Rajasthan

Churu

743/2011

parmeshwari devi - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L.CHURU - Opp.Party(s)

dilip khan

31 Oct 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 743/2011
 
1. parmeshwari devi
vpo BHALARI TARANAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थीया की ओर से श्री दलीप खान अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थीगण की ओर से श्री विनोद दनेवा अधिवक्ता उपस्थित। पक्षकारान की बहस सुनी गई। प्रार्थीया अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि दिनांक 12.06.2011 को अप्रार्थीगण की विजिलेन्श टीम ने प्रार्थीया के घर पर अचानक आकर मीटर उतार कर प्रार्थीया का कनेक्शन काट दिया और प्रार्थीया के खिलाफ धारा 138 का मुकदमा दर्ज करवा कर जांच करवा दी जिसमें प्रार्थीया निर्दोश साबित हुई। जिस पर प्रार्थीया ने अप्रार्थीगण विभाग में जाकर विद्युत कनेक्शन जोड़ने हेतु बार-बार निवेदन किया। इस दौरान प्रार्थीया अप्रार्थीगण विभाग द्वारा जारी बिल भी जमा करवाती रही। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थीया के निवेदन पर कोई गौर नहीं किया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवादोष की श्रेणी में आता है। उक्त आधारों पर प्रार्थीया अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थीया अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि दिनांक 12.06.2011 को निगम के अधिकारीयों द्वारा प्रार्थीया के घर विद्युत कनेक्शन की जांच करने पर प्रार्थीया को विद्युत की चोरी करने पर मौके पर ही वी.सी.आर. न0 49/2924 दिनांक 12.06.2011 को तैयार की गयी व प्रार्थीया के विरूद्ध एक प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 125/2011 दर्ज करवायी गयी। उक्त आधारों के दृष्टीगत अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रकरण विद्युत चोरी का है जो विद्युत अनुसार इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। क्षैत्राधिकार के अभाव में परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

           प्रार्थीया की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, रसीद दिनांक 08.02.2010, 14.12.2009, बिल की फोटो प्रति, वी.सी.आर. की प्रति, पत्र दिनांक 24.06.2011 व 19.08.2011 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है।

           हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार से है।

           अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क यह दिया है कि प्रकरण विद्युत चोरी का है इसलिए इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। प्रार्थीया अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थीया विद्युत चोरी के प्रकरण में निर्दोष साबित हुई है। परन्तु प्रार्थीया ने उक्त सम्बंध में कोई भी दस्तावेज पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया इसलिए प्रार्थीया अधिवक्ता का उक्त तर्क विश्वसनीय नहीं है। वैसे भी माननीय उच्चतम न्यायालय के नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त सिविल अपील संख्या 5466/2012 यू.पी. पावर निगम लिमिटेड बनाम अनीश अहमद में यह अभिनिर्धारित किया है कि विद्युत चोरी के अपराध से सम्बंधित प्ररकण जिला मंच के अधिकारीता में नहीं है। वर्तमान प्रकरण भी विद्युत की चोरी से सम्बंधित है जिसका विवरण स्वंय प्रार्थीया ने अपने परिवाद में दिया है इसलिए प्रार्थीया का परिवाद उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में खारिज किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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