राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-378/2023
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या 211/2017 में पारित आदेश दिनांक 04.07.2022 के विरूद्ध)
जिला कृषि अधिकारी, कृषि आफिसर, विकास भवन, झांसी, उत्तर प्रदेश
.....................अपीलार्थी/विपक्षी सं02
बनाम
1. जगदीश राजपूत, पुत्र श्री भागीरथ राजपूत, निवासी- ग्राम-रूदबलौरा, दुर्गापुर, ब्लाक-बबीना, तहसील व जिला-झांसी
2. राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जिलाधिकारी, झांसी
............प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं01
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 04.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या-211/2017 जगदीश राजपूत बनाम राज्य सरकार उ0प्र0 शासन व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.07.2022 के विरूद्ध योजित की गयी।
अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रान्ति को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व
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परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा दिनांक 24.06.2016 को 30 किलो उर्द का बीज 5440/-रू0 में आजाद 3सी/7 प्रजाति का रसीद नं0-696173 दिनांक 24.06.2016 के द्वारा क्रय किया गया था। उक्त बीज यूनिक कार्ड सं0-8761668833000 के द्वारा दिया गया था तथा बीज की रसीद ब्लाक बबीना के श्री गोविन्द सिंह सहायक कृषि निरीक्षक झांसी द्वारा हस्ताक्षरित प्रदान की गयी थी।
परिवादी द्वारा उपरोक्त प्रजाति का बीज अपने खेत में बोया गया, कुछ दिनों के बाद खेत में बीज की खराबी के कारण उर्द की पौध में फूल एवं फलियां नहीं लग सकी, जिसकी सूचना परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विभाग को दी गयी। विपक्षी संख्या-1 द्वारा जाँच टीम गठित कर कार्यवाही का आश्वासन दिया गया, परन्तु विपक्षी संख्या-2 द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। विपक्षीगण के विभाग द्वारा खराब किस्म के खराब बीज विक्रय करने के कारण परिवादीगण को लगभग 60,000/-रू0 की आर्थिक क्षति पहुँची। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दिनांक 07.04.2017 को नोटिस भेजा है, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण की ओर से संयुक्त रूप से जवाबदावा दाखिल किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि विपक्षी संख्या-2 को बीज बोने की जानकारी नहीं है। परिवादी द्वारा बीज कितनी तारीख को बोया गया, कहां बोया गया, कितनी तारीख को बोने के बाद देखा गया, फसल में फलियां न आने का कथन भी सही नहीं है। परिवादी द्वारा झूठा कथन किया गया कि बीज की खराबी के कारण उर्द की पौध में
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फूल एवं फलियां नहीं लगी हैं। परिवादी को कोई भी जांच टीम गठित करने का आश्वासन नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा बीज बुआई के बाद फलियां न आने की सूचना नहीं दी गयी तथा न ही विभाग में फसल का मौका मुआयना हेतु कोई पत्र दिया गया तथा यह कि परिवादी द्वारा उ०प्र० बीज विकास निगम को पक्षकार नहीं बनाया गया।
परिवादी को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराया गया। फसल में कौन सा रोग लग गया था यह स्पष्ट नहीं है। फसल शुरू से ही पीली पड़ रही थी, कौन सी दवा छिडकी गयी, यह भी नहीं लिखा गया, न ही दवा का बिल लगाया गया। फसल पीली पडने का रोग सफेद मक्खी के कारण फैलता है, जिसमें डार्इमिथाइल इसेक्टीसाइड दवा छिडकने से इस रोग से बचा जा सकता है। परिवादी को कोई वाद का कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। कलैक्टर को पक्षकार नहीं बनाया गया। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में निम्न तथ्य उल्लिखित किए गए:-
''परिवादी ने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मांगी सूचनायें काफी महत्वपूर्ण है, जिनमें यह अंकित है, कि जिलाधिकारी महोदय, झांसी द्वारा 6 सदस्यीय टीम गठित कर विभिन्न क्षेत्रों में जांच करायी गयी। जांच से संबंधित आख्या जिलाधिकारी महोदय की ओर से शासन को भेजी गयी है। वह आख्या पत्रावली पर दाखिल नहीं की गयी है। 6 सदस्यीय टीम ने जांच की है, जबकि विपक्षीगण ने अपने जबाबदावा के पैरा नं0-11 में यह अंकित किया है, कि परिवादी को कोई भी जांच टीम गठित करने का आश्वासन नहीं दिया, यह तथ्य जबाबदावा में गलत अंकित किया है। जनसूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दी गयी सूचनाओं के क्रम सं0-5 में यह अंकित है, कि ग्राम रूदबलौरा
