जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 573/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-23.05.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-10.11.2022
1. ओम प्रकाश आयु लगभग 72 वर्ष, पुत्र स्व0 राम चन्द्र निवासी आई 103, राप्ती अपार्टमेंट, सेक्टर 4, गोमती नगर विस्तार, गोमती नगर, लखनऊ।
2. श्रीमती कुसुम पत्नी श्री ओम प्रकाश निवासिनी आई 103, राप्ती अपार्टमेंट, सेक्टर 4, गोमती नगर विस्तार, गोमती नगर, लखनऊ।
............परिवादीगण।
बनाम
1. मे0 जय प्रकाश एसोसिएट्स लि0, रजिस्टर्ड एण्ड कार्पोरेट आफिस सेक्टर 128, नोएडा-201304 (यू0पी) द्वारा प्रबन्ध निदेशक/सक्षम अधिकारी।
2. मनोज गौर, मैनेजिंग डायरेक्टर एण्ड सी0ई0ओ0 (के0एम0पी0) पता ए-9/27, बसन्त विहार, नई दिल्ली-110057 । ............विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री इस्तेखार हसन।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री वी0एस0 बिसारिया।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण से दिनॉंक 10.10.2015 से 06.07.2017 के मध्य का ब्याज 2,33,650.00 रूपये, मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं आर्थिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति 50,000.00 रूपये, एवं वाद व्यय 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवादीगण का कथानक है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा संचालित फिक्स डिपॉजिट योजना (सावधि जमा योजना) में 5,00,000.00 रूपये दिनॉंक 10.10.2012 को रसीद संख्या 00364891 के माध्यम से 36 माह हेतु जमा किया गया, परिवादीगण द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट पर 12.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज के हिसाब से विपक्षीगण द्वारा 36 माह में दिनॉंक 10.10.2015 को 7,26,100.00 रूपये का भुगतान किये जाने हेतु रसीद/प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
3. परिवादीगण को उक्त फिक्स्ड डिपाजिट की अवधि पूर्ण होने पर विपक्षीगण द्वारा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया और न ही भुगतान संबंधी कोई सूचना ही परिवादीगण को दी। काफी भाग दौड़ एवं शिकायती प्रार्थना पत्र देने के उपरान्त विपक्षीगण द्वारा परिपक्वता तिथि से लगभग एक वर्ष 09 माह के उपरान्त दिनॉंक 06.07.2017 को 7,26,100.00 रूपये का भुगतान किया गया है।
4. विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण की परिपक्व धनराशि 7,26,100.00 रूपये का उपभोग दिनॉंक 10.10.2015 से 06.07.2017 के मध्य अपने पास गलत तरीके से जबरन रोक लिया गया है। उक्त अवधि का ब्याज जानबूझकर विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया है। परिवादीगण के फिक्स्ड डिपाजिट परिपक्वता तिथि से उन्हें भुगतान की वास्तविक तिथि के मध्य का ब्याज 2,33,650.00 रूपये बनता है जिसे परिवादीगण पाने के अधिकारी हैं।
5. विपक्षी संख्या 01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि इस परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस फोरम को नहीं है और केवल एन0सी0टी0 देलही को ही क्षेत्राधिकार है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा B.E. Simoese Von Staraburg Niedenthal & Anr. Vs Chattisgarh Investment Limited (2015) 12 SCC 225 दिनॉंकित 25.02.2016 किया गया है जिसमें Taneja Developers & Infrastructure Ltd. Vs Gurpreet Singh & Anr. (FA No 33/2014) में कहा है कि केवल एन0सी0टी0 को ही सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।
6. इस परिवाद के दाखिल होने के पहले एफ0डी0आर0 से संबंधित पेमेन्ट के भुगतान के संबंध में नेशनल कम्पनी लॉ इलाहाबाद मं पिटीशन नम्बर सी0पी0 37/इलाहाबाद/2017 भुगतान करने के संबंध में मनाही की थी। फोरम द्वारा दिनॉंक 30.06.2017 और 23.10.2017 एन0सी0एल0टी0 के आदेश के तहत इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। एन0सी0एल0टी0 द्वारा दिनॉंक 30.06.2017 के तहत दिनॉंक 06.07.2017 को 726100.00 का भुगतान किया जा चुका है। दिनॉंक 09.11.2020 को नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिडर्सल कमीशन नयी दिल्ली ने रिवीजन पिटीशन नम्बर 2014-2200/1999 Allianz Capital and Management Services Limited Vs. B.P. Grover and Ors. ने पुनरीक्षण में कम्पनी लॉ बोर्ड को सीज कर दिया, इस कारण क्षेत्राधिकारिता नहीं है। परिवादी उपभोक्ता भी नहीं है, क्योंकि उनके द्वारा कोई भी पैसे का भुगतान नहीं किया गया है।
7. परिवादीगण का कथानक है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा संचालित फिक्स डिपॉजिट योजना (सावधि जमा योजना) में 5,00,000.00 रूपये दिनॉंक 10.10.2012 को रसीद संख्या 00364891 के माध्यम से 36 माह हेतु जमा किया गया, परिवादीगण द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट पर 12.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज के हिसाब से विपक्षीगण द्वारा 36 माह में दिनॉंक 10.10.2015 को 7,26,100.00 रूपये का भुगतान किये जाने हेतु रसीद/प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
