राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-224/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 255/2009 में पारित आदेश दिनांक 14.01.2015 के विरूद्ध)
M/s Oxigen Infotech Pvt. Ltd. ...................अपीलार्थी
बनाम
1. Shri Jagdamba Parshad Pandey
Son of late Shri Badri Parshad Pandey
Resident of Village Durjanpur
Post Office : Palampur
Police Station : Kumarganj
District Faizabad.
2. Bajaj Allianze General Insurance Co. Ltd.
GE Plaza
Airport Road, Yerwada,
PUNE.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं03
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 07-03-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-255/2009 जगदम्बा प्रसाद पाण्डेय बनाम आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 व अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 14.01.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी मै0 आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्ता
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संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद आंशिक रूप से अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्या-1 और 2 के विरूद्ध स्वीकार किया है और आदेशित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षीगण संख्या-1 और 2 से मृतक पंकज कुमार पाण्डेय की ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी सं0-0जी-07-11059902-000024 की धनराशि मु0 3,00,000/-रू0 प्राप्त करने का अधिकारी है तथा परिवाद योजित करने की तिथि से वसूली तक 12 प्रतिशत सालाना ब्याज तथा 5000/-रू0 वाद व्यय पाने का अधिकारी है। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह भी आदेशित किया है कि विपक्षीगण संख्या-1 और 2 उपरोक्त धनराशि निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करें। अत: जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षीगण संख्या-1 और 2 की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक कुमार और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार तिवारी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला फोरम, फैजाबाद के समक्ष प्रस्तुत परिवाद जिला फोरम की स्थानीय अधिकारिता से परे है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। अत: इस आधार पर भी जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है। अत: अपास्त किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद जिला फोरम में प्रस्तुत करने हेतु वाद हेतुक जिला, फैजाबाद में उत्पन्न हुआ है क्योंकि विपक्षीगण को नोटिस यहीं से भेजी गयी है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील बल रहित है और निरस्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसका पुत्र पंकज कुमार पाण्डेय विपक्षी संख्या-2 आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 रंजीत सदन द्वितीय तल नई दिल्ली के यहॉं कार्यरत था। कम्पनी की ओर से उसका एवं अन्य कर्मचारियों का ग्रुप इंश्योरेंस प्रत्यर्थी संख्या-2 जो परिवाद में विपक्षी संख्या-3 है से पालिसी नम्बर-0जी-07-11059902-000024 (ग्रुप पर्सनल एक्सीडेंट पालिसी) पर कराया गया था। प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र की मृत्यु दिनांक 03.12.2003 को हो गयी। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्या-3 बजाज एलाइन्ज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 जी0ई0 प्लाजा, रायर पोर्ट रोड परवदा पुणे के यहॉं क्लेम प्रस्तुत किया, परन्तु कोई भुगतान नहीं किया गया। उसके बाद दिनांक 24.01.2009 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक पत्र विपक्षी संख्या-2 को भेजा। तत्पश्चात् विपक्षीगण संख्या-1 और 2 अर्थात् आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 नई दिल्ली और आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 रंजीत सदन नई दिल्ली को भेजा। तब उक्त विपक्षी संख्या-1 के
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अभिकर्ता एवं कर्मचारियों द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को सूचित किया गया कि क्लेम का भुगतान उपरोक्त विपक्षी संख्या-2 को कर दिया गया है और यह बात विपक्षी संख्या-1 ने प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की नोटिस के जवाब में स्वीकार भी किया और यह कथन किया कि मृतक के वारिसान यह धनराशि पाने के अधिकारी नहीं हैं क्योंकि मृतक के काम सीखने में जो समय लगा है, उसके लिए विपक्षी संख्या-1 ही यह धनराशि पाने का अधिकारी है। उसके बाद भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमित धनराशि पाने हेतु प्रयास किया, परन्तु उसे कोई भुगतान नहीं किया गया। अत: विवश होकर उसने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण संख्या-1 और 2 की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रारम्भिक आपत्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया और यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता नहीं है और परिवाद जिला फोरम, फैजाबाद के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। तदोपरान्त जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा अपील की सुनवाई के समय किए गए तर्क के आधार पर सर्वप्रथम विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या वर्तमान परिवाद जिला फोरम, फैजाबाद की स्थानीय अधिकारिता में नहीं है और जिला फोरम द्वारा परिवाद ग्रहण कर आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया जाना अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।
