Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/2912

Shree Ram Dianostic - Complainant(s)

Versus

Jai Shankar Tiwari - Opp.Party(s)

V Srivastav

21 Aug 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/2912
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Shree Ram Dianostic
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Jai Shankar Tiwari
A
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2002/15
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Jai Shankar Tewari
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

अपील संख्‍या 2912  सन  2002

                                                                                                                                   

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम सुल्‍तानपुर   द्वारा परिवाद संख्‍या 37/01  में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 03.12.2001  के विरूद्ध)

 

 

श्री राम डाइग्‍नोस्टिक सेण्‍टर, जिला हास्पिटल के सामने, सुल्‍तानपुर द्वारा मैनेजर, राजेश कुमार (सोनोलोजिस्‍ट)

.............अपीलार्थी

बनाम

जय शंकर तिवारी, पुत्रश्री प्रभा शंकर तिवारी, निवासी ग्राम म‍झेला, परगना मीरनपुर, तहसील लमुहा, जिला सुल्‍तानपुर ।

.................प्रत्‍यर्थी

 

समक्ष:-

1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष ।

2. मा0 श्री, चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य।

 

 

विद्वान अधिवक्‍ता  अपीलार्थी : कोई नहीं ।    

विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी   : कोई नहीं ।

दिनांक -

 

मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

            यह अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम,  सुल्‍तानपुर   द्वारा परिवाद संख्‍या 37/01  में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.12.2001  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को अंशत: स्‍वीकार करते हुए 5000.00 रू0 क्षतिपूर्ति एवं 200.00 रू0 वाद व्‍यय अदा करने का निर्देश दिया है।   

      संक्षेप में, इस प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी जयशंकर तिवारी की पत्‍नी गर्भवती थी, उसने अपनी पत्‍नी का इलाज जिला अस्‍पताल के डाक्‍टर बी0नाथ से कराया, डाक्‍टर के कहने पर विपक्षी के यहां से अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराया, अल्‍ट्रासाउण्‍ड 05.12.2000 को किया गया, अल्‍ट्रासाउण्‍ड में बच्‍चे की स्थिति सामान्‍य आई । दिनांक 10.1.01 को पुन: अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराया गया और 16.1.01 को बच्‍चे का जन्‍म हुआ जिसमें बच्‍चे की हाथ की कोहनी नीचे से नही पायी गयी। परिवादी ने यह कहते हुए दावा प्रस्‍तुत किया कि विपक्षी के गलत अल्‍ट्रासाउण्‍ड के कारण ही  उसका बच्‍चा अपाहिज पैदा हुआ। विपक्षी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए जिससे एकपक्षीय कार्यवाही की गयी। जिला फोरम ने विपक्षी की असावधानी पाते हुए परिवाद को उपरोक्‍त प्रकार से स्‍वीकार किया, जिससे विक्षुब्‍ध होकर श्रीराम डायग्‍नोस्टिक सेण्‍टर द्वारा यह अपील संस्थित की गयी।

      बहस की तिथि पर उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। चूंकि अपील वर्ष 2002 से लम्बित है, अत: हमने स्‍वयं ही अभिलेख का अनुशीलन किया। अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि 16.1.2001 को अल्‍ट्रासाउण्‍ड रिपोर्ट में शिशु की स्थिति ब्रीजपोजीशन में बतायी गयी। जिला फोरम ने यह माना है कि ब्रीजपोजीशन में शिशु की एवनार्मिलिटी प्राय: दिखाई नहीं पड़ती है, अत: जिला फोरम ने विपक्षी की रिपोर्ट में कोई गलती नहीं पायी है और न ही सेवा में कमी पाई है बल्कि विपक्षी द्वारा रसीद आदि न देने के बिन्‍दु पर 5000.00 रू0 क्षतिपूर्ति आरोपित किया है। चूंकि जिला फोरम के समक्ष विपक्षी उपस्थित नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में यह कहना कठिन है कि कोई रसीद आदि विपक्षी द्वारा परिवादी को दी गयी या नही, किन्‍तु विपक्षी द्वारा जारी अल्‍ट्रासाउण्‍ड रिपोर्ट अभिलेख पर दाखिल की गयी है। चूंकि जिला फोरम द्वारा अल्‍ट्रासाउण्‍ड रिपोर्ट तैयार करने में विपक्षी की कोई असावधानी नहीं पायी गयी है, ऐसी स्थिति में जिला फोरम द्वारा किसी काल्‍पनिक आधार पर 5000.00 रू0 आरोपित करना न्‍यायोचित प्रतीत नहीं होता है।

      प्रस्‍तुत अपील तदनुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

                                               

आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम सुल्‍तानपुर   द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 03.12.2001  अपास्‍त करते हुए संबंधित परिवाद भी निरस्‍त किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)                        (चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)

   अध्‍यक्ष                                                                         सदस्‍य(न्‍यायिक)

    कोर्ट-1

(S.K.Srivastav,PA-2)

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT
 
[HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
MEMBER

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