Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/926

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Jahn White Foot Wear - Opp.Party(s)

Dr Uday Veer Singh

08 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/926
( Date of Filing : 06 Jul 2000 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Jahn White Foot Wear
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Apr 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-९२६/२०००

 

(जिला फोरम/आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-२८५/१९९५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-१२-१९९९ के विरूद्ध)

 

यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सीनियर पोस्‍ट मास्‍टर, हैड पोस्‍ट आफिस, जौहरी बाजार, आगरा।                                              ...........अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

मै0 जॉन व्‍हाइट फुट वीयर द्वारा मैनेजर, सुभाष मार्केट, तिकोनिया बाजार, आगरा।

                                              ............      प्रत्‍यर्थी/परिवादी। 

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : डॉ0 यू0वी0 सिंह विद्वान अधिवक्‍ता के कनिष्‍ठ 

                           अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक।  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

 

दिनांक :- २८-०४-२०२२.    

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत जिला फोरम/आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-२८५/१९९५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-१२-१९९९ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी ने एक परिवाद विद्वान जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया था जिसमें उसने हर्जाना आदि की मांग की थी क्‍योंकि एक पार्सल खो गया था। अपीलार्थी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया था और कहा था कि पंजीकृत पत्र सं0-४९२४ रास्‍ते में कहीं खो गया। विद्वान जिला फोरम ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया कि यह कार्य जानबूझकर नहीं किया गया था। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना एवं तथ्‍यों से परे है।

परिवादी ने कहा कि उसने एक पार्सल आगरा फोर्ट रेलवे स्‍टेशन पर बुक कराया जो पीलीभीत जाना था और रेलवे रसीद पंजीकृत डाक दिनांकित ०२-११-१९९४ द्वारा

 

 

-२-

अग्रवाल जनरल स्‍टोर्स पूरनपुर, पीलीभीत को भेजी गई। इस पार्सल में जूते थे लेकिन पंजीकृत पत्र में यह तथ्‍य नहीं लिखा गया। यह पत्र वांछित पते पर नहीं दिया गया बल्कि किसी अन्‍य व्‍यक्ति को दिया गया जिसने पार्सल ले लिया। विद्वान जिला फोरम ने यह तथ्‍य नहीं देखा कि यदि उसे रसीद नहीं मिली थी तब उसे रेलवे स्‍टेशन जा कर पार्सल की डिलीवरी रूकवानी चाहिए थी। धारा-६ इण्डिया पोस्‍ट आफिस एक्‍ट के अन्‍तर्गत किसी पार्सल के खोने, गलत पते पर दिए जाने अथवा क्षतिग्रस्‍त होने के सम्‍बन्‍ध में डाक विभाग को उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। सेवा में कमी नहीं की गई है। विद्वान जिला फोरम ने इन तथ्‍यों को नहीं देखा। अत: माननीय आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला फोरम का प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार की जाए। 

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

हमने विद्वान जिला फोरम के प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-१ ने स्‍वीकार किया कि पंजीकृत पत्र उनके कार्यालय से कहीं खो गया जिससे स्‍पष्‍ट है कि इसको भेजा नहीं गया जबकि विपक्षी सं0-२ कहता है कि इसे प्रेषिती को भेज दिया गया। पत्र भेजा गया किन्‍तु वास्‍तविक व्‍यक्ति को न दे कर किसी और व्‍यक्ति को दे दिया गया अर्थात् यह कृत्‍य जानबूझकर किया गया प्रतीत होता है, जिससे कोई अन्‍य व्‍यक्ति रेलवे स्‍टेशन से इस माल को प्राप्‍त कर ले गया। विपक्षी सं0-२ ने माल उसको दिया जिसके पास आर0आर0 था। स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी सं0-२ का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है, किन्‍तु विपक्षी सं0-१ ने जब जानबूझकर प्रेषिती के बदले किसी अन्‍य व्‍यक्ति को पंजीकृत पत्र दे दिया तब‍ यह जानबूझकर किया गया कृत्‍य है न कि सदाशय से किया गया कृत्‍य। ऐसी स्थिति में विद्वान जिला फोरम का प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है और इसमें हम किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं समझते हैं। तद्नुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।    

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला फोरम/आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा

 

 

-३-

परिवाद सं0-२८५/१९९५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-१२-१९९९ की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                   (सुशील कुमार)                (राजेन्‍द्र सिंह)

                      सदस्‍य                         सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

                   (सुशील कुमार)                (राजेन्‍द्र सिंह)

                      सदस्‍य                        सदस्‍य                    

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.    

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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