Rajasthan

Churu

555/2011

PAWAN KUMAR - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L.TARANAGAR - Opp.Party(s)

DHANNA RAM SAINI

24 Sep 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 555/2011
 
1. PAWAN KUMAR
WARD NO 12 SBBJ BANK KE PAS SAHAVA TARANAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


प्रार्थी की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थीगण की ओर से श्री विनोद कुमार दनेवा अधिवक्ता उपस्थित। बहस पक्षकारान सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में तर्क दिया कि परिवाद में वर्णित अनुतोष हेतु क व ख जरिये समझौता समिति में निस्तारण हो चूका है। परन्तु परिवाद में वर्णित अनुतोष ग का निस्तारण समझौता समिति में नहीं हुआ। प्रार्थी अधिवक्ता ने अनुतोष ग के सम्बंध में तर्क दिया कि अप्रार्थीगण ने दिनांक 18.03.2011 को विधि विरूद्ध रूप से प्रार्थी की ओर कोई बकाया नहीं होते हुए भी बिना किसी नोटिस के प्रार्थी का विद्युत सम्बंध काट दिया गया और उक्त विद्युत सम्बंध अप्रार्थीगण ने दिनांक 19.03.2011 को शाम 6.30 बजे को करीब 30 घण्टे बाद जोड़ा चूंकि दिनंाक 18.03.2011 को होली का पर्व था। इसलिए प्रार्थी के घर त्यौंहार पर मेहमान आये हुए थे उनके सामने अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का विद्युत कनेक्शन विधि विरूद्ध तरीके से जबरन काट दिया जिस कारण प्रार्थी की प्रतिष्ठता को ठेस पहुंचा व प्रार्थी को अपने मेहमानों के समक्ष बेईज्जत होना पड़ा। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य के कारण प्रार्थी को हुई असुविधा, हैरानी, परेशानी व मानसिक क्षति 3,50,000 रूपये दिलाने की मांग की। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कोंं का विरोध कर तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थी का विद्युत कनेक्शन प्रार्थी की ओर विद्युत उपभोग की राशि 2468 रूपये बकाया होने के आधार पर काटा गया था। प्रार्थी ने उक्त बकाया राशि अप्रार्थीगण विभाग द्वारा नोटिस देने के बावजूद भी जमा नहीं करवायी इसलिए प्रार्थी का विद्युत सम्बंध बकाया राशि हेतु काटा गया था। बकाया राशि राज्य सरकार का लोक राजस्व है। प्रार्थी का यह दायित्व था कि वह समय पर उक्त बकाया राशि जमा करवाता। यदि प्रार्थी ने उक्त बकाया राशि अप्रार्थीगण विभाग में जमा नहंीं करवायी और प्रार्थी का विद्युत सम्बंध काट दिया गया तो उसके लिये स्वंय प्रार्थी उत्तरदायी है। अप्रार्थीगण विभाग को उत्तरदायी ठहराया जाना किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
प्रार्थी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन
में स्वंय के शपथ-पत्र के अतिरिक्त प्रदर्स सी 1 से सी
23 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये। अप्रार्थीगण
की ओर से नोटिस, कनिष्ठ अभियन्ता की रिपोर्ट व डी.सीआ.
े रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप मे ं प्रस्तुत किया है।
पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का
निष्कर्ष निम्न प्रकार से है।
हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया।
वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य
तर्क यह दिया कि अप्रार्थीगण विभाग ने होली के पर्व
दिनांक 18.03.2011 को प्रार्थी का विद्युत कनेक्शन विधि
विरूद्ध बिना सुनवाई, बिना नोटिस के काट दिया।
अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवादोष है। प्रार्थी अधिवक्ता ने
अपनी बहस के दौरान इस मंच का ध्यान प्रदर्स सी 2, सी
5, सी 19, सी 20, सी 21 व सी 23 की ओर दिलाया
जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। प्रदर्स सी 2
प्रार्थी के माह फरवरी 2011 का विपत्र है जिसमें प्रार्थी की
ओर विद्युत उपभोग की राशि 2468.36 रूपये निकाली हुई
