(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-47/2008
Life Insurance Corporation of India Versus Jagdish Saran
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री अरविन्द तिलहरी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री राहुल कुमार श्रीवास्तव, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :19.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-357/2005, जगदीश सरन बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, (द्वितीय) बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.12.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित की मृत्यु होने पर बीमित राशि अंकन 2,00,000/-रू0 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के पिता स्व0 मोती लाल ने दिनांक 25.01.2003 को अंकन 2,00,000/-रू0 की एक बीमा पॉलिसी प्राप्त की थी। दिनांक 07.07.2003 को घर पर फालिज का अटेक पड़ा। दिनांक 08.07.2003 को डॉ0 सोमेश मेहरोत्रा राममूर्ति स्मारक अस्पताल में दिखाया गया। दिनांक 24.05.2004 को बीमारी के कारण मोती लाल बीमा धारक की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय उनको किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी, परंतु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
4. बीमा कम्पनी का कथन है कि बीमा पॉलिसी लेने के एक वर्ष 3 माह 11 दिन के अंदर मृत्यु हुई है, इसलिए जांच की की गयी, जांच में पाया गया कि बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमाधारक उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह के रोग से दो वर्ष से पीडि़त था और इस तथ्य को छिपाया गया, परंतु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा इस तथ्य को छिपाने का कोई सबूत नहीं माना। तदनुसार बीमा राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
5. पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत अभिवचनों, अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की बहस सुनने तथा निर्णय के अवलोकन के पश्चात यह तथ्य जाहिर होता है कि बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज कराने से संबंधित कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए यह निष्कर्ष देना संभव नहीं है कि बीमाधारक को बीमा प्रस्ताव भरते समय किसी बीमारी के अस्तित्व का कोई ज्ञान था और उसे आशयपूर्वक छिपाया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2