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दुर्गापुर निवासी कृषक जगदीश राजपूत द्वारा उर्द बीज में मौजाइक रोग लग जाने के कारण फसल में फूल एवं फलियां नहीं आयी है। यह जबाब डा०बी.आर. मौर्य जिला कृषक अधिकारी झांसी ने दिनांक 16.11.16 को दिया है। उनके द्वारा दिये गये जबाब से यह ज्ञात हो रहा है, कि परिवादी के कथनों में सत्यता है। उर्द का बीज खराब था, फूल एवं फलियां नहीं आयी है। यदि उर्द की फसल में मौजाइक रोग लगा था, तो परिवादी ने जैसे ही विपक्षीगण को सूचना दी है, दवा का छिडकाव करके उस रोग की रोकथाम करनी चाहिये थी। विपक्षीगण ने अपने कर्त्तव्य के प्रति उदासीनता बरती है, तथा सेवाओं में कमी की है। विपक्षीगण के जबाबदावा में लिखे हुये तथ्यों में कितनी सत्यता है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है, कि वादपत्र के सभी तथ्यों को स्वीकार नहीं किया है। जबकि वादपत्र के पैरा 1,2,3,4 के तथ्य स्वतः प्रमाणित है।
जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत दी गयी सूचना कागज सं0-6/9 के क्रम सं0-4 पर यह अंकित किया गया है, कि जिलाधिकारी महोदय, झांसी द्वारा उर्द बीज के क्षति के संबंध में वैज्ञानिक एवं विभागीय अधिकारियों की टीम गठित करके जांच कराकर उचित कार्यवाही हेतु शासन को लिखा गया है। इन तथ्यों से भी परिवादी के कथन में सत्यता परिलक्षित हो रही है, लेकिन शासन को क्या लिखा गया है, वह पत्र भी पत्रावली पर दाखिल नहीं किया गया है।
उपरोक्त विवेचन से यह साबित हो रहा है, कि परिवादी ने विपक्षी सं02 के यहां से उर्द का बीज क्रय किया हैं बीज खराब क्वालिटी का था। परिवादी ने वह उर्द का बीज अपने खेत में बोया है, उर्द की फसल में फूल एवं फलियां नहीं लगी है, क्योंकि बीज खराब था, दवा का छिडकाव भी किया है। परिवादी को कोई पैदावार नहीं हुयी है। ऐसी दशा में परिवादी को आर्थिक क्षति हुयी है। इसी आधार पर उसने 60,000रू0 की क्षतिपूर्ति कराये जाने का अनुरोध
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किया है, लेकिन परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया है, कि वह किस आधार पर 60,000रु० मांग रहा है। 32 किलो उर्द का बीज बोने पर सामान्य रूप से कितनी पैदावार होती। उस समय उर्द का भाव क्या था। कुल कितने रूपये की उर्द की फसल होती। परिवादी द्वारा किस आधार पर 60,000रु० की मांग की जा रही है, लेकिन इतना अवश्य है, कि परिवादी का नुकसान हुआ है। उसकी क्षतिपूर्ति होनी चाहिये। यह विवाद वर्ष 2016 का है, 6 साल व्यतीत हो गये है तब से अबतक काफी मंहगाई आ गयी है। परिस्थितियों का आंकलन करते हुये परिवादी को उर्द की फसल खराब होने के एवज में 50,000रू0 क्षतिपूर्ति दिलाना उचित प्रतीत होता है।''
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्त रूप से एवं पृथक-पृथक रूप से अंशतः इस प्रकार से स्वीकार किया जाता है, कि निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर विपक्षीगण परिवादी को 50,000रू0 वाद दायर करने की तिथि 05.07.2017 से अदायगी तक 6प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से अदा करें। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक कष्ट के तहत तीन हजार रूपये एवं वादव्यय के मद में दो हजार रुपये भी अदा करेगें।''
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वय को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता
आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार समस्त तथ्यों को विस्तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से
हस्तक्षेप हेतु पर्याप्त आधार नहीं हैं। अपीलार्थी के अधिवक्ता द्वारा
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भी अपील सुनवाई के समय किसी प्रकार का अन्य साक्ष्य व विवरण भी उल्लिखित नहीं किया गया।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1