है। उक्त राशि प्रार्थी को अप्रार्थी विभाग में दिनांक 28.02.
2011 को जमा करवाना था। प्रदर्स सी 5 जो कि प्रार्थी
द्वारा दिया गया एक प्रार्थना-पत्र है जो दिनांक 03.01.
2011 का े अप्रार्थीगण विभाग का े दिया गया था जिसमे ं
प्रार्थी ने अपने परिसर में स्थापित मीटर जलने व बिल
सही करने हेतु निवेदन किया हुआ है। उक्त दस्तावेजों के
आधार पर प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रार्थी की
ओर किसी प्रकार का कोई बकाया नहीं था। फरवरी 2011
की बकाया विवादित होने के कारण प्रार्थी ने जमा नहीं
करवायी इसके लिए स्वंय अप्रार्थीगण उत्तरदायी है।
अप्रार्थीगण ने उक्त राशि की वसूली हेतु कभी कोई
नोटिस प्रार्थी को नहीं दिया। उक्त आधार पर प्रार्थी
अधिवक्ता ने अनुतोष दिलाने की मांग की। अपनी बहस
के दौरान प्रार्थी अधिवक्ता ने 4 सी.पी.जे. 2008 पेज 151
व 2 सी.पी.जे. 1999 पेज 293 न्यायिक दृष्टान्तों की ओर
ध्यान दिलाया। उक्त न्यायिक दृष्टान्तों मंे माननीय
महाराष्ट्र राज्य आयोग व आन्ध्र प्रदेश राज्य आयोग ने
विद्युत निगम के द्वारा बिना नोटिस विद्युत विच्छेद करने को सेवादोष माना है।
अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थी की ओर 2468 रूपये बकाया थे जिस हेतु प्रार्थी को नोटिस भी दिया गया था। परन्तु प्रार्थी ने बावजूद नोटिस उक्त राशि जमा नहीं करवायी इसलिए प्रार्थी का विद्युत सम्बंध विच्छेद किया गया। बहस के दौरान अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान एक नोटिस की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त नोटिस प्रार्थी को कब दिया गया और किसी प्रकार दिया गया कोई तथ्य अंकित नहीं है और ना ही अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने उक्त नोटिस व जवाब के सम्बंध में किसी अधिकारी का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। इसलिए अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत उक्त नोटिस विश्वसनीय प्रतीत नहीं होता। प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण विभाग के सभी बिलों का नियमित रूप से भुगतान किया है। माह फरवरी 2011 का बिल विवादित होने के कारण प्रार्थी ने जमा नहीं करवाया। उक्त विद्युत विपत्र के अवलोकन के अनुसार अप्रार्थीगण विभाग ने कोई नोटिस या सील अंकित नहीं की। इसके अतिरिक्त उक्त बिल की अन्तिम दिनांक 28.02.2011 थी जिसकी राशि मात्र 2468.33 रूपये थी। उक्त थोड़ी सी राशि हेतु प्रार्थी का होली के त्यौंहार पर विद्युत सम्बंध विच्छेद किया जाना किसी भी रूप से उचित व न्यायोचित नहीं है। अप्रार्थीगण ने ऐसा भी कोई दस्तावेज या शपथ-पत्र पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि उक्त राशि हेतु प्रार्थी को कोई नोटिस देकर सुनवाई का अवसर दिया हो। अप्रार्थीगण स्वंय द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से साबित है कि प्रार्थी का विद्युत सम्बंध दिनांक 18.03.2011 होली के पर्व पर काटा गया व उक्त विद्युत सम्बंध अपने स्तर पर ही बकाया राशि को जमा करवाये बगैर ही वापस जोड़ दिया। प्रार्थी अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का विद्युत सम्बंध होली के त्यौंहार पर विच्छेद किया। जिससे प्रार्थी को मानसिक व आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा व प्रार्थी की प्रतिष्ठता को ठेस पहुंची। इसलिए प्रार्थी अप्रार्थीगण से हर्जाना राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को पृथक-पृथक या संयुक्त रूप से मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 5,000 रूपये व परिवाद व्यय के रूप में 2,000 रूपये कुल 7,000 रूपये अदा करेगें। अप्रार्थीगण उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेगें। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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