Dugar Singh filed a consumer case on 03 Mar 2015 against J.V.V.N.L in the Jalor Consumer Court. The case no is 12/2013 and the judgment uploaded on 20 Mar 2015.
न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर
पीठासीन अधिकारी
अध्यक्ष:- श्री दीनदयाल प्रजापत,
सदस्यः- श्री केशरसिंह राठौड
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1. डूगंरसिंह पुत्र बिशनसिंहजी, उम्र- 60 वर्ष, जाति राजपूत, निवासी- रटूजा, तहसील- सायला, जिला- जालोर,
.......प्रार्थी।
बनाम
1. सहायक अभियन्ता, ( ओ0 एण्ड एम0 )
जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि0, उम्मेदाबाद,
उम्मेदाबाद, तहसील सायला, जिला जालोर।
...अप्रार्थी।
सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 12/2013
परिवाद पेश करने की दिनांक:-15-01-2013
अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ।
उपस्थित:-
1. श्री मुमताज अली, अधिवक्ता प्रार्थी।
2. श्री दिलीप शर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थी।
ःः निर्णय:ः दिनांक: 03-03-2015
1. संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी के नाम एक कृषि विद्युत कनैक्शन सिचांई हेतु अप्रार्थी से लिया हुआ हैं, तथा उक्त कृषि विद्युत कनैक्शन दिनांक 23-06-2010 को विच्छेद कर दिया था, जो दिनांक 29-11-2012 तक कुल 30 माह तक बन्द
पडा रहा, तथा प्रार्थी ने दिनांक 29-11-2012 को विद्युत कनैक्शन पुनः सुचारू करने के लिए अप्रार्थी को प्रार्थनापत्र पेश किया, जिसके लिए 600/-रूपयै भरने हेतु कहा गया, जो प्रार्थी ने उसी दिन रिसिप्ट नम्बर- 50, बुक नम्बर- 4907 के जरिये अदा किये। तथा अप्रार्थी ने दिनांक 29-11-2012 को ही प्रार्थी को पिछला विद्युत बिल बकाया बताते हूए जून 2010 से अक्टूबर 2012 का बिल 1,04,980/-रूपयै का दिया। तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी को कहा कि आज ही विद्युत कनैक्शन शुरू करना हो, तो 10,000/-रूपयै आज ही भरने पडेगें। तथा प्रार्थी की फसल बडी हो चुकी थी। तथा सिचांई की सख्त आवश्यकता होने सेे 10,000/-रूपयै जमा करवा दिये। जो प्रार्थी से जबरदस्ती 10,000/-रूपयै गलत जमा करवाये हैं। तथा परिवादी को अप्रार्थी द्वारा की गई गलत कार्यवाही से ठेस लगी हैं, तथा मानसिक परेशानी हुई हैं। प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य से असंतुष्ट होकर यह परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व गलत बिल रूपयै 1,04,980/- को तत्काल प्रभाव से रदद् करने तथा मानसिक क्षति के रूपयै 10,000/- तथा प्रार्थी से जबरदस्ती गलत रूप से ली गई राशि रूपयै 10,000/- तथा परिवाद व्यय के रूपयै 2,000/-, दिलाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।
2. प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थी को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री दिलीप शर्मा ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थी ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी के प्रकरण विवाद बाबत् विभागीय सही तथ्य इसप्रकार हैं कि ग्राम रटूजा में प्रार्थी के नाम का एक कृषि श्रेणी का विद्युत सम्बन्ध आया हुआ हैं, जिसके वर्तमान खाता संख्या-0302-0069 हैं। उक्त खाते की विद्युत निगम के अधिकारीयों द्वारा जाॅंच करते हूए राशि विद्युत निगम के प्रावधानो के अनुसार अधिरोपित की हैं। उपभोक्ता के नाम जो बिल जारी किये गये हैं, जिसका पूर्ण विवरण प्रार्थी को दिया हैं। विद्युत कनैक्शन सुचारू अवधि का बिल ही दिया हैं, जिसे अदा करने का दायित्व खाता धारक का हैं। तथा उक्त विद्युत बिल खाता के