Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/868

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Jagat Pal Singh - Opp.Party(s)

Isar Husain

14 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/868
( Date of Filing : 22 Apr 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Jagat Pal Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Dec 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-868/2013

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0-71/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-08-2011 के विरूद्ध)

 

1. एक्‍जक्‍यूटिव इंजीनियर, ईडीडी द्वितीय, यू0पी0 मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, सिविल लाइन्‍स, उन्‍नाव।

2. एक्‍जक्‍यूटिव इंजीनियर (आर), मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, उन्‍नाव।

3. यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0, 14, अशोक मार्ग, शक्ति भवन, लखनऊ द्वारा चेयरमेन।

4. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, 4 ए, गोखले मार्ग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।     

बनाम

 

जगत पाल सिंह पुत्र राम गुलाम, निवासी झाऊ खेड़ा मजरा रूपऊ परगना व तहसील व जिला उन्‍नाव।

                            ............ प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।  

 

दिनांक : 20-12-2023.

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0-71/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-08-2011 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना है और बिना मस्तिष्‍क का प्रयोग किए पारित किया गया है। प्रत्‍यर्थी ने परिवाद यह कहते हुए प्रस्‍तुत किया कि उसने अनुमानित मूल्‍य 600/- रू0 दिनांक 19-07-1998 को 08 वर्ष के पश्‍चात् जमा किया। उसे एक बिल 11,665/- रू0 का प्राप्‍त हुआ और उसने बढ़ा-चढ़ाकर परिवाद प्रस्‍तुत किया है, जिसमें उसने इस बिल को रद्द करने की मांग की है। अपीलार्थी इस मामले में अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं कर सके। परिवादी ने यह परिवाद बकाया धनराशि को जमा करने से बचने के लिए प्रस्‍तुत किया। परिवादी 08 साल तक शांत रहा और फिर उसने परिवाद प्रस्‍तुत किया। परिवादी इस बिल को अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है और बिल अदा न करना पड़े, इसलिए उसने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया था। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए अपील स्‍वीकार की जाए।

विद्वान जिला आयोग ने इस परिवाद में निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

''परिवाद एतद्द्वारा स्‍वीकार किया जाता है तथा बिल संख्‍या-0278991 दिनांक 27-01-2006 निरस्‍त किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-3 परिवादी को 50,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करेगा।

विपक्षी संख्‍या-3 परिवादी को परिवाद व्‍यय के रूप में 2,000/- रूपये की राशि अदा करेगा। इस निर्णय की एक प्रति, परिवाद पत्र की प्रति, रिपोर्ट कमिश्‍नर की प्रति और परिवादी द्वारा दाखिल कागजात की प्रति के साथ मुख्‍य प्रबन्‍ध निदेशक, उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 लखनऊ को भेजी जाये।''   

हमारे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा की बहस विस्‍तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया।

परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि उसने 01 किलोवाट का भार स्‍वीकार करने के लिए विद्युत कनेक्‍शन हेतु आवेदन किया, जहॉं पर 600/- रू0 का स्‍टीमेट विपक्षीगण द्वारा दिया गया, जो परिवादी द्वारा दिनांक     19-97-1998 को जमा कर दिया गया, परन्‍तु इसके बाद भी न तो बिजली के खम्‍भे लगाए गए, न ही बिजली का कनेक्‍शन दिया गया और न ही मीटर लगाया गया। परिवादी ने कई बार शिकायत की और भाग-दौड़ की तो परिवादी को फर्जी बिल दिनांक 27-01-2006 को 11,665/- रू0 का भेज दिया गया, तब परिवादी ने प्रश्‍नगत परिवाद योजित किया।

इस मामले में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस करते हुए कहा कि उन्‍होंने परिवादी द्वारा 600/- रू0 जमा करने के पश्‍चात् विद्युत कनेक्‍शन दे दिया, किन्‍तु पत्रावली पर ऐसा कोई अभिलेख नहीं है, जो यह दिखाता हो कि परिवादी को कब विद्युत कनेक्‍शन दिया गया। यदि विद्युत कनेक्‍शन दिया जाता है तब उसके लिए खम्‍बे गाढ़े जाते हैं, विद्युत तार लगाये जाते हैं तथा मीटर लगाया जाता है और पहला बिल दिया जाता है, जिसमें विद्युत कनेक्‍शन का दिनांक लिखा होता है, किन्‍तु ऐसा कोई अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

इस मामले में मौके पर एक कमिश्‍नर भी भेजा गया था, जिसने अपनी आख्‍या में लिखा है कि मौके पर न तो कोई वायरिंग पायी गयी और न ही कोई विद्युत कनेक्‍शन दिया गया और न ही बिजली के खम्‍बे गाड़े  गये। ग्राम झाऊ खेड़ा से लगभग 500 मीटर दूर एक खेत में जमीन पर एक ट्रान्‍सफार्मर रखा हुआ पाया गया, जिसके लिए कोई चबूतरा नहीं है। यह ट्रान्‍सफार्मर ग्राम शहजादपुर में लगा था। एक नई लाइन जो खम्‍बे द्वारा गयी है, वह केबिल द्वारा गयी है, उससे गॉव झाऊ खेड़ा में कोई बिजली कनेक्‍शन नहीं दिया गया है और न ही कोई कनेक्‍शन के केबिल से ग्राम झाऊ खेड़ा में लगा पाया गया और वादी व उसके अगल-बगल के मकान में कोई कनेक्‍शन नहीं है। इससे स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने 600/- रू0 जमा कर दिए, परन्‍तु उसे कोई विद्युत कनेक्‍शन नहीं दिया गया।

अत: ऐसी स्थिति में उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍य एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है और इसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0-71/2006 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-08-2011 की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

वर्तमान अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार शीघ्र ही सम्‍बन्धित जिला आयोग को प्रेषित किया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा उक्‍त धनराशि का विधि अनुसार प्रश्‍नगत निर्णय के अनुपालन के सन्‍दर्भ में निस्‍तारण किया जा सके।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

             सदस्‍य                           सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                   (राजेन्‍द्र सिंह)

            सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

दिनांक : 20-12-2023.

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.     

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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