Rajasthan

Jaipur-IV

CC/689/2013

Manoj Kumar - Complainant(s)

Versus

J.V.V.N.L. - Opp.Party(s)

Jitendra Mohan Jain

18 Feb 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
                                     डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                         श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-689/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1058/2011)

श्री मनोज कुमार पुत्र स्वर्गीय श्री दया प्रकाष वैष्य, निवासी- प्लाॅट संख्या 63, षिव शक्ति नगर, किंग्स रोड, अजमेर रोड, जयपुर (राजस्थान) । 

परिवादी
बनाम
01. जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये प्रबन्ध निदेषक, विद्युत भवन, जनपथ, जयपुर ।
02. अधीक्षण अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जवाहर नगर, जयपुर ।
03. सहायक अभियन्ता, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जवाहर नगर, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री जितेन्द्र मोहन जैन, एडवोकेट
विपक्षीगण की ओर से श्री जयंती सहाय गौड़़, एडवोकेट

निर्णय
दिनांकः- 18.02.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 29.06.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी फ्लेट नम्बर 402, एमरल्ड अक्षिता, तिलक नगर, जयपुर में सितम्बर,2009 तक निवास करता था । सितम्बर,2009 में परिवादी ने उक्त फ्लेट खाली कर दिया, जो अक्टूबर,2010 तक खाली ही रहा । इस फ्लेट की स्वामिनी श्रीमती ममता वर्मा है, जो परिवादी की साली है और परिवादी उक्त फ्लेट में बतौर लाईसेन्सी रह रहा था । परिवादी ने उक्त अवधि के दौरान विद्युत बिलों की राशि का भुगतान विपक्षीगण को किया था ।  परिवादी द्वारा उक्त फ्लेट को सितम्बर,2009 में खाली कर देने के बावजूद भी विपक्षीगण ने परिवादी को बाद में मार्च,2010 व मई,2010 में शून्य राशि के बिल भेजे । लेकिन अगस्त,2010 में परिवादी को विपक्षीगण ने 17,794.11 रूपये का बिल भेजा । जिसके संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण के अधिकारियों से सम्पर्क साधा और अपने प्रकरण को विपक्षीगण के सेटलमेन्ट कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करवाया । सेटलमेन्ट कमेटी के निर्णय के अनुसार परिवादी ने बिल राशि की 60  प्रतिशत राशि 12,700/-रूपये दिनंाक 16.11.2010 को विपक्षाीगण के यहां जमा करवाई । जिस पर परिवादी का विद्युत संबंध चालू कर दिया      गया । जब परिवादी सेटलमेन्ट कमेटी के समक्ष दिनांक 24.12.2010 को उपस्थित हुआ तो विपक्षीगण ने हठधर्मितापूर्वक 60 प्रतिशत जमा करवाई गई राशि पर परिवादी का प्रकरण निस्तारित कर दिया और परिवादी को ऐसा सरकारी दस्तावेज जैसे- टेलीफोन बिल आदि प्रस्तुत करने को कहा जिससे यह पता चल सके कि परिवादी सितम्बर,2009 से परिसर में नहीं रह रहा हैं, यह तथ्य पता चल सकें ।
इसके बाद सेटलमेन्ट कमेटी ने परिवादी को जनवरी,2011 में पुनः बुलाया तो परिवादी ने सेटलमेन्ट कमेटी के समक्ष पूर्व मंे चाही गई साक्ष्य प्रस्तुत की । लेकिन विपक्षीगण ने इसे रिकाॅर्ड पर लेने से मना कर दिया और परिवादी को बिना सुने ही 60 प्रतिशत राशि पर परिवादी के क्लेम का अंतिम निस्तारण कर दिया और बाद में परिवादी को मार्च,2011 में पूर्व की 8,357/-रूपये की राशि बकाया बताते हुए 9,360/-रूपये का विद्युत बिल भेज दिया। जो विपक्षीगण का सेवादोष और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 19 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी     हैं ।
