(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-278/2011
(जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्या-199/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.12.2010 के विरूद्ध)
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, द्वारा रिजनल मैनेजर, रिजनल आफिस, कपूरथला बाग काम्पलेक्स, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
जगदीश प्रसाद शर्मा पुत्र स्व0 श्री चेत राम, निवासी गोविन्दपुर खदौली, आगरा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक कुमार राय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन।
दिनांक: 08.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-199/2005, जगदीश प्रसाद श्ार्मा बनाम यूनाइटेड इण्डिया इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.12.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमाधारक की मृत्यु पर अंकन 1,00,000/-रू0 की राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि बीमाधारक की मृत्यु गंगा नदी में डूबने के कारण हो गई। यद्यपि मृतक का पोस्ट मार्टम नहीं कराया गया, इसी आधार पर बीमा क्लेम नकार दिया गया, परन्तु विद्वान जिला आयोग ने पोस्ट मार्टम कराना एक आवश्यक शर्त नहीं मानी। तदनुसार बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
3. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि इस आशय की कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है कि आंतरिक चोटों के कारण बीमाधारक की मृत्यु हुई है। पोस्ट मार्टम नहीं कराया गया, इसलिए मृत्यु का वास्तविक कारण ज्ञात नहीं हो सका और जब मृत्यु का कारण ज्ञात नहीं है तब यह स्थापित नहीं है कि मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
5. यह सही है कि मृतक का पोस्ट मार्टम नहीं कराया गया, परन्तु इस तथ्य को साबित करने के लिए विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत होना आवश्यक शर्त नहीं है। पोस्ट मार्टम तैयार करने वाले डा0 की साक्ष्य केवल एक विशेषज्ञ साक्ष्य मानी जा सकती है, जो Opinion मात्र होती है। परिवादी की ओर से जो शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, उस शपथ पत्र के आधार पर भी मृत्यु का कारण सुनिश्चित किया जा सकता है। प्रस्तुत केस में प्रधान का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है तथा स्वंय परिवादी द्वारा भी शपथ पत्र द्वारा इस तथ्य को साबित किया गया है कि बीमाधारक की मृत्यु गंगा नदी में डूबने के कारण हुई है। पानी के अन्दर डूब कर मृत्यु होना भी एक दुर्घटना है, इसलिए बीमा क्लेम देय है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अहस्तक्षेपनीय है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2