रिकार्डस् की जाॅंच अनुसार, जाॅंच के प्रावधानो के तहत विद्युत राशि प्रार्थी पर अधिरोपित की हैं, जो सही हैं। तथा पूर्व में भी प्रार्थी ने इन्हीं तथ्यों का आधार बनाकर एक परिवाद पेश किया था। जो माननीय मंच द्वारा दिनांक 14-06-2010 को निर्णित किया था, जिससे यह परिवाद विधि सम्मत नहीं हैं। तथा प्रार्थी का परिवाद प्रथम दृष्टया ही विधि की मंशा के प्रतिकूल हैं। तथा विद्युत निगम ने उपभोक्ता के साथ विद्युत निगम के प्रावधानो के तहत कार्यवाही की हैं तथा उपभोक्ता को सुचारू सेवा दी गई हैं। इसप्रकार
जवाब परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी का परिवाद आधारहीन होने से खारीज करने का निवेदन किया हैं।
3. हमने उभय पक्षो को जवाब एवं साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद, उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिन पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो पत्रावली में प्रस्तुत अप्रार्थी की ओर से जिला मंच जालोर के पूर्व परिवाद क्रमांक-36/3010 में पारित निर्णय दिनांक 14-06-2010 की प्रति, माननीय राज्य आयोग में प्रस्तुत अपील क्रमांक- 170/2010 की आदेशिका दिनंाक 09-07-2010 की प्रति, प्रथम सूचना क्रमांक- 31/2010, पुलिस थाना ।ण्च्ण्ज्ण् जालोर में दर्ज की प्रति एवं सर्तकता जाॅंच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक- 1715 दिनांक 23-03-2010 की प्रति के अध्ययन व अवलोकन से प्रकट होता हैं कि प्रार्थी का नाम दुग्गडसिंह उर्फ डूगंरसिंह पुत्र विशनसिंह हैं, तथा प्रार्थी ने अपने डूगंरसिंह नाम से कृषि विद्युत कनैक्शन जिसके खाता संख्या- 0302-0069 हैं स्थापित करवा रखा था। तथा विद्युत विभाग के सर्तकता दल में दिनांक 23-03-2010 को प्रार्थी के विद्युत सम्बन्ध की जाॅंच की, जिसमें प्रार्थी विद्युत चोरी करते हूए पाया गया हैं, जिसका जाॅंच प्रतिवेदन क्रमांक- 1715 हैं, तथा उक्त जाॅंच प्रतिवेदन के आधार पर अप्रार्थी ने प्रार्थी के विरूद्व विद्युत चोरी की थ्ण्प्ण्त्ण् नम्बर-31 दिनांक 24-03-2010 को पुलिस थाना, ।ण्च्ण्ज्ण् जालोर में धारा 135 विद्युत अधिनियम के तहत दर्ज करवायी गई हैं। तथा जाॅंच प्रतिवेदन पत्र के आधार पर अप्रार्थी विद्युत विभाग ने प्रार्थी पर रूपयै 1,53,350/- का जुर्माना अधिरोपित किया था, तब प्रार्थी ने उक्त जाॅंच प्रतिवेदन पत्र दिनांक 23-03-2010 एवं जुर्माना नोटिस दिनांक 25-03-2010 के विरूद्व जिला मंच, जालोर में परिवाद क्रमांक- 36/2010 अनवान दुग्गडसिंह उर्फ डूगंरसिंह बनाम जो0 वि0 वि0 निगम लि0 प्रस्तुत किया था, जिसमें जिला मंच ने दिनांक 14-06-2010 को निर्णय पारित कर प्रार्थी को जुर्माना नोटिस की राशि 1,53,350/- के स्थान पर रूपयै 1,00,000/- अदा करने का आदेश पारित किया हैं, तथा प्रार्थी ने जिला मंच के आदेश दिनंाक 14-06-2010 से असंन्तुष्ट होकर माननीय ैण्ब्ण्क्ण्त्ण्ब्ण् सर्किट बैंन्च, जोधपुर में अपील क्रमांक- 170/2010 प्र्रस्तुत की गई थी, तथा प्रार्थी ने जिला मंच के आदेश दिनांक 14-06-2010 की पालना में अप्रार्थी को रूपयै 1,00,000/- अदा नहीं किये हैं। यह तथ्य प्रार्थी की स्वंय की जानकारी में हैं, तथा माननीय राज्य आयोग में प्रस्तुत अपील के सम्बन्ध में क्या हुआ, इसका कोई रेकर्ड प्रार्थी ने प्रस्तुत नहीं किया हैं। तथा बहस के दौरान अधिवक्ता ने अपील राज्य आयोग में विचाराधीन होने के कथन किये हैं। तथा जाॅंच प्रतिवेदन दिनांक 23-03-2010 की कार्यवाही का जुर्माना प्रार्थी ने अप्रार्थी को अदा नहीं किया हैं। इस कारण प्रार्थी का विद्युत कनैक्शन दिनांक 24-03-2010 से विच्छेद हैं। इतना विवाद होने के बाद भी सभी