(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-602/2010
श्रीमती सुमाना देवी (मृतक) तथा तीन अन्य बनाम जगदीश प्रसाद चौधरी तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 29.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-151/2008, श्रीमती सुमाना देवी तथा अन्य बनाम ब्रांच मैनेजर, एलआईसी आफ इंडिया तथा अन्य में विद्वान जिला आयोग, संत कबीर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.2.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री ए.के. मिश्रा तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री टी.एच. नकवी तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय जायसवाल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि बीमा पालिसी का प्रीमियम नियमित रूप से भुगतान नहीं हुआ।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के पति स्व0 राम लाल ने बीमा पालिसी प्राप्त की थी। बीमाधारक बीमा पालिसी लेने के बाद सऊदी अरब चले गए और एक साल बाद ह्दय घात के कारण उनकी मृत्यु हो गई। दूसरा प्रीमियम विपक्षी बीमा निगम के एजेंट विपक्षी सं0-3 को अंकन 7,000/-रू0 का ड्राफ्ट दिनांक 5.5.2000 को सऊदी अरब से बनवाकर अब्दुल कादिर के हाथ भेजा था। अब्दुल कादिर अंकन 7,000/-रू0 का ड्राफ्ट सऊदी अरब से दस्ती लेकर अपने गॉंव गनेशपुर लाए, इसके बाद पंजीकृत डाक से विपक्षी सं0-3 के पास भेज दिया, जिसको विपक्षी सं0-3 ने अपने खाता संख्या-27721 एसबीआई खलीलाबाद, जिला संत कबीर नगर में जमा किया और
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उसके खाते में दिनांक 4.8.2000 को पैसा आ गया। यह राशि उसके द्वारा अपने खाते से निकाल ली गई, लेकिन प्रीमियम जमा नहीं किया गया, इसलिए विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गई।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि चूंकि बीमा पालिसी के प्रीमियम के लिए भुगतान बीमा निगम के एजेंट को अदा कर दिया गया है, उनके द्वारा इस राशि को अपने खाते से निकाल भी लिया गया है, इसलिए बीमा निगम के पास यह प्रीमियम अदा माना जाएगा, इस बिन्दु पर विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि प्रस्तुत केस में जिस व्यक्ति को प्रीमियम की राशि दी गई, वह बीमा निगम का एजेंट नहीं है तथा जगदीश नामक व्यक्ति को प्रीमियम प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं था, इसलिए जगदीश नामक व्यक्ति को दिया गया प्रीमियम बीमा निगम को दिया गया प्रीमियम नहीं माना जा सकता। यह निष्कर्ष विधिसम्मत है, क्योंकि जगदीश नामक व्यक्ति बीमा निगम का एजेंट नहीं है, अपितु वह स्वंय बीमाधारक का एजेंट है। इस प्रकार बीमाधारक के पास पैसा जमा हो या उसके अपने एजेंट के पास पैसा जमा हो, वह पैसा बीमा निगम को अदा किया गया पैसा नहीं माना जा सकता, इसलिए प्रस्तुत केस में प्रीमियम अदा नहीं हुआ है। तदनुसार पालिसी अस्तित्व में नहीं है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्मत है। प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2