8. परिवादीगण को उक्त फिक्स्ड डिपाजिट की अवधि पूर्ण होने पर विपक्षीगण द्वारा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया और न ही भुगतान संबंधी कोई सूचना ही परिवादीगण को दी। विपक्षीगण द्वारा परिपक्वता तिथि से लगभग एक वर्ष 09 माह के उपरान्त दिनॉंक 06.07.2017 को 7,26,100.00 रूपये का भुगतान किया गया है। जो परिवादीगण ने प्राप्त भी किया है, तथा परिवादीगण द्वारा जो भुगतान प्राप्त किया गया है उसके ब्याज के संबंध में यह परिवाद दाखिल किया गया है। विपक्षी द्वारा कथन किया गया है कि नेशनल कमीशन से सीज था।
9. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा संचालित फिक्स डिपॉजिट योजना (सावधि जमा योजना) में 5,00,000.00 रूपये दिनॉंक 10.10.2012 को 36 माह हेतु जमा किया गया था जिसका भुगतान दिनॉंक 10.10.2015 को 7,26,100.00 रूपये किया जाना था और विपक्षीगण द्वारा परिपक्वता तिथि से लगभग एक वर्ष नौ माह के उपरान्त दिनॉंक 06.07.2017 को 7,26,100.00 रूपये का किया गया। प्रस्तुत प्रकरण इस बीच के माह के ब्याज के संबंध में दाखिल किया गया है। सर्वप्रथम विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया कि परिवादीगण उपभोक्ता नहीं हैं, क्योकि कि उनके द्वारा कोई पैसे का भुगतान नहीं किया गया है और इनके द्वारा दी गयी धनराशि फिक्स डिपॉजिट के तहत भुगतान इनको किया जा चुका है। अत: अब वह वर्तमान में उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं है। ठीक इसके विपरीत परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया और यह कहा गया कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।
10. विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या परिवादी उपभोक्ता वर्तमान परिस्थिति में है या नहीं, क्योंकि उसके द्वारा ली गयी फिक्स डिपॉजिट पालिसी का भुगतान किया जा चुका है। यद्यपि कि वह विलम्ब से किया गया है। सुनील भषीन बनाम सुरूचि कोआपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह अवधारित किया है कि अगर समय से फ्लैट का पजेशन न देकर बाद में किया जाता है तो विलम्ब के संबंध में परिवादी उपभोक्ता माना जायेगा। उक्त निर्णय तीन दिन पूर्व ऑग्ल भाषा के अखबार में प्रकाशित है जिसमें यह कहा गया कि Right of the consumer to seek redressal of his grievance regarding the grievance the Delay woud not get extinguished or extenuated. अत: प्रस्तुत प्रकर में भी भुगतान के बाद किया गया तो ब्याज के संबंध में उपभोक्ता की श्रेणी में माना जायेगा। अत: विपक्षीगण के अधिवक्ता के तर्कों से मैं सहमत नहीं हॅू।
11. विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया था कि भुगतान के संबंध में पिटीशन नम्बर सी0पी0 37/इलाहाबाद/2017 में भुगतान करने के संबंध में मनाही की थी। फोरम द्वारा दिनॉंक 30.06.2017 और 23.10.2017 एन0सी0एल0टी0 के आदेश के तहत इस फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, तथा एन0सी0एल0टी0 द्वारा पैसे का भुगतान किया जा चुका है। दिनॉंक 09.11.2020 को रिवीजन पिटीशन नम्बर 2014-2200/1999 Allianz Capital and Management Services Limited Vs. B.P. Grover and Ors. में कम्पनी लॉ बोर्ड को सीज कर दिया, इस कारण क्षेत्राधिकारिता नहीं है। साथ ही साथ उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की भी प्रति दाखिल की है। माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनॉंकित 30.06.2017 में कम्पनी को यह निर्देशित किया गया था कि 25 जुलाई 2017 तक डिपॉजिटर्स के पैसे जमा करे। जैसा कि उत्तर पत्र में यह कहा गया है कि भुगतान दिनॉंक 06.07.2017 को हो गया है जो कि 25 जुलाई 2017 के पहले किया जा चुका है। अत: जो भी भुगतान किया गया है वह माननीय उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशन में किया गया है और इसमें कोई भी अलग से भुगतान कराया जाना उचित नहीं है।
12. विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि नेशनल कंज्यूमर डिस्प्ूयट रिडसर्ल कमीशन ने भी कम्पनी लॉ बोर्ड के समक्ष कोई भी विवाद को ले जाने को कहा है। चॅूंकि कम्पनी लॉ बोर्ड के द्वारा ही प्रकरण में भुगतान के संबंध में कार्यवाही किये जाने के संबंध में आदेश पारित किया गया है। कम्पनी और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में भुगतान किये जाने के संबंध में आदेश पारित पारित किया गया है और उस भुगतान के पूर्व भी समस्त धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। अत: विशेष परिस्थिति में यह समझा जायेगा कि कोई भी सेवा में त्रुटि विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी है। अत: प्रस्तुत परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक-10.11.2022