Uttar Pradesh

StateCommission

A/1217/2022

Life Insurance Corporation of India - Complainant(s)

Versus

Jagmohan Dwivedi - Opp.Party(s)

Sanjay Jaiswal

15 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1217/2022
( Date of Filing : 09 Nov 2022 )
(Arisen out of Order Dated 07/09/2022 in Case No. Complaint Case No. CC/267/2018 of District Mainpuri)
 
1. Life Insurance Corporation of India
Mianpuri
...........Appellant(s)
Versus
1. Jagmohan Dwivedi
Mianpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1217/2022

1-    लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच ऑफिस कचेहरी रोड, मैनपुरी।

2-    लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, डिविजनल ऑसिफ, संजय पैलेस, आगरा।

     द्वारा सेक्रेटरी, एल0आई0सी0 आफ इण्डिया, जोनल आफिस (लीगल सेल) हजरतगंज, लखनऊ।

 

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम          

जगमोहन दि्ववेदी पुत्र स्‍व0 बाबूराम दि्ववेदी, निवासी नई कोतवाली के पीछे, आश्रम रोड, थाना कोतवाली शहर व जिला मैनपुरी-205001

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता     : श्री संजय जायसवाल

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री अखिलेश त्रिवेदी

दिनांक :- 15.3.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थीगण/ लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया व अन्‍य द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-267/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.9.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीला‍र्थी विपक्षी बीमा कम्‍पनी से एक पालिसी सं0-264822194 अन्‍तर्गत टेबिल सं0-165 टर्म 12 दिनांक 28.7.2008 को ली गई थी

-2-

जिसकी परिपक्‍वता तिथि 28.7.2018 थी तथा किस्‍त 12,010.00 रू0 थी जिसे को प्रतिवर्ष के हिसाब से 10 वर्ष तक जमा करना था जिसका भुगतान उसने नियत समय पर किया एवं पालिसी देते समय अपीलार्थी के एजेंट द्वारा बताया गया कि यदि इस पालिसी में मृत्‍यु व दुर्घटना का लाभ नहीं लेगें तब ऐसी स्थिति में बीमा कम्‍पनी कुल जमा धनराशि के दोगुने से ज्‍यादा भुगतान परिपक्‍वता अवधि को करेगी। इसी विश्‍वास पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उक्‍त पालिसी ली थी। उक्‍त पालिसी के अंतर्गत समएश्‍योर्ड बीमा धनराशि 2,50,000.00 रू0 थी जिसका आशय था कि इस पालिसी के अंतर्गत बीमित व्‍यक्ति को परिपक्‍वता की तिथि तक कम से कम 2,50,000.00 रू0 की धनराशि का भुगतान किया जाना अनिवार्य था एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी की उक्‍त पालिसी परिपक्‍व होने के बाद उसे कुल 41,449.00 रू0 का भुगतान अपीलार्थी विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा किया गया। इस संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से शिकायत की गई तो अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया और कहा गया कि यह इस पालिसी की विशेषता है। तत्‍पश्‍चात प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण को एक लिखित शिकायती प्रार्थना पत्र रजिस्‍टर्ड डाक से भेजा परन्‍तु उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया, अत्एव क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत

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किया गया है जिसमें महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को छिपाया गया है। यह भी कथन किया गया कि उक्‍त पालिसी में टेबिल सं0-165 टर्म 12 के अन्‍तर्गत मासिक प्रीमियम का 250 गुना बीमा जोखिम (रिस्‍क कवर) दिया जाता है और यह जोखिम मृत्‍यु होने पर ही देय है न कि परिपक्‍वता अ‍वधि पर। परिवादी द्वारा जो भी किस्‍तों की अदायगी की गई उनका भुगतान परिपक्‍वता अ‍वधि पर नियमानुसार देय पूर्णावधि बीमा लायल्‍टी एडीशन के साथ 41,449.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा किया जा चुका है, जिसमें 30,590.00 परिपक्‍वता बीमा धन तथा शेष धनराशि लायल्‍टी एडीशन की है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा पालिसी की शर्तों के अनुसार पूरा भुगतान किया जा चुका है इसलिए उपरोक्‍त आधारों पर परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध चलने योग्‍य नहीं है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया कि वह एक माह के अंदर परिवादी को 1,20,100.00 रू0 प्रीमियम की धनराशि जो विपक्षीगण ने परिवादी से प्राप्‍त की है, में से 41,449.00 रू0 जो विपक्षीगण ने परिवादी को अदा की है, को घटाते हुए शेष धनराशि 78,651.00 रू0 अदा करें।

उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी

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कथन किया गया कि उक्‍त पालिसी में टेबिल सं0-165 टर्म 12 के अन्‍तर्गत मासिक प्रीमियम का 250 गुना बीमा जोखिम/रिस्‍क कवर दिया जाता है तथा यह जोखिम/कवर मृत्‍यु होने पर ही देय होता है, न कि परिपक्‍वता अ‍वधि पर।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जो भी किस्‍तों की अदायगी की गई है, उनका भुगतान परिपक्‍वता अ‍वधि पर नियमानुसार देय राशि रू0 41,449.00 के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा किया जा चुका है।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा पालिसी की शर्तों के अनुसार पूरा भुगतान किया जा चुका है। अब कोई धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को शेष देय नहीं है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की जाने वाली सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है, अत्एव अपील स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना अपीलार्थी की ओर से की गई।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है तथा उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है एवं अपील निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं

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पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं नहीं पाई जाती है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                             (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)              

                                      अध्‍यक्ष                                                                                                                                 

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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