राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-391/2004
(जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-50/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-09-2003 के विरूद्ध)
मै0 अशोक आटो सेल्स लि0, आगरा कानपुर रोड, नुनहाई, आगरा द्वारा डायरेक्टर सुश्री रंजना बंसल।
............अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2.
बनाम
1. जगदीश चन्द्र चतुर्वेदी पुत्र श्री प्यारे लाल चतुर्वेदी निवासी मालगोदाम रोड, कासगंज, जिला एटा।
............प्रत्यर्थी/परिवादी।
2. टाटा फाइनेंस लि0 ब्रान्च आफिस, आगरा कानपुर रोड, नुनहाई, आगरा द्वारा ब्रांच मैनेजर आगरा।
3. मनोज शर्मा द्वारा श्री गंगा चरन माहेश्वरी, निकट रोडवेज बस स्टेण्ड, कासगंज, जिला एटा, यू0पी0।
............प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0के0 श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री नन्द कुमार।
दिनांक :- 21-06-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-50/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-09-2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली
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का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। शेष प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि टाटा फाइनेंस लिमिटेड कम्पनी से ऋण लेकर प्रश्नगत वाहन पूर्व में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा क्रय किया गया था, परन्तु ऋण की अदायगी न होने के कारण वाहन को अधिग्रहीत कर लिया गया और फिर उसे टाटा फाइनेंस लिमिटेड कम्पनी द्वारा परिवादी को विक्रय कर दिया गया।
परिवाद इस अनुतोष के साथ प्रस्तुत किया गया था कि परिवादी से अंकन 30,217/- रू0 जो अधिक प्राप्त किया गया है, उसे ब्याज सहित वापस दिलाया जाए। वाहन विक्रय करने पर धनराशि अदा करना पक्षकारों के मध्य एक संविदा है और संविदा के अनुसार धनराशि विक्रेता द्वारा प्राप्त करना उसका अधिकार है। यह एक व्यक्तिगत संविदा है, जिसमें विद्वान जिला आयोग द्वारा कोई हस्तक्षेप किया जाना सम्भव नहीं है। निश्चय ही इस मामले में अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत वाहन का विक्रय नहीं किया गया है, इसलिए वांछित दस्तावेज भी उपलब्ध कराने का दायित्व अपीलार्थी का न होकर परिवाद के विपक्षी सं0-1 टाटा फाइनेंस कं0लि0 का है। अत: पीठ के अभिमत में केवल अपीलार्थी अशोक आटो सेल्स लि0 के विरूद्ध विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश अपास्त होने योग्य है।
तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-50/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 15-09-2003 केवल अपीलार्थी के विरूद्ध अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के अपीलार्थी को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र वापस अदा कर दी जाए।
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उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 21-06-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.