विपक्षीगण की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी ने अपनी साली श्रीमती ममला वर्मा के फ्लेट में सितम्बर,2009 से नहीं रहना बताया हैं और यह फ्लेट अक्टूबर,2010 तक खाली रहना बताया था । इसी फ्लेट के संबंध में विपक्षीगण ने परिवादी को अगस्त,2010 का बिल 17,794.11 रूपये का भेजा था । जिसके संबंध में परिवादी विपक्षीगण की सेटलमेन्ट कमेटी के समक्ष गया तो सेटलमेन्ट कमेटी ने परिवादी के विवाद को 60 प्रतिशत राशि 12,000/-रूपये जमा कराने के निर्देश के साथ तय किया । परिवादी ने उक्त राशि विपक्षीगण के यहां दिनांक 16.11.2010 को जमा करवा दी । इसलिए परिवादी विपक्षीगण से कोई अन्य अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । विपक्षीगण की सेटलमेन्ट कमेटी ने परिवादी के क्लेम का निस्तारण नियमानुसार किया हैं । इसलिए परिवादी अब कोई अन्य अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं । अतः परिवाद परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री मनोज कुमार ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 15 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । परिवादी की ओर से दिनांक 22.05.2012 को अपने शपथ पत्र के साथ 12 पृष्ठ दस्तावेज और प्रस्तुत किये गये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण की ओर से श्री अनिल टोड़वाल का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी को विपक्षीगण ने अगस्त-सितम्बर,2010 के संबंध में सितम्बर,2010 मेें विवादित बिल जारी किया था । जिसमें परिवादी  पर 17,784.11 रूपये की राशि बकाया बताई गई थी । इस राशि को परिवादी ने विपक्षीगण के पास जमा नहीं करवाया । और विपक्षीगण द्वारा गठित की गई सेटलमेन्ट कमेटी के समक्ष परिवादी अपना क्लेम लेकर गया तो विपक्षीगण की सेटलमेन्ट कमेटी ने परिवादी द्वारा दिनंाक 16.11.2010 को उक्त बिल के संबंध में जमा करवाई गई पार्ट-पेमेन्ट राशि 12,000/-रूपये की राशि का भुगतान स्वीकार करते हुए शेष राशि का क्षमन परिवादी के पक्ष में करने का आदेश दिनांक 24.12.2010 पारित किया । लेकिन इसके बावजूद भी विपक्षीगण ने जनवरी,2011 में परिवादी से 8,086.34 रूपये की बकाया राशि की मांग की  । जो हमारे विनम्र मत में न्यायोचित नहीं हैं क्योंकि विपक्षीगण द्वारा गठित सेटलमेन्ट कमेटी ने अपने आदेश में निम्न पृष्ठाकंन करते हुए परिवादी का क्लेम तय किया थाः-
श्ज्ीम ब्वउउपजजमम कमबपकमक जव ेमजजसम जीपे बंेम वित ंउवनदज ंसतमंकल कमचवेपजमकण् भ्वूमअमत प िजीम ब्वदेनउमत चतवकनबम ेवउम कवबनउमदजंतल मअपकमदबम वित कंजम व िअंबंजपवद व िीवनेम जींद जीम बंेम ूपसस इम तमबमपअमक पद जीम दमगज ेमजजसमउमदज उममजपदहण्श्
 चूंकि दूसरी सेटलमेन्ट मीटिंग में परिवादी ने अनेक अन्य दस्तावेज, जोे परिवादी ने दिनंाक 22.05.2012 को मंच के समक्ष भी प्रस्तुत किये है, प्रस्तुत किये तो कमेटी ने इस पर ध्यान नहीं दिया । इसलिए अब न्यायहित में हम यह आदेश देना उचित समझते हैं कि विपक्षीगण की सेटलमेन्ट कमेटी परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य, जो परिवादी ने मंच के समक्ष दिनंाक 22.05.2012 को प्रस्तुत की हैं, का विवेचन करके परिवादी के क्लेम के विषय पर इस आदेश के एक माह की अवधि में विश्लेषण और आंकलन करके पुनः नवीन आदेश पारित करेगी । यदि परिवादी विपक्षीगण के उक्त आदेश से संतुष्ट नहीं होता है तो वह मंच के समक्ष पुनः नवीन  परिवाद प्रस्तुत कर सकेगा ।  
आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर न्याय हित में हम यह आदेश देना उचित समझते हैं कि विपक्षीगण की सेटलमेन्ट कमेटी परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य, जो परिवादी ने मंच के समक्ष दिनंाक 22.05.2012 को प्रस्तुत की हैं, का विवेचन करके परिवादी के क्लेम के विषय पर इस आदेश के एक माह की अवधि में विश्लेषण और आंकलन करके पुनः नवीन आदेश पारित करेंगे । यदि परिवादी विपक्षीगण के उक्त आदेश से संतुष्ट नहीं होता है तो वह मंच के समक्ष पुनः नवीन परिवाद प्रस्तुत कर सकेगा ।  यह भी निर्देश दिया जाता है कि सेटलमेन्ट कमेटी के निर्णय के अनुरूप परिवादी ने चूंकि राशि जमा करवा दी हैं इसलिए जनवरी,2011 के बिल में विपक्षीगण द्वारा परिवादी से 8086.34 रूपये की बकाया राशि की वसूली की कार्यवाही करना उचित नहीं हैं ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।


अनिल रूंगटा            डाॅं0 अलका शर्मा              डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष

 

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