तथ्यों को छिपाते हूए प्रार्थी ने दिनांक 29-11-2012 को विद्युत सम्बन्ध पुनः सुचारू करने का लिखित आवेदन अप्रार्थी को किया, जिस पर विद्युत विभाग ने बन्द विद्युत कनैक्शन सुचारू करने हेतु रूपयै 600/- की फीस जमा करने को कहा, जो प्रार्थी ने दिनांक 29-11-2012 को रसीद क्रमांक- 50 के जरिये जमा करवा दी, तब अप्रार्थी ने प्रार्थी के विद्युत खाता के अनुसार विद्युत बिल रूपयै 104980/- का जारी कर दिया, जो जिला मंच के निर्णय दिनंाक 14-06-2010 के अनुसार राशि बकाया थी, जिसके सम्बन्ध में अप्रार्थी ने प्रार्थी को रूपयै 10,000/-तत् काल जमा करवाने हेतु कहा हैं, जो प्रार्थी ने जमा करवाये हैं, तथा अप्रार्थी ने प्रार्थी का विद्युत कनैक्शन सद्भावना पूर्वक पुनः सुचारू किया हैं, जो प्रार्थी ने हस्तगत परिवाद में स्वीकार किया हैं।
4. प्रार्थी को उपरोक्त सभी तथ्यों की जानकारी होते हूए भी अप्रार्थी को परेशान करने हेतु तथा जिला मंच के निर्णय दिनांक 14-06-2010 के अनुसार राशि अदा नहीं करने एवं अप्रार्थी, प्रार्थी का पुनः विद्युत सम्बन्ध विच्छेद नहीं करे, इस आशय से उक्त सभी तथ्यों को छिपाते हूए प्रार्थी ने हस्तगत परिवाद क्रमंाक-12/2013 दिनांक 15-01-2013 को प्रस्तुत किया हैं, जिसमें प्रार्थी ने पूर्व जाॅंच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक-1715 दिनांक 23-03-2010 की कार्यवाही, जिला मंच के निर्णय दिनांक 14-06-2010 व माननीय ैण्ब्ण्क्ण्त्ण्ब्ण् सर्किट बैंन्च, जोधपुर में अपील क्रमांक- 170/2010 की कार्यवाही एवं तथ्यों को छुपाते हूए नया एवं दोहरा परिवाद प्रस्तुत किया हैं, जिसके सम्बन्ध में जिला मंच द्वारा पूर्व परिवाद में निर्णय दिनांक 14-06-2010 को पारित किया जा चुका हैं। इसप्रकार प्रार्थी द्वारा हस्तगत परिवाद पूर्व तथ्यों, विषयो को छुपाते हूए विधिक प्रक्रिया का अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए दोहरा परिवाद प्रस्तुत कर विधि का उल्लघंन किया हैं, तथा प्रार्थी का हस्तगत परिवाद प्रस्तुत करने का आशय स्पष्ट, साफ एवं नेक नीयत से नहीं करना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी का हस्तगत परिवाद बेआधार , निरर्थक व जिला मंच का समय व्यर्थ करने वाला, अप्रार्थी को तंग व परेशान करने वाला एवं विधि से बाधित दोहरा परिवाद की श्रेणी में आने से खारीज/निरस्त किये जाने योग्य हैं।
आदेश
अतः प्रार्थी डूगंरसिंह का परिवाद विरूद्व अप्रार्थी सहायक अभियन्ता, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि0 उम्मेदाबाद, जिला- जालोर के विरूद्व प्रार्थी का परिवाद बेआधार, विधि से बाधित दोहरा परिवाद, अप्रार्थी को तंग एवं परेशान करने वाला तथा जिला मंच का कीमती समय व्यर्थ करने वाला, अनुचित लाभ, अस्पष्ट एंव अनैतिक आशय से प्रस्तुत किया गया होने से खारीज/निरस्त किया जाता हैं, तथा प्रार्थी , अप्रार्थी को पैरवी व्यय राशि एवं आर्थिक नुकसानी के रूपयै 3,000/- अक्षरे तीन हजार रूपयै मात्र अदा करे, तथा प्रार्थी ने व्यर्थ एवं बेआधार तथा दोहरा परिवाद प्रस्तुत कर जिला मंच का समय व्यर्थ किया हैं, जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी जिला मंच जालोर में शास्ति राशि रूपयै 2000/- अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र जमा करावे, तथा उक्त शास्ति राशि रूपयै 2000/- प्रार्थी द्वारा जमा करवाने पर उपभोक्ता कल्याण कोष पेटे जमा हो।
निर्णय व आदेश आज दिनांक 03-03-2015 को विवृत मंच में लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
केशरसिंह राठौड दीनदयाल प्रजापत
सदस्य अध्यक्ष
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