जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 36/13
थानमल पुत्र श्री बच्छराज जाति ओसवाल प्रो0 हनुमान आइस फेक्ट्री स्टेशन रोड़ लाडनूं -परिवादी
बनाम
1. जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. जरिये अध्यक्ष जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. जोधपुर
2. अधीक्षण अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. चुरू
3. सहायक अभियंता जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि. लाडनूं जिला नागौर
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रूघाराम जोगपाल, अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. श्री ठाकुर प्रसाद राठी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.2.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी कस्बा लाडनूं में हनुमान आइस फेक्ट्री के नाम से कारोबार करता है तथा अप्रार्थीगण विद्युत विभाग से नियमानुसार विद्युत कनेक्सन ले रखा है जिसके नियमित बिलों का भुगतान करता आ रहा है । परिवादी के खाते में नवम्बर 2011 तक किसी प्रकार की कोई राशि बकाया नहीं है। परिवादी के कनेक्सन का मीटर अगस्त 2011 में बदला गया तो अक्टूबर तक फेक्ट्री चली उसके सबाद नवम्बर से फरवरी 2012 तक फेक्ट्री सर्दी के मौसम में बंद रही । दिनांक 10.5.12 को दुबारा मीटर बदला गया । अप्रार्थीगण द्वारा स्थापित मीटर त्रुटिरहित होने व खराब होने से समय समय पर बदले गये हैं जिनको परिवादी की अनुपस्थिति में उतारकर ले गये व नया मीटर लगा दिया । परिवादी ने अप्रार्थीगण के कार्यालय में जाकर निवेदन किया तो कहा कि कार्यवाही की प्रतियां दे देंगे व राशि जमा करवा देना नहीं तो कनेक्सन विच्छेद कर दिया जायेगा । परिवादी अप्रार्थी विभाग के चम्मर काटता रहा तब अप्रार्थीगण ने वीसीआर व उससे संबंधित दस्तावेजात की फोटो प्रतियां दी व बिना किसी आधार के 2,66,470 रूपये राशि वसूलने योग्य दर्ज कर दी तथा दिसम्बर 2012 के बिल में उक्त राशि जोड़ते हुए कुल 2,66,769 रूपये का बिल जारी किया । अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी व अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की तारीफ में आता है । जिससे परिवादी को मानसिक पीड़ा हुई। परिवाद मय शपथ पत्र पेश कर निवेदन किया कि वीसीआर सीट नं0 34/3018 दिनांक 5.12.2012 व उसके आधार पर जारी नोटिस व दिसम्बर 2012 का बिल निरस्ते किये जाकर सही राशि का बिल जारी करने का आदेश अप्रार्थीगण को दिया जावे, परिवादी से गलत राशि वसूल नहीं करने व कनेक्सन विच्छेद नहीं करने का अप्रार्थीगण को आदेश दिया जावे, अप्रार्थीगण को क्षति पूर्ति स्वरूप 50,000 रूपये दिलाये जावे तथा परिवाद व्यय 10000 रूपये दिलाये जावे ।
2. अप्रार्थीगण की ओर से जबाब पेश कर परिवाद के अधिकांश तथ्यों से इन्कार करते हुए संक्षेप में कथन किया कि परिवादी अपने यहां लगे विद्युत मीटर के साथ बार बार छेड़खानी करता रहा है तथा मीटर को टेम्पर्ड करते हुए रीडिंग को आगे पीछे करता रहा है । इस संबंध में परिवाादी के यहां सतर्कता दल द्वारा जांच की गई तो पाया गया कि विद्युत मीटरक े साथ छेड़खानी की हुई है जिस पर मौके पर वीसीआर भरी गई एवं विद्युत मीटर जब्त किया गया व बाद गणना नियमानुसार भुगतान योग्य राशि का नोटिस परिवादी को दिया गया जो राशि परिवाादी ने आज तक जमा नहीं करवााई । प्रकरण स्पष्टतया विद्युत चोरी का है उपभोक्ता संरक्षण मंच को इस मामले की सुनवाई का क्षैत्राधिकार नहीं है । वीसीआर सीट के आधार पर विद्युत चोरी किये जाने के आधार पर बकाया राशि अप्रार्थीगण को परिवादी से वसूली करने का अधिकार है। जबाब मय शपथ पत्र पेश कर परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया है
3. बहस उभय पक्ष सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादी के अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि परिवादी ने अप्रार्थी द्वारा जारी बिलों का समय समय पर भुगतान किया परन्तु अप्रार्थीगण ने वी सी आर के आधार पर 2,66,470 रूपये की वसूली का नोटिस दिया । जबकि प्रार्थी ने कभी भी विद्युत चोरी नहीं की । इसके विपरीत अप्रार्थीगण का यह तर्क है कि दिनांक 05.12.12 को वी सी आर नं0 34/3018 प्रार्थी के विद्युत कनेक्सन के बाबत जारी किया । प्रार्थी ने विद्युत मीटर के साथ छेड़खानी की । उसे टेम्पर विद किया । रीडिंग आगे पीछे करता रहा । सही वी सी आर भरी गई है । विद्युत मीटर जब्त किया गया उसकी जांच करवाई गई । जांच में यह पाया कि मीटर के साथ छेड़खानी हुई है। जिसकी पुष्टि वाइण्एडर से भी होती है। इस प्रकार स्पष्ट रूप से विद्युत चोरी का मामला है। प्रार्थी किसी भी सूरत में सद्भावी उपभोक्ता नहीं है अतः परिवादपत्र निरस्त किया जावे ।
4. अप्रार्थी की ओर से न्यायिक दृष्टांत सिविल अपील 5466/12 यू.पी. पाॅवर कोरपोरेशन व अन्य बनाम अनीस अहमद निर्णय दिनांक 01.7.2013 प्रस्तुत की । इसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि अनाधिकृत विद्युत उपयोग या दुरूपयोग के मामले में धारा 126 विद्युत अधिनियम के तहत सिविल वसूली का जो नोटिस दिया जाता है उसके संबंध में उपभोक्ता मंच को श्रवण करने का क्षैत्राधिकार नहीं है। चोरी के मामले में धारा 135 से 140 के मामले विशिष्ठ न्यायालय द्वारा धारा 153 विद्युत अधिनियम 2003 के तहत श्रवण योग्य है । पत्रावली में वी सी आर उपलब्ध है। अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी के विद्युत कनेक्सन की जांच दल द्वारा जांच की गई है जिसमें प्रार्थी द्वारा विद्युत दुरूपयोग करना बताया गया है। मीटर भी जब्त किया गया है । जांच दल की रिपोर्ट के मुताबिक मीटर से छेड़खानी व धीमा व तेज गति से चलाने का दोष भी पाया है। इसके अलावा दिनांक 05.12.12 को सिविल लाइबीलिटि की राशि 2,66,470 रूपये की वसूली का नोटिस भी दिया गया है । हमारी राय में माननीय उक्त न्यायिक दृष्टांत की रोशनी में प्रार्थी सद्भावी उपभोक्ता नहीं है । सिविल लाइबीलिटि की राशि के संबंध में व उक्त विद्युत दुरूपयोग के संबंध में इस मंच को श्रवण क्ष्ैात्राधिकार नहीं है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
5. अतः परिवाद का यह परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना अपना वहन करेंगे ।
आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या