(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-445/2010
Gendan Lal Son of Sri Tularam
Versus
M/S Jai Durga Beej Bhandar & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित:- श्री प्रदीप तिवारी, विद्धान अधिवक्ता
की कनिष्ठ अधिवक्ता सुश्री प्रीति राजपूत
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :19.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-306/2008, गेंदन लाल बनाम जय दुर्गा बीज भण्डार व अन्य में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) बरेली द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.02.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0 2 की विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये बीज के खराब होने के संबंध मे कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गयी, इसलिए फसल कम होने पर कोई क्षतिपूर्ति नहीं दिलायी जा सकती।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 26.05.2008 को विपक्षी सं0 2 से 3,780/-रू0 मे बीज क्रय कर 32 बीघा जमीन में लगाया था। नियमानुसार जुताई-बुवाई की गयी, परंतु परिवादी के खाते में 3 प्रकार का धान उपलब्ध हुआ। कुछ धान पक चुका था, जो खेत में झड गया। कुछ धान मे अभी बाली निकली नहीं व कुछ धान में बाली भी नहीं आयी। विपक्षी द्वारा खराब बीज का परिधान किया, जिसके कारण परिवादी की फसल में नुकसान हुआ, तदनुसार क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- विपक्षी का कथन है कि कृषक होना या बीज क्रय करने की कोई रसीद प्रस्तुत नहीं की गयी। वारण्टी या गारण्टी का कोई कार्ड प्रस्तुत नहीं किया गया। फसल में लगायी जाने वाली दवाओं का विवरण नहीं दिया गया है। कृषि अधिकारी की जांच का कोई विवरण नहीं दिया गया है, इसलिए विपक्षी का कोई उत्तरदायित्व नहीं है।
- इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि विपक्षी द्वारा जो बीज विक्रय किया गया है, उसमें तीन तरह की फसल उत्पादित हुई। प्रथम भाग जल्दी तैयार हो गया और द्वितीय भाग में बाली निकली और तृतीय भाग में बाली तक नहीं निकली। उनका यह भी तर्क है कि जिला कृषि अधिकारी बरेली को प्रार्थना पत्र दिनांक 27.09.2008 को दिया गया था, जिनके द्वारा जांच की गयी थी। यह भी तर्क दिया गया है कि चूंकि बीज खेत में बोया जा चुका है, इसलिए बीज के संबंध में विशेषज्ञ रिपोर्ट प्राप्त नहीं की जा सकती थी। इसी बिन्दु पर जिला उपभोक्ता आयोग ने अपना निष्कर्ष आधारित किया है।
- परिवादी के कथनानुसार फसल का उत्पादन उचित न होने पर जिला कृषि अधिकारी को शिकायत की गयी, जिनके द्वारा मौके पर जांच की गयी, यह जांच रिपोर्ट पत्रावली पर दस्तावेज सं0 21 पर मौजूद है। इसमें उल्लेख है कि मौके पर 1/4 भाग की फसल काट ली गयी है। 1/2 भाग की फसल पककर तैयार खड़ी है तथा शेष भाग की फसल हरी दशा में थी, इसलिए मौके पर नुकसान का आंकलन नहीं किया जा सकता क्योंकि 1/4 भाग की फसल पहले ही काट ली गयी थी। इस प्रकार क्षति के आंकलन के संबंध में कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। परिवादी द्वारा जो फसल काटी गयी, वह इस प्रकार से नहीं काटी गयी कि उत्पादित धान का कोई पौधा जल्दी तैयार हो गया। कोई पौधा देरी से तैयार हुआ, कोई पौधा अत्यधिक देरी से तैयार हुआ। यदि यह स्थिति होती तब सम्पूर्ण खेत से बीच बीच में तैयार की गयी फसल काटी गयी होती, जबकि जिला कृषि अधिकारी ने मौके पर निरीक्षण करने पाया गया कि 1/4 भाग की फसल काटी जा चुकी है तथा 1/2 भाग फसल तैयार खड़ी हुई है ओर शेष फसल हरी दशा में है। इस प्रकार यह सम्पूर्ण फसल तीन हिस्सों में बोयी गयी थी न कि एक हिस्से में, इसलिए क्षति का तथ्य स्थापित नहीं है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2