राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील सं0-328/2013
(जिला मंच द्विवतीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-९१/२००८ में पारित आदेश दिनांक २३/०१/२०१३ के विरूद्ध)
- पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 इलेक्ट्रिसिटी अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन द्विवतीय मुरादाबाद द्वारा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ।
- इलेक्ट्रिसिटी अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन सब डिवीजन फोर्थ पीटीसी मुरादाबाद द्वारा सब डिवीजनल आफीसर।
.........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
जगदीश कुमार पुत्र स्व0 श्री झांगीराम निवासी लोकोरोड मस्जिद के पीछे मुरादाबाद।
........ प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री संजय कुमार सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: जगदीश कुमार स्वयं ।
दिनांक १६/१२/२०१४
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित।
निर्णय
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच द्विवतीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-९१/२००८ जगदीश कुमार बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित आदेश दिनांक २३/०१/२०१३ के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है।
‘’परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। परिवादी को विपक्षीगण द्वारा भेजे गये अंकन १७४८२/-रू0 के दिनांक १०/०४/२००८ डिमांड नोटिस को निरस्त किया जाता है । विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे भविष्य में प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन सं0-३३३३-०६१४०९ कोड सं0-७२२ के संबंध में कोई वसूली परिवादी से न करें। परिवादी को संताप से हुई क्षति के संबंध में ५०००/-रू0 का भुगतान एक माह में करें अन्यथा क्षतिपूर्ति की राशि दो गनी हो जायेगी।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी विपक्षीगण का विद्युत कनेक्शन सं0-३३३३-०६१४०९ कोड सं0-७२२ से २ किलोवाट का उपभोक्ता था, उसका विद्युत कनेक्शन दिनांक २६/१२/२०१०को विभागीय आदेश के अनुसार दिनांक २९/०१/१९८१
2
को विच्छेदित कर औपचारिक्ताएं पूर्ण करने के पश्चात परिवादी को ११२/-रू0 ७२ पैसे की वापसी का आदेश कर दिया। परिवादी ने दिनांक २९/०८/२००२ को एक प्रार्थना पत्र विपक्षीगण के अधिकारी डी0पी0 शर्मा को दिया। विपक्षीगण ने उसके प्रार्थना पत्र के पश्चात दिनांक ०८/०३/२००६ को १७४८२/-रू0 का डिमांड नोटिस दे दिया जबकि दिनांक २९/०१/१९८१ को उसका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया था तथा पी0डी0 विद्युत विभाग द्वारा जारी की जा चुकी है, विपक्षीगण का नोटिस अनुचित है।
विपक्षीगण द्वार प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और स्वीकार किया गया कि परिवादी उसका उपभोक्ता है। परिवादी का विद्युत विच्छेदन दिनांक २९/०१/१९८१ को नहीं हुआ। परिवादी का परिवाद सन् २००८ में दायर किया गया है जो समय से बाधित है। ऐसे परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार जिला मंच को नहीं है । परिवादी ने बिलो के भुगतान की व पी0डी0 की कोई रसीद दाखिल नहीं की है। विपक्षीगण का पुराना रिकार्ड दीमक ने नष्ट कर दिया है। परिवादी का कोई नुकसान नहीं हुआ है उनके विरूद्ध परिवाद निरस्त कर दिया जाए।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्यर्थी स्वयं जगदीश कुमार के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का परिशीलन किया गया।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा पारित आदेश विधि अनुसार नहीं है, क्योंकि परिवादी को डिमाण्ड नोटिस विधि अनुसार भेजा गया था तथा उसका विद्युत कनेक्शन दिनांक २९/०१/१९८१ को नहीं हुआ था। परिवादी ने बिलों के भुगतान की पीडी भी दाखिल नहीं की है।
प्रत्यर्थी जगदीश कुमार स्वयं का तर्क है कि विद्वान जिला मंच द्वारा सही आदेश पारित किया गया है जिसमें कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का गंभीरतापूर्वक अनुशीलन किया गया। विद्वान जिला मंच ने यह अभिमत व्यक्त किया है कि अभिलेख ५/१ के अनुसार वाद प्रस्तुत करने का कारण दिनांक १०/०४/२००८ को प्राप्त हुआ और परिवाद १ माह ४ दिन बाद दिनांक १४/०५/२००८ को प्रस्तुत किया गया। अत: ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद समय सीमा के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है और काल बाधित नहीं है। विद्वान जिला मंच ने परिवादी का विद्युत विच्छेदन दिनांक २९/०१/१९८१ को माना है और इसी आधार पर परिवादी द्वारा समायोजन दिनांक ०१/०२/१९८२ कर बिल बिल मु0 ११२.७२ पैसे की वापसी कर दी गयी। अत: इन परिस्थितियों में भेजा गया डिमाण्ड नोटिस दिनांक १०/०४/२००८ अनुचति है। हम विद्वान जिला मंच के इस निष्कर्ष से सहमत हैं और
3
यह पाते हैं कि विद्युत विच्छेदन दिनांक २९/०१/१९८१ को होने के बाद दिनांक १७/०४/२००८ को प्रश्नगत डिमाण्ड नोटिस भेजे जाने का कोई समुचित आधार नहीं है और वह निरस्त किए जाने योग्य है। इस आधार पर विद्वान जिला मंच ने भी डिमाण्ड नोटिस दिनांक१०/०४/२००८ अंकन १७४८२/-रू0 को निरस्त किया है जो कि सही है। विद्वान जिला मंच समस्त तथ्यों पर विवेचना करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है तथा अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए।
(अशोक कुमार चौधरी) (संजय कुमार)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र कुमार
आशु0 कोर्ट0 ३