मत करवाकर प्रार्थी को दिया गया परन्तु कुछ दिन ठीक-ठाक चलने के पष्चात् पुनः पूर्व की भांति खराब हो गया। फिर अप्रार्थी संख्या 1 के पास षिकायत की तो उसने पुनः रिपेयर करवा दिया परन्तु कुछ दिन बाद फिर वही समस्या उत्पन हो गई। पुनः अप्रार्थी संख्या 1 को कहा तो उसने रिपेयर करने से मना कर दिया। अभी भी मोबाइल खराब हालत में है।
अप्रार्थी ने वारंटी पीरियड में भी रिपेयर करने से मना कर दिया। निर्माण सम्बन्धी दोष दूर नहीं हुआ। अतः परिवादी को नया मोबाइल दिलाया जावे अन्यथा उसकी कीमत 10300/- रूपये मय ब्याज दिलाई जावे। क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय की राषि भी दिलाई जावे।
2. अप्रार्थी संख्या 1 का मुख्य रूप से यह कहना है कि परिवादी को यह बता दिया गया कि किसी प्रकार की कोई गारंटी नहीं है। वारंटी, अप्रार्थी संख्या 2 कम्पनी की ओर से प्रदान की जा रही है। यदि कोई निर्माण सम्बन्धी दोष होगा तो कम्पनी ही उसके लिए जिम्मेदार होगी। अप्रार्थी ने प्रार्थी के अधिकांश कथनों को गलत होना कहा है। परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 को कभी भी इसकी कोई शिकायत नहीं की। प्रार्थी को यह भी बतला दिया था कि किस प्रकार से हैंडसेट का उपयोग करना है। इस सम्बन्ध में उसे दिशा-निर्देश व वारंटी के सम्बन्ध में पुस्तिका उपलब्ध कराई थी। उसे यह भी बतलाया था कि हैंडसेट में खराबी होने पर उसे अधिकृत सर्विस सेंटर पर जमा कराना होगा। सर्विस सेंटर ही कम्पनी को भेजकर दुरूस्त करवाएगा।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया। सर्वप्रथम यहां इस बात को उल्लेख करना सुसंगत एवं उचित होगा कि कोई भी पक्षकार अपनी आवश्यकता एवं सुविधा व क्षमता अनुसार कोई मोबाइल हैंडसेट खरीदता है। वह किसी वाणिज्यिक उद्देश्य से नहीं खरीदता अर्थात् वह इस आशय से नहीं खरीदता कि विक्रेता या निर्माणी कम्पनी से किसी प्रकार का कोई अनुचित लाभ उठाने के लिए सौदेबाजी की जावे। इसी क्रम में प्रार्थी ने विवादित मोबाइल क्रय किया। उसका उद्देश्य अनावश्यक अप्रार्थीगण की शिकायत करना या उन्हें ब्लेकमेल करना नहीं रहा है। बार-बार मोबाइल खराब हुआ है। विक्रेता को शिकायत की है। अप्रार्थी 1 की इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि खराब होने पर प्रार्थी ने उसे कोई शिकायत नहीं की हो। बार-बार मरम्मत के बाद भी मोबाइल द्वारा सही सेवा नहीं देना विनिर्मित दोष को प्रकट करता है। परिवादी ने परिवाद वारंटी पीरियड में प्रस्तुत किया है। इस प्रकार से हमारी राय में समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के पश्चात यह दृढ मंतव्य है कि परिवादी अपने परिवाद को साबित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेश दिया जाता है किः-
आदेश
4. अप्रार्थीगण, परिवादी को परिवाद- पत्र के पैरा संख्या 1 में वर्णित माॅडल व कीमत का नया मोबाइल हैंडसेट एक माह में उपलब्ध करायें अन्यथा 10300/- रूपये की राशि परिवादी को लौटायें। अप्रार्थीगण परिवादी को 2500/- रूपये परिवाद व्यय एवं 1500/- मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें। यदि एक माह के अन्दर यह राशि नहीं लौटाई जाती है तो 10300/- रूपये पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर से अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को ब्याज भी अदा करना होगा।
आदेश आज दिनांक 28.10.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या