परिवाद में विपक्षी संख्या-1 आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 डी-136 आनन्द निकेतन नई दिल्ली द्वारा एम0डी0, विपक्षी संख्या-2 आक्सीजन इन्फोटेक प्रा0लि0 रंजीत सदन द्वितीय तल कमरा नं0 311, के0-128 मोहम्मदपुर, बीकानाजी पैलेस नई दिल्ली द्वारा प्रबन्धक और विपक्षी संख्या-3 बजाज एलाइन्ज जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 जी0ई0 प्लाजा, रायर पोर्ट रोड परवदा पुणे द्वारा प्रबन्धक
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है। इस प्रकार तीनों विपक्षीगण का जो पता परिवाद में दिया गया है, उससे यह स्पष्ट है कि तीनों विपक्षीगण जनपद फैजाबाद अथवा उत्तर प्रदेश राज्य के न तो निवासी हैं और न उनका कार्यालय जनपद फैजाबाद अथवा उत्तर प्रदेश राज्य में है। परिवाद पत्र की धारा-1 में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का पुत्र पंकज कुमार पाण्डेय विपक्षी संख्या-2 के यहॉं कार्यरत था और विपक्षी संख्या-2 ने ही उसका ग्रुप इंश्योरेंस अन्य कर्मचारियों के साथ कराया था। अत: यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का पुत्र विपक्षी संख्या-2 के यहॉं उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर कार्यरत् था और उसकी ग्रुप इंश्योरेंस पालिसी विपक्षी संख्या-2 द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर ली गयी है। परिवाद पत्र में यह अंकित नहीं किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र की मृत्यु कहॉं हुई है, परन्तु हमारे समक्ष अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र की मृत्यु जनपद सुलतानपुर में हुई है और इस बात का खण्डन प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने नहीं किया है।
धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में जिला फोरम की अधिकारिता के सन्दर्भ में प्राविधान है, जो निम्न है:-
''11(2) परिवाद ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर-
- विरोधी पक्षकार, या जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहॉं विरोधी पक्षकारों में से हर एक परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वास्तव में और स्वेच्छा से निवास करता है या [कारबार करता है या उसका शाखा कार्यालय है], या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है; अथवा
- जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हैं वहॉं विरोधी पक्षकारों में से कोई भी विरोधी पक्षकार परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वास्तव में और स्वेच्छा से निवास करता है या [कारबार करता है या उसका शाखा कार्यालय है], या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है, परंतु यह तब जबकि ऐसी अवस्था में या
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तो जिला पीठ की इजाज़त दे दी गई है या जो विरोधी पक्षकार
पूर्वोक्त रूप में निवास नहीं करते या [कारबार नहीं करते या
उसका शाखा कार्यालय नहीं है] या अभिलाभ के लिए स्वयं काम
नहीं करते, वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपमत हो गए
हैं; अथवा
- वाद हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।''
जिला फोरम ने स्थानीय अधिकारिता के सम्बन्ध में धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के उपरोक्त प्राविधान पर विचार करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि परिवादी जनपद फैजाबाद का निवासी है, इसलिए उपभोक्ता विवाद प्रतितोष अभिकरण की धारा-11 के परिधि में परिवादी आता है। परिवादी को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद में परिवाद योजित करने का पूर्ण अधिकार है। इस प्रकार विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क खारिज किया जाता है कि उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का भी कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी जिला फैजाबाद का निवासी है और उसने नोटिस विपक्षीगण संख्या-1 और 2 को फैजाबाद से भेजी है। अत: वाद हेतुक अंशत: फैजाबाद में उत्पन्न हुआ है और जिला फोरम, फैजाबाद के समक्ष परिवाद ग्राह्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Morgina Begum Versus Managing Director, Hanuma Plantation Ltd. 2008 (1) T.A.C. 439 (S.C.) के वाद में दिए गए निर्णय को सन्दर्भित किया है, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्क्समैन कम्पनसेशन एक्ट के तहत दावा ग्रहण करने का क्षेत्राधिकार उस क्षेत्र के श्रम आयुक्त को माना है, जिसकी अधिकारिता के अन्तर्गत मृतक के आश्रित निवास करते हैं, परन्तु यह निर्णय वर्क्समैन कम्पनसेशन एक्ट के प्राविधान के अनुसार है। इस स्तर पर धारा-21 वर्क्समैन कम्पनसेशन
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एक्ट को उद्धरित किया जाना उचित है, जो निम्न है:-
“21 Venue of proceedings and transfer-(1) Where any matter under this Act is to be done by or before a Commissioner, the same shall, subject to the provisions of this Act and to any rules made hereunder, be done by or before the Commissioner for the area in which-
- the accident took place which resulted in the injury : or
- the workman or in case of his death, the dependent claiming the compensation ordinarily resides; or
- the employer has his registered office.”
धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के उपरोक्त प्राविधान और धारा-21 वर्क्समैन कम्पनसेशन एक्ट के उपरोक्त प्राविधान का तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान, धारा-21 वर्क्समैन कम्पनसेशन एक्ट के प्राविधान से भिन्न हैं और धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उसी जिला फोरम को परिवाद ग्रहण करने का अधिकार है, जिसकी अधिकारिता में विपक्षीगण रहते हों या जिसकी अधिकारिता में वाद हेतुक पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से उत्पन्न हुआ है। इसके विपरीत धारा-21 वर्क्समैन कम्पनसेशन एक्ट में यह प्राविधान है कि उस अधिकारी या न्याधिकरण द्वारा संज्ञान लिया जाएगा, जिसकी अधिकारिता में मृतक या उसके आश्रित सामान्यतया निवास करते हैं। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सन्दर्भित माननीय सर्वोच्च न्यायालय का उपरोक्त निर्णय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 से सम्बन्धित वाद पर लागू नहीं होता है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0
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(2010) 1 सुप्रीम कोर्ट केसेज पृष्ठ 135 के वाद में दिए गए निर्णय को उद्धरित किया गया है। इस वाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-17 (2) के प्राविधान पर विचार करते हुए निम्न मत व्यक्त किया है:-
“ In our opinion, the expression “branch office” in the amended Section 17 (2) would mean the branch office where the cause of action has arisen. No doubt this would be departing from the plain and literal words of Section 17(2)(b) of the Act but such departure is sometimes necessary (as it is in this case) to avoid absurdity. (Vide G.P. Singh’s Principles of Statutory Interpretation, 9th Edn., 2004, p. 79.)
In the present case, since the cause of action arose at Ambala, the State Consumer Disputes Redressal Commission, Haryana alone will have jurisdiction to entertain the complaint.”
धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान, धारा-17 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के समान है। धारा-11 जिला फोरम की अधिकारिता के सम्बन्ध में है, जबकि धारा-17 राज्य आयोग की अधिकारिता के सम्बन्ध में है।
धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान एवं उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने परिवाद की अधिकारिता ग्रहण करने हेतु जो यह आधार उल्लिखित किया है कि परिवादी जनपद फैजाबाद का निवासी है, वह धारा-11 (2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के विरूद्ध है। जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में यह उल्लेख नहीं किया है और न ही ऐसा कोई निष्कर्ष निकाला है कि परिवाद हेतु वाद हेतुक अंशत: जिला फोरम, फैजाबाद की अधिकारिता में उत्पन्न हुआ है।
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परिवाद पत्र की धारा-4 में प्रत्यर्थी/परिवादी ने उल्लेख किया है कि विपक्षी संख्या-1 ने अपने जवाब नोटिस में रकम का पाना इस ढंग से स्वीकार किया है कि यह रकम मृतक के वारिसान को पाने का इसलिए अधिकार नहीं है क्योंकि कार्यरत की अवधि में कम्पनी ने मृतक के काम सीखने में जो समय लगाया है उस आधार पर विपक्षी संख्या-1 ही बीमित पैसा पाने का अधिकारी है। जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद पत्र की धारा-4 में उल्लिखित विपक्षी संख्या-1 के पत्र का उल्लेख जिला फोरम की अधिकारिता का बिन्दु निर्णीत करते समय नहीं किया है और इस पत्र के आधार पर वाद हेतुक अंशत: जिला फोरम में उत्पन्न हुआ या नहीं, इस बिन्दु पर कोई निर्णय नहीं दिया है।
परिवाद पत्र की धारा-4 में उल्लिखित विपक्षी संख्या-1 का पत्र दिनांक 07.04.2009, जो प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के नोटिस के जवाब में भेजा जाना अभिकथित है, प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को प्राप्त हुआ और यदि प्राप्त हुआ तो कब और कहॉं, यह बिन्दु साक्ष्य का विषय है। यह पत्र प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को प्राप्त हुआ और कहॉं प्राप्त हुआ, वाद हेतुक के लिए यह तथ्य महत्वपूर्ण है, परन्तु जिला फोरम ने इस बिन्दु पर कोई विवेचना नहीं की है और न ही कोई निष्कर्ष निकाला है।
अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थ्िातियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर यह प्रकरण जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना आवश्यक है कि वह उभय पक्ष को सुनकर जिला फोरम की स्थानीय अधिकारिता के सन्दर्भ में आदेश पारित करे और यदि वह परिवाद जिला फोरम की स्थानीय अधिकारिता के अन्तर्गत पाते हैं तो विधि के अनुसार गुणदोष के आधार पर अन्तिम निर्णय पारित करें।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और
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आदेश अपास्त करते हुए यह प्रकरण जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाता है कि वह पहले जिला फोरम की स्थानीय अधिकारिता के बिन्दु पर उभय पक्ष को सुनकर गुणदोष के आधार पर निर्णय पारित करें। तदोपरान्त स्थानीय अधिकारिता पाए जाने पर अन्तिम निर्णय उभय पक्ष को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर गुणदोष के आधार पर पारित करें।
इस अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 10.04.2017 को उपस्थित हों।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1