Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2169

Vidhut Vitran Khand - Complainant(s)

Versus

Jagdish Prasad - Opp.Party(s)

M N Mishra

13 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2169
( Date of Filing : 28 Sep 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vidhut Vitran Khand
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Jagdish Prasad
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Dec 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2169/2007

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0

 

बनाम

 

जगदीश प्रसाद पुत्र किशन लाल

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,

                         विद्वान अधिवक्‍ता।      

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : श्री अनिल कुमार मिश्रा के

                                                  कनिष्‍ठ सहायक श्री राहुल श्रीवास्‍तव।

दिनांक : 13.12.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद सं0-286/2006, जगदीश प्रसाद बनाम मुख्‍य महा प्रबंधक दक्षिणांचल कंपनी लि0 तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.6.2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा के कनिष्‍ठ सहायक श्री राहुल श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी के विद्युत कनेक्‍शन को दिनांक 13.2.2006 को बगैर किसी कारण के काट दिया

 

-2-

गया और विद्युत विच्‍छेदन प्रमाण पत्र भी जारी नहीं किया गया। कार्यालय से जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि अंकन 3,68,202/-रू0 का राजस्‍व निर्धारण किया गया है, परन्‍तु परिवादी को विवरण प्राप्‍त नहीं कराया गया और परिवादी द्वारा प्रेषित प्रत्‍यावेदन पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.        विद्युत विभाग का यह कथन है कि परिवादी ने दिनांक 27.1.2005 को विद्युत बिल का भुगतान नहीं किया। दिनांक 13.2.2006 को निरीक्षण के समय पाया गया कि परिवादी शू फैक्‍ट्री चला रहा था तथा विद्युत भार स्‍वीकतृ भार से अधिक था, इसलिए अंकन 3,58,202/-रू0 की मांग की गई।

4.        विद्वान जिला आयोग द्वारा साक्ष्‍यों का विश्‍लेषण करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विद्युत विभाग द्वारा चेकिंग के समय लोड नहीं बढ़ाया गया। इसी आधार पर राजस्‍व निर्धारण का आदेश निरस्‍त किया गया है, जबकि विद्वान जिला आयोग को राजस्‍व निर्धारण के आदेश को निरस्‍त करने का अधिकार प्राप्‍त नहीं है। अधिक लोड बढ़ने पर उपयोग की गई विद्युत के अनुसार राजस्‍व का निर्धारण करने का विद्युत विभाग का अधिकार है। यदि परिवादी राजस्‍व निर्धारण के आदेश से व्‍यथित था तब वह विद्युत अधिनियम के अंतर्गत नियुक्‍त सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील प्रस्‍तुत की जा सकती थी, परन्‍तु परिवादी द्वारा उपरोक्‍त अपील प्रसतुत न कर उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया, जो कि संधारणीय नहीं था। तदनुसार  विद्वान  जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त

 

-3-

होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

5.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.6.2007 अपास्‍त किया जाता है तथा पोषणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                 (सुशील कुमार)

          अध्‍यक्ष                             सदस्‍य

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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