राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 2596/2015
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बलिया द्वारा परिवाद सं0- 63/2009 में पारित आदेश 26.04.2013 के विरूद्ध)
प्रबंध्ाक/प्रभारी मे0 दुर्गा कोल्ड स्टोरेज चेतन किशोर सिकन्दरपुर, तहसील- सिकन्दरपुर, जनपद- बलिया द्वारा शेख अहमद अली पुत्र स्व0 शेख वासीत अली, निवासी मुहल्ला- गांधी पट्टी गली, थाना, पो0 व तहसील- सिकन्दरपुर, जिला-बलिया (उ0प्र0)।
........... अपीलार्थी
बनाम
जयराम सिंह उम्र करीब 45 वर्ष पुत्र स्व0 परशुराम सिंह, साकिन व पोस्ट-छोटकी सेरिया, परगना-खरीद, जिला बलिया (उ0प्र0)।
................ प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सच्चिदानंद प्रसाद,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : सुनील कुमार सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 07.12.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 63/2009 जयराम सिंह बनाम मे0 दुर्गा कोल्ड स्टोरेज चेतन किशोर, सिकन्दरपुर, बलिया में जिला फोरम, बलिया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 26.04.2013 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवाद विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से 60 दिन के अन्दर परिवादी को वह 52,360/-रू0 (बावन हजार तीन सौ साठ रू0) तथा वाद खर्च मद में 2,000/-रू0 (दो हजार रू0) अदा कर देवे अन्यथा समय-सीमा के बाद परिवाद दाखिल तिथि से उपरोक्त 52,360/-रू0 पर 15 प्रतिशत (पंद्रह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज ता भुगतान और देय होगा। परिवादी निर्णय अनुपालनार्थ निर्णय की प्रति यथाशीघ्र विपक्षी को देगा या उसके पते पर प्रेषित करेगा”।
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी मे0 दुर्गा कोल्ड स्टोरेज की ओर से प्रबंधक/प्रभारी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री सच्चिदानंद प्रसाद उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री सुनील कुमार सिंह उपस्थित आये हैं।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम, बलिया के समक्ष परिवाद इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दि0 19.04.2008 से 23.04.2008 के बीच 284 पैकेट आलू 4,000/-रू0 अग्रिम भाड़ा जमा कर रखा था, परन्तु जब आलू निकासी के समय उसने विपक्षी से हिसाब कर आलू देने को कहा तो उसने बताया कि कोल्ड स्टोरेज की मचान टूट गई जिस कारण आलू विक्रय कर दिया गया कीमत भाड़ा काटकर दे दिया जायेगा और सम्पूर्ण आलू का निकासी होने पर हिसाब कर दिया जायेगा, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी के बार-बार जाने पर उसने कोई हिसाब नहीं किया तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने रजिस्टर्ड डाक से नोटिस अपीलार्थी/विपक्षी को भेजा, फिर भी कोई भुगतान नहीं किया गया। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त नहीं हुआ है। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हो सका है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश त्रुटि पूर्ण है। जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कथित आलू के मूल्य 63,900/-रू0 को मान्यता प्रदान की है वह उचित नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने लिखित तर्क में यह स्वीकार किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित कुल आलू का मूल्य 29,560/-रू0 होता है जिस पर कोई ब्याज देय नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश उचित है। प्रत्यर्थी ने आलू का जो मूल्य बताया है वह उचित है और जिला फोरम ने उसे मान्यता प्रदान कर कोई त्रुटि नहीं की है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र के कथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित कुल आलू 284 पैकेट है। निर्विवाद रूप से प्रति पैकेट आलू 50 किलो था। इस प्रकार अपीलार्थी द्वारा जमा भण्डारित आलू का कुल वजन 142 कुन्तल था। प्रत्यर्थी/परिवादी ने आलू का मूल्य 225/-रू0 प्रति पैकेट अर्थात 450/-रू0 प्रति कुन्तल की दर से बताया है जिसे जिला फोरम ने मान्यता प्रदान की है, परन्तु अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि वर्ष 2008 में आलू की कीमत बहुत कम थी। अपीलार्थी ने अपील के तर्क के साथ कृषि उत्पादन मण्डी समिति के सचिव का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है जिसमें सन् 2008 में आलू का मूल्य 300/-रू0 प्रति कुन्तल बताया गया है जब कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उस समय आलू का मूल्य 200/-रू0 प्रति कुन्तल था।
उभयपक्ष के अभिकथन पर विचार करते हुए आलू का मूल्य 300/-रू0 प्रति कुन्तल निर्धारित किया जाना उचित है। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू का मूल्य 42,600/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी ने 4,000/-रू0 एडवांस देकर आलू भण्डारित किया है और उसके भण्डारित आलू का कुल किराया 17,040/-रू0 होता है। इस प्रकार 13,040/-रू0 कोल्ड स्टोरेज का किराया प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा अवशेष है। अत: आलू के मूल्य 42,600/-रू0 से कोल्ड स्टोरेज का किराया 13,040/-रू0 घटाने पर शेष धनराशि 29,560/-रू0 बचती है। अत: यह धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 60 दिन के अन्दर भुगतान न करने पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज दिया है वह अधिक प्रतीत होता है। अत: ब्याज दर घटाकर 09 प्रतिशत किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 2,000/-रू0 वाद व्यय के मद में प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया है वह उचित है इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
नोटिस तामीला के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से उसके विरूद्ध कार्यवाही कर कोई गलती नहीं की है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह 29,560/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को इस निर्णय के तीस दिन के अन्दर अदा करे। यदि इस अवधि में इस धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तब अपीलार्थी परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक यह धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करेगा। उपरोक्त के अतिरिक्त वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई वाद व्यय की धनराशि 2,000/-रू0 भी अदा करेगा।
जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से संशोधित किया जाता है।
उभयपक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारित करने हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1