मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 383 सन 1996 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.12.1997 के विरूद्ध)
अपील संख्या 212 सन 1998
सहारा इण्डिया, रजिस्टर्ड पार्टनरशिप फर्म, आफिस-सहारा इण्डिया भवन- 1, कपूरथला काम्प्लेक्स, अलीगंज, लखनऊ । ............अपीलार्थी
बनाम
जगदेव गुप्ता निवासी 01/117, एलआईजी, सेक्टर-एच, जानकीपुरम, लखनऊ ।
. .............प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री आर0के0 गुप्ता , सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से –विद्वान अधिवक्ता- श्री अश्वनी पारासर ।
प्रत्यर्थी की ओर से स्वयं- श्री जगदेव गुप्ता ।
दिनांक: 24.7.2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 383 सन 1996 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.12.1997 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवाद को स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा जमा धनराशि 18 प्रतिशत ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया है तथा 1000.00 रू0 वाद व्यय व क्षतिपूर्ति भी आरोपित की है।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी के यहां एक खाता खोला था जिसमें 39 माह तक 10.00 रू0 प्रति दिन जमा करना था और विपक्षी के एजेण्ट द्वारा उक्त धनराशि प्रतिदिन परिवादी से प्राप्त करना था। कुछ दिनों बाद विपक्षी का एजेण्ट नहीं आया। परिवादी ने अपने द्वारा जमा धनराशि ब्याज सहित विपक्षी से मांगी किन्तु विपक्षी द्वारा मात्र 1870.00 रू0 का भुगतान किया गया । जिला फोरम ने परिवाद को स्वीकार करते समय 18 प्रतिशत ब्याज भी स्वीकार किया है जिससे विक्षुब्ध होकर यह अपील संस्थित की गयी है।
हमने उभय पक्ष की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का अनुशीलन कर लिया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने यह कहा है कि परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि परिवादी को समझौते के आधार पर 1820.00 रू0 वापस कर दी गयी थी और उक्त धनराशि '' फुल एण्ड फाइनल '' सेटेलमेंट के अन्तर्गत दी गयी थी और उसका कोई विरोध नहीं किया गया था जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा जमा धनराशि पर समुचित ब्याज नहीं दिया गया है।
हमने सेटेलमेंट फार्म की प्रति का अवलोकन किया। उक्त सेटेलमेंट में '' फुल एण्ड फाइनल '' सेटेलमेंट की बात नहीं लिखी गयी है और न ही परिवादी द्वारा जमा धनराशि पर कोई ब्याज देने का ही उल्लेख है, ऐसी स्थिति में अपीलार्थी के इस तर्क में कोई बल नहीं है कि परिवादी ने '' फुल एण्ड फाइनल '' सेटेलमेंट के अन्तर्गत उक्त धनराशि प्राप्त की थी। जिला फोरम ने तथ्यों को विवेचित करते हुए 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी द्वारा जमा धनराशि वापस करने का निर्देश दिया है तथा अपीलार्थी द्वारा परिवादी को भुगतान किए गए 1870.00 रू0 के समायोजन का निर्देश दिया है, जिसमें हस्तक्षेप किए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
परिणामत:, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि इस अपील में कोई बल नहीं है और यह अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील तद्नुसार निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 383 सन 1996 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.12.1997 सम्पुष्ट किया जाता है।
प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (आर0के0 गुप्ता)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)