राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-3110/2001
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 649/1999 में पारित निर्णय दिनांक 16.10.2001 के विरूद्ध)
मै0 अपटेक कंप्यूटर एजुकेशन आर-13/80, राज नगर,
गाजियाबाद(यू.पी.)। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1. जगवीर सिंह आर-9/252, राज नगर, गाजियाबाद (यू.पी.)
2. अंशुल गुप्ता आर-6/38, राज नगर, गाजियाबाद(यू.पी.)
......प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 09.02.2018
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 649/1999 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 16.10.2001 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
'' परिवादीगण की शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादीगण की जमा की गई फीस निर्णय पारित होने के एक माह के अंदर वापिस कर दे। अन्यथा विपक्षी को परिवादीगण की जमाराशि पर 10 प्रतिशत ब्याज जमा करने की दिनांक से अदा करने की दिनांक तक अदा करेगा। इस निर्णय की एक प्रति रजि0 डाक से विपक्षी को रजि0 डाक परिवादीगण के खर्चे पर भेजी जाए।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीगणों ने विपक्षी अपटैक कंप्यूटर के यहां एक अल्प अवधि का कंप्यूटर प्रोग्राम सीखने के लिए अपने को पंजीकरण कराया और रू. 4000/- की धनराशि जमा की, लेकिन कोर्स सिखाने के लिए जो वायदे किए गए थे उसके अनुसार कार्यवाही नहीं की गई, अत: उनके द्वारा जमा की गई फीस की वापसी के लिए आवेदन किया और फीस वापसी के लिए कई प्रयास किए, परन्तु धनराशि वापस नहीं की गई।
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जिला मंच के समक्ष विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया और यह अभिकथन किया कि पैसा जमा करने के समय उनके द्वारा शर्ते बता दी गई थी कि जमा किया गया पैसा किसी भी दशा में वापस नहीं होगा और परिवादी ने सभी शर्तें मंजूर की थीं।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी का कथन है कि जिला मंच का निर्णय त्रुटिपूर्ण है, परिवाद दो परिवादियों ने दाखिल किया था जो पोषणीय नहीं है। परिवादीगणों ने स्वयं क्लास में आना बंद कर दिया था, इसलिए वह किसी धनराशि वापसी के पात्र नहीं हैं।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादीगणों ने अपीलार्थी के यहां कंप्यूटर कोर्स के लिए अपना पंजीकरण कराया था और धनराशि जमा की थी। अपीलार्थी का कथन है कि परिवादीगण द्वारा स्वयं कोर्स में आना बंद कर दिया था, जबकि परिवादीगणों का यह कथन कि कोर्स के संबंध में जो वादे किए गए थे उसको पूर्ण नहीं किया गया। यह सर्वविदित है कि इस तरह के कोर्सेस में कंप्यूटर के विद्यार्थी अपना ज्ञान-वर्धन के लिए प्रवेश लेते हैं, परन्तु यदि विज्ञापित कोर्स का ठीक प्रकार से संचालित नहीं किया जाता है तो उससे छात्रों को कोई लाभ नहीं होता है। अपीलार्थी ने कोर्स के संबंध में परिवादीगणों द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं उससे इंकार नहीं किया है। अपीलार्थी का यह कथन स्वीकार योग्य नहीं है कि उनके द्वारा यह शर्त बताई गई थी कि किसी भी दशा में धनराशि वापस नहीं होगी। अपीलार्थी द्वारा सही प्रकार से कोर्स का संचालन न करके सेवा में कमी की है। जहां तक दो परिवादीगणों द्वारा परिवाद दायर करने का प्रश्न है यह एक तकनीकी बिन्दु है और परिवादीगण ने एक छोटी धनराशि के लिए अनुतोष चाहा है, अत: केवल तकनीकी आधार पर उनके परिवाद को निरस्त करना न्याय हित में नहीं होगा। जिला मंच ने साक्ष्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जिसमें हम कोई त्रुटि नहीं पाते हैं, परन्तु जिला मंच ने जो ब्याज लगाया गया है वह अत्यधिक है, अत: उसे कम करते हुए 7 प्रतिशत किया जाता है। शेष आदेश पुष्टि किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 16.10.2001 इस रूप में संशोधित किया जाता है कि जमा धनराशि पर 7 प्रतिशत ब्याज देय होगा। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-2