Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1509

Union Of India Railways - Complainant(s)

Versus

Jagdamaba Prasad - Opp.Party(s)

M. H. Khan

19 Dec 2007

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1509
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India Railways
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Jagdamaba Prasad
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  1509 सन  2006   सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, बलिया के  परिवाद  संख्‍या-75/2005 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-05-2006 के विरूद्ध)

1-यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, एन.ई. रेलवे, गोरखपुर।

2-जगदम्‍बा प्रसाद, स्‍टेशन मास्‍टर, रेवती रेलवे स्‍टेशन, बलिया।

                                            ....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                             बनाम

दिनेश ओझा पुत्र स्‍व0 राम नगीना ओझा निवासी- रेवती, पी.एस. रेवती, जिला-बलिया।

                                             ...प्रत्‍यर्थी/परिवादी                                                                                                                                         

समक्ष:-

   1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य।

   2-मा0  श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।                            

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी   : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी     : श्री पी0एन0 भार्गव, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:.01-01-2015

मा0 श्री  अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य, द्वारा उदघोषित।

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, बलिया द्वारा परिवाद  संख्‍या-75/2005 श्री दिनेश ओझा बनाम जगदम्‍बा प्रसाद व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-05-2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें यह आदेश किया गया है कि परिवादी का परिवाद आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षी की सेवा में त्रुटि तथा परिवादी के अधिकारों की उपेक्षा के कारण विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश से 60 दिन में सेवात्रुटि के लिए रूपया 10,000-00 वाद व्‍यय 1000-00 प्रदान करें, जिसे वह दोषी कर्मचारी व्‍यक्ति से वसूल सकता है। 

 

(2)

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा दिनांक 15-12-2004 को रेवती से लखनऊ जाने के लिए वरिष्‍ठ नागरिक का टिकट मांगा जो विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया, जो विपक्षी की सेवा में त्रुटि है, जबकि परिवादी द्वारा वरिष्‍ठ नागरिक होने का प्रमाण पत्र भी दिखाया गया। परिवादी द्वारा शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक कष्‍ट के लिए 1,00,000-00 रूपये तथा मुकदमा खर्च के लिए 1000-00 रूपये दिलाये जाने की याचना की गई है।

विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया है कि परिवादी बुकिंग स्‍टेशन पर आया नहीं और न ही टिकट की मांग की। परिवादी ने जो भी कथन किया है, वह गलत आधार पर किया है, जो किसी भी सूरत में चलने योग्‍य नही है।

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम.एच. खान तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी.एन. भार्गव उपस्थित आये, उनको तर्को को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍त का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और वह कभी टिकट लेने नहीं आया। अत: अपीलार्थीगण द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी तर्क किया गया कि विद्वान जिला मंच अत्‍याधिक धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में लगाया है, जिसका कि कोई औचित्‍य नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि स्‍टेशन मास्‍टर श्री जगदम्‍बा प्रसाद ने रेवती रेलवे स्‍टेशन, बलिया में यात्रा के लिए प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जो कि दिनांक 15-12-2004 को जारी किया गया था। अत: ऐसी स्थिति में परिवादी/प्रत्‍यर्थी उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है और विद्वान जिला मंच ने विधि अनुसार निर्णय पारित किया है।

प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया गया एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।

(3)

विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी जगदम्‍बा प्रसाद, स्‍टेशन मास्‍टर ने दिनांक 15-12-2004 को प्रमाण पत्र दिया था, जिसे कि श्री दिनेश ओझा ने स्‍थगन आदेश को निरस्‍त किये जाने के प्रार्थना पत्र के साथ दाखिल किया है, जिसके अवलोकन से विदित होता है कि स्‍टेशन मास्‍टर, जगदम्‍बा प्रसाद से यात्री सीनियर सिटीजन का टिकट मांग रहे थे। दूरी तय न होने के कारण उपरोक्‍त टिकट बनाने में परेशानी थी, जिस पर स्‍टेशन मास्‍टर ने यह लिखकर दिया है कि कृपया लखनऊ का 104-00 रूपये एम/ई.एफ.टी. का टिकट ई.एफ.टी पर बनाना है। इससे सिद्ध होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी जो कि एक वरिष्‍ठ नागरिक है, उसने टिकट बनाने के लिए अनुरोध किया और उसी के अनुरोध पर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 जगदम्‍बा प्रसाद, स्‍टेशन मास्‍टर ने उपरोक्‍त प्रमाण पत्र दिनांक 15-12-2004 जारी किया। अत: इससे सिद्ध है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा सेवा में कमी की गई है, किन्‍तु सेवाओं में त्रुटि के लिए 10,000-00 रूपये तथा वाद व्‍यय के रूप में 1,000-00 रूपये दिलाया जाना औचित्‍यपूर्ण नहीं है और हम यह समीचीन पाते है कि वर्णित परिस्थितियों में अपीलार्थीगण परिवादी/प्रत्‍यर्थी को उपरोक्‍त निर्णय के दो माह के अन्‍दर सेवा में त्रुटि के लिए 10,000-00 के स्‍थान पर 5,000-00 रूपये (पॉच हजार रूपये ) एवं वाद व्‍यय के मद में 1,000-00 के स्‍थान पर 500-00 (पॉच सौ रूपये) रूपये अदा करें। तद्नुसार यह अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपीलार्थीगण की अपील आंशिक रूप से की जाती है तथा विद्वान जिला बलिया द्वारा परिवाद  संख्‍या-75/2005 श्री दिनेश ओझा बनाम जगदम्‍बा प्रसाद व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-05-2006 को संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण परिवादी/प्रत्‍यर्थी को अपील के निर्णय की तिथि के दो माह के अन्‍दर सेवा में त्रुटि के लिए 10,000-00 के स्‍थान पर 5,000-00 रूपये (पॉच हजार रूपये ) एवं वाद व्‍यय के मद में 1,000-00 के स्‍थान पर 500-00 (पॉच सौ रूपये) रूपये अदा करें, अन्‍यथा उपरोक्‍त

(4)

धनराशि पर भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी देय होगा।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाय।

 

     ( अशोक कुमार चौधरी                    ( बाल कुमारी )                       

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2

कोर्ट नं0-3